: नेपाल छात्र आंदोलन का चेहरा बने सुदन गुरुंग, सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं का आक्रोश
काठमांडू। नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन अब एक बड़े जनांदोलन का रूप ले चुका है। राजधानी काठमांडू से लेकर अन्य शहरों तक हजारों छात्र और युवा सड़कों पर उतर आए हैं। इस पूरे आंदोलन का चेहरा बने हैं सुदन गुरुंग, जिन्होंने इवेंट मैनेजमेंट और नाइटलाइफ इंडस्ट्री छोड़कर सामाजिक कार्य की राह पकड़ी और ‘हमि नेपाल’ नाम की एनजीओ स्थापित की। गुरुंग की अपील और नेतृत्व ने छात्रों को एकजुट किया और आंदोलन को संगठित रूप दिया।
आंदोलन की पृष्ठभूमि
8 सितंबर से शुरू हुए इस विरोध का मूल कारण सरकार द्वारा 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाया जाना था। शुरुआत में इसे सीमित विरोध माना गया, लेकिन देखते-देखते यह आंदोलन आग की तरह फैल गया। अब तक हुई झड़पों और हिंसा में 22 लोगों की मौत हो चुकी है और 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
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सुदन गुरुंग की भूमिका
गुरुंग ने युवाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से संगठित किया। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर किताबें लेकर विरोध प्रदर्शन में शामिल हों, ताकि आंदोलन को हिंसक न मानकर एक शांतिपूर्ण प्रतीक के रूप में देखा जाए। उन्होंने प्रदर्शन के लिए प्रशासन से औपचारिक अनुमति भी मांगी और सुरक्षा के लिए सोशल मीडिया पर रूट प्लान साझा किया।
गुरुंग के नेतृत्व में चलाए गए ‘नेपो किड’ कैंपेन ने युवाओं में खासा प्रभाव डाला। इस अभियान में मंत्रियों और नेताओं के बच्चों की आलीशान जिंदगी और विदेशी शौक दिखाए गए, जिसने बेरोजगारी और असमानता झेल रहे युवाओं के गुस्से को और भड़का दिया।
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आंदोलन की दिशा और स्वरूप
फेसबुक और अन्य प्लेटफॉर्म पर बनाए गए हैशटैग इस आंदोलन के मूल आधार बने। काठमांडू के मेयर और नेपाली रैपर बालेन शाह के पोस्ट के बाद आंदोलन ने तेजी पकड़ी। अब यह सिर्फ सोशल मीडिया प्रतिबंध तक सीमित नहीं रहा, बल्कि बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, राजनीतिक अस्थिरता और नेताओं की जीवनशैली पर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं।
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युवाओं का आक्रोश
पिछले पांच वर्षों में नेपाल ने तीन प्रधानमंत्री बदलते देखे हैं। राजनीतिक अस्थिरता और विदेश नीति के दबावों ने युवाओं में असंतोष पैदा किया। वहीं, नेताओं के बच्चों की विदेश यात्राएं और महंगे ब्रांड्स का इस्तेमाल आम छात्रों की नाराजगी का बड़ा कारण बना। टिक-टॉक को छोड़कर बाकी सभी प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने से यह गुस्सा और बढ़ गया।
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गुरुंग की सामाजिक पृष्ठभूमि
सुदन गुरुंग ने 2015 के नेपाल भूकंप के बाद ‘हमि नेपाल’ एनजीओ बनाई थी। उस समय उन्होंने राहत और पुनर्वास कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई। कोविड-19 महामारी के दौरान भी उनकी संस्था ने व्यापक मदद पहुंचाई। वर्ष 2020 में हुए ‘इनफ इज इनफ’ आंदोलन में वे पहली बार युवाओं के नेता के रूप में उभरे।
वर्तमान स्थिति
आज नेपाल में यह आंदोलन किसी राजनीतिक दल का नहीं, बल्कि युवाओं का आंदोलन माना जा रहा है। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई बार टकराव हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। लेकिन इसके बावजूद आंदोलन की रफ्तार थमी नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार ने जल्द ही संवाद का रास्ता नहीं चुना तो यह आंदोलन नेपाल की राजनीति को गहराई से प्रभावित कर सकता है।
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