देश में 1.53 करोड़ आवारा कुत्तों में 70% का सालभर में टीकाकरण और नसबंदी, केंद्र का मास्टर प्लान

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली-एनसीआर की सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाकर शेल्टर होम में रखने के आदेश के बाद शुरू हुई बहस के बीच केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। आवारा कुत्तों के काटने और लावारिस पशुओं से आमजन को हो रहे नुकसान पर चिंता जताते हुए केंद्र ने मास्टर एक्शन प्लान तैयार किया है। इस योजना को लागू करने के लिए केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय और मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने संयुक्त रूप से सभी राज्यों को एडवाइजरी भेजी है।

एडवाइजरी के मुताबिक, देश में वर्तमान में लगभग 1.53 करोड़ आवारा कुत्ते हैं। योजना के तहत इनमें से 70% कुत्तों का वैक्सीनेशन और नसबंदी एक साल के भीतर करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही, 2019 की पशु गणना के अनुसार देश में करीब 50 लाख बेसहारा पशु मौजूद हैं, जिन पर भी नियंत्रण की कार्ययोजना बनाई गई है।

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ग्राम पंचायतों की पहली बार भागीदारी

इस अभियान में पहली बार ग्राम पंचायतों को भी जोड़ा जा रहा है। राज्यों से कहा गया है कि वे एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की मदद लेकर कार्ययोजना को प्रभावी ढंग से लागू करें। इस पहल का उद्देश्य न केवल आवारा कुत्तों के काटने की घटनाओं में कमी लाना है, बल्कि सड़कों पर बेसहारा पशुओं के कारण होने वाले हादसों को भी रोकना है।

ग्रीन टैग कॉलर से पहचान

योजना के तहत, जिन आवारा कुत्तों का टीकाकरण और स्टरलाइजेशन हो जाएगा, उन्हें ग्रीन कॉलर टैग पहनाया जाएगा। इस टैग पर उनकी स्वास्थ्य और नसबंदी संबंधी जानकारी दर्ज होगी। इसके अलावा, यह जानकारी पशुधन पोर्टल पर भी अपलोड की जाएगी, ताकि किसी भी समय निगरानी और ट्रैकिंग की जा सके।

बेसहारा पशुओं के लिए हरा कान टैग

बेसहारा मवेशियों के स्टरलाइजेशन के बाद उनके कान में हरे रंग का टैग लगाया जाएगा। यह टैग नगर निकायों के कर्मचारियों को यह पहचानने में मदद करेगा कि किन पशुओं का ऑपरेशन और टीकाकरण हो चुका है और किन्हें पकड़ा जाना बाकी है।

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पृष्ठभूमि और केंद्र का कदम

केंद्र को आवारा कुत्तों के हमले और लावारिस पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की हजारों शिकायतें मिली थीं। इन्हीं शिकायतों और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को देखते हुए यह व्यापक कार्ययोजना तैयार की गई है। इसमें शहरी निकायों, ग्राम पंचायतों, पशुपालन विभाग, और एनजीओ को भी जोड़ा जाएगा, ताकि यह अभियान जमीन पर तेजी से आगे बढ़ सके।

लक्ष्य और अपेक्षित परिणाम

सरकार का मानना है कि इस योजना के सफल क्रियान्वयन से न केवल आवारा कुत्तों और बेसहारा पशुओं की संख्या में कमी आएगी, बल्कि इनके कारण होने वाले मानव-वन्यजीव संघर्ष, सड़क हादसों और स्वास्थ्य संबंधी खतरों में भी कमी होगी।


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