मुंबई। भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला बुधवार को भी जारी रहा। लगातार दूसरे दिन बाजार में 500 से अधिक अंकों की गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला, जिससे निवेशकों की चिंताएं बढ़ गईं। दूसरी ओर, भारतीय रुपया 26 पैसे की मजबूती के साथ अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 86.53 पर कारोबार करता दिखा।
सेंसेक्स-निफ्टी में भारी गिरावट
बुधवार को बाजार लाल निशान पर खुला और शुरुआती कारोबार में ही गिरावट का रुख देखने को मिला।
- सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 274.56 अंक लुढ़ककर 76,019.04 पर खुला।
- निफ्टी भी 78.45 अंक गिरकर 22,993.35 के स्तर पर पहुंच गया।
- कारोबार के कुछ समय बाद ही गिरावट और बढ़ गई और निफ्टी 156.40 अंक गिरकर 22,915.40 पर आ गया।
- वहीं, सेंसेक्स 645.04 अंकों की गिरावट के साथ 75,668.97 के स्तर तक लुढ़क गया।
गिरावट के पीछे क्या कारण?
शेयर बाजार में गिरावट के कई प्रमुख कारण रहे—
- विदेशी निवेशकों की बिकवाली:
- विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने मंगलवार को 4,486.41 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
- विदेशी पूंजी की निकासी से बाजार पर दबाव बना हुआ है।
- वैश्विक बाजारों में कमजोरी:
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में किसी भी राहत के संकेत न देने से निवेशक सतर्क बने हुए हैं।
- वैश्विक शेयर बाजारों में भी गिरावट का असर भारतीय बाजारों पर पड़ा।
- व्यापार युद्ध की आशंका:
- अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव से बाजार में अस्थिरता बनी हुई है।
- निवेशकों को आशंका है कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।
- कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव:
- वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता ने भी बाजार की धारणा को प्रभावित किया है।
रुपया 26 पैसे मजबूत, बाजार में अस्थिरता बनी हुई
बाजार में भारी गिरावट के बावजूद भारतीय रुपया 26 पैसे की बढ़त के साथ 86.53 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। यह भारतीय मुद्रा के लिए सकारात्मक संकेत है, लेकिन शेयर बाजार में लगातार गिरावट के चलते निवेशकों में चिंता बनी हुई है।
आगे क्या रहेगा बाजार का रुख?
- अगर विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रही, तो बाजार पर और दबाव बन सकता है।
- आने वाले दिनों में वैश्विक बाजारों की चाल और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों पर निवेशकों की नजर बनी रहेगी।
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति भी बाजार के भविष्य के रुझान को तय कर सकती है।
निवेशकों के लिए सलाह
- लॉन्ग-टर्म निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है और उन्हें मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों में निवेश बनाए रखना चाहिए।
- इंट्राडे ट्रेडर्स को बाजार के उतार-चढ़ाव को देखते हुए सतर्कता बरतनी चाहिए।
- बैंकिंग, आईटी और ऑटो सेक्टर पर निवेशकों को खास नजर रखनी चाहिए, क्योंकि इन क्षेत्रों में सबसे अधिक गिरावट देखी जा रही है।
निष्कर्ष:
भारतीय शेयर बाजार में लगातार दूसरे दिन गिरावट देखने को मिली, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। हालांकि, रुपये में मजबूती एक सकारात्मक संकेत है। आने वाले दिनों में बाजार की दिशा विदेशी निवेशकों के रुझान, वैश्विक अर्थव्यवस्था और केंद्रीय बैंकों की नीतियों पर निर्भर करेगी।