दुनिया के सबसे ताकतवर रॉकेट स्टारशिप का 10वां टेस्ट टला, अब कल सुबह होगा लॉन्च

ग्राउंड सिस्टम में आई तकनीकी खराबी, अब कल सुबह 5 बजे होगी लॉन्चिंग

टेक्सास।
दुनिया के सबसे ताकतवर रॉकेट स्टारशिप का 10वां टेस्ट सोमवार सुबह निर्धारित समय पर नहीं हो सका। टेक्सास के बोका चिका लॉन्च साइट से भारतीय समयानुसार 25 अगस्त सुबह 5 बजे लॉन्चिंग होनी थी, लेकिन ग्राउंड सिस्टम में आई तकनीकी खराबी के कारण इसे टाल दिया गया। अब यह लॉन्च मंगलवार सुबह 5 बजे किया जाएगा।

ग्राउंड सिस्टम में समस्या

स्पेसएक्स के इंजीनियरों के अनुसार ग्राउंड सिस्टम का मतलब उन मशीनों, कंप्यूटरों और उपकरणों से है, जो जमीन से रॉकेट की लॉन्चिंग को नियंत्रित करते हैं। इनमें ईंधन आपूर्ति प्रणाली, नियंत्रण कंप्यूटर, सुरक्षा सेंसर और कमांडिंग सिस्टम शामिल हैं। किसी भी तरह की छोटी खराबी लॉन्चिंग को जोखिम भरा बना सकती है। इसी वजह से कंपनी ने सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए परीक्षण रोक दिया।

पिछली बार हुआ था विस्फोट

इससे पहले स्टारशिप का 9वां टेस्ट 29 जून को किया जाना था। लेकिन स्टैटिक फायर टेस्ट के दौरान रॉकेट में धमाका हो गया। स्टैटिक फायर टेस्ट वह प्रक्रिया है, जिसमें रॉकेट को जमीन पर रखते हुए इंजन चलाकर चेक किया जाता है कि लॉन्चिंग के दौरान कोई तकनीकी समस्या तो नहीं आएगी। जून के टेस्ट में अचानक रॉकेट के ऊपरी हिस्से में आग लग गई थी और कुछ ही सेकंड में पूरा रॉकेट आग का गोला बन गया था। हालांकि उस समय कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ और सभी वैज्ञानिक सुरक्षित रहे।

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स्पेसएक्स और इलॉन मस्क की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना

स्टारशिप को दुनिया का अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट माना जा रहा है। इसे इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने डिजाइन और तैयार किया है। यह रॉकेट दो हिस्सों में बंटा है—

  • स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट (ऊपरी हिस्सा) – जिसमें यात्रियों और कार्गो को ले जाया जा सकता है।
  • सुपर हैवी बूस्टर (निचला हिस्सा) – जो रॉकेट को अंतरिक्ष में धकेलने के लिए आवश्यक ताकत देता है।

दोनों हिस्से मिलकर “स्टारशिप” कहलाते हैं। इसकी कुल ऊंचाई 403 फीट (करीब 123 मीटर) है। खास बात यह है कि यह रॉकेट पूरी तरह से पुनः प्रयोज्य (रीयूजेबल) है। यानी इसे एक बार प्रयोग करने के बाद दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे अंतरिक्ष मिशनों की लागत में भारी कमी आएगी।

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चंद्रमा और मंगल मिशन में अहम भूमिका

स्पेसएक्स का दावा है कि स्टारशिप न केवल उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य में इंसानों को चंद्रमा और मंगल ग्रह तक ले जाने की क्षमता रखता है। नासा ने भी अपने “आर्टेमिस कार्यक्रम” के लिए स्टारशिप को चंद्रमा पर उतरने वाले यान के रूप में चुना है। इससे यह रॉकेट मानव अंतरिक्ष यात्रा के भविष्य में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

वैज्ञानिक समुदाय की निगाहें टिकीं

स्टारशिप के 10वें परीक्षण को लेकर वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और स्पेस इंडस्ट्री से जुड़े विशेषज्ञों में खासा उत्साह है। यह केवल एक रॉकेट टेस्ट नहीं बल्कि अंतरिक्ष अन्वेषण की दिशा में एक ऐतिहासिक प्रयोग माना जा रहा है। ग्राउंड सिस्टम की खराबी ने फिलहाल उत्सुकता बढ़ा दी है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि सुरक्षा सर्वोपरि है और यदि यह परीक्षण सफल रहा, तो यह अंतरिक्ष विज्ञान के लिए मील का पत्थर साबित होगा।