• वांगचुक लंबे समय से लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे

लद्दाख। पर्यावरणविद और समाजसेवी सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद लद्दाख में माहौल गर्मा गया है। वांगचुक लंबे समय से लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे थे। उनकी गिरफ्तारी को लेकर स्थानीय लोगों में गुस्सा है और आंदोलनकारियों का कहना है कि इससे शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने की कोशिश की जा रही है।

गिरफ्तारी की आशंका पहले ही जताई थी

वांगचुक को पहले से ही इस बात का अंदेशा था कि सरकार उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। उन्होंने गिरफ्तारी से ठीक एक दिन पहले कहा था कि “यदि इस मुद्दे पर मुझे कभी भी गिरफ्तार होना पड़े तो मुझे खुशी होगी।” उनके इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वे अपने उद्देश्य के लिए किसी भी कीमत पर पीछे हटने वाले नहीं हैं।

पांच साल से आंदोलन का चेहरा

सोनम वांगचुक पिछले पांच वर्षों से लद्दाख के अधिकारों की लड़ाई का बड़ा चेहरा रहे हैं। उन्होंने हमेशा स्थानीय संस्कृति, पर्यावरण और पहाड़ी जनजीवन की रक्षा के लिए आवाज उठाई। उनकी लोकप्रियता और संघर्ष ने उन्हें लद्दाखी जनता का भरोसेमंद नेता बना दिया है।

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केंद्र और लद्दाख प्रतिनिधियों की बातचीत पर असर

माना जा रहा है कि उनकी गिरफ्तारी से केंद्र सरकार और लद्दाख के प्रतिनिधियों के बीच जारी बातचीत पर भी असर पड़ सकता है। अभी तक बातचीत के जरिए समाधान की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन इस कदम से माहौल और बिगड़ सकता है।

शांतिपूर्ण आंदोलन का नेतृत्व

स्थानीय लोग मानते हैं कि वांगचुक हिंसा भड़काने वाले व्यक्ति नहीं हैं। वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखते आए हैं और आंदोलन को भी शांतिपूर्ण ढंग से आगे बढ़ा रहे थे। उनकी गिरफ्तारी को जनता ने भावनाओं पर आघात बताया है।

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