नई दिल्ली। भारत के वित्त मंत्रालय ने बुधवार को अपने कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया, जिसमें उन्हें मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई डिवाइसों, जैसे कंप्यूटर, लैपटॉप, और टैबलेट पर ChatGPT और डीपसीक जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स का उपयोग करने से रोक दिया गया है। इस आदेश का उद्देश्य गोपनीय जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करना और संभावित डेटा लीक के खतरे से बचाव करना है।
गोपनीयता के खतरे को देखते हुए उठाया गया कदम
यह आदेश वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा 29 जनवरी को जारी किया गया था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि AI टूल्स के इस्तेमाल से मंत्रालय की गोपनीय सूचनाओं के लीक होने का खतरा बढ़ सकता है। इन टूल्स के जरिए इंटरनेट पर मौजूद जानकारी को पढ़ा और प्रसंस्कृत किया जाता है, जिससे संवेदनशील जानकारी असुरक्षित हो सकती है। मंत्रालय ने इस खतरे को गंभीरता से लेते हुए यह कदम उठाया है।
आदेश का व्यापक असर
यह आदेश मंत्रालय के सभी विभागों पर लागू होगा, और कर्मचारियों को अब मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई डिवाइसों पर ChatGPT और अन्य AI टूल्स का उपयोग करने से पूरी तरह से बचने की हिदायत दी गई है। इस कदम से मंत्रालय ने सुरक्षा और गोपनीयता को प्राथमिकता दी है, जो सरकारी विभागों में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
AI टूल्स का बढ़ता उपयोग और चिंताएं
AI टूल्स, जैसे कि ChatGPT (चैट जनरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफॉर्मर), आजकल व्यापक रूप से उपयोग हो रहे हैं। यह टूल्स इंटरनेट पर मौजूद जानकारी को पढ़कर और विश्लेषण करके उपयोगकर्ताओं के सवालों का उत्तर देने में सक्षम होते हैं। हालांकि, इनकी बढ़ती लोकप्रियता के साथ-साथ इनसे संबंधित गोपनीयता संबंधी चिंताएं भी उभर रही हैं। कई देशों ने अपनी सरकारों और संस्थाओं में AI टूल्स के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिए हैं, जैसे ऑस्ट्रेलिया और इटली ने पहले ही इन टूल्स पर प्रतिबंध लगा दिया है।
भारत में AI टूल्स पर प्रतिबंध की संभावना
भारत में वित्त मंत्रालय द्वारा लिया गया यह निर्णय संभवत: सरकारी संस्थाओं में AI टूल्स के उपयोग पर व्यापक प्रतिबंध लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि संवेदनशील जानकारी और डेटा किसी भी प्रकार के जोखिम से बचा रहे, और सरकारी कार्यों में गोपनीयता बनी रहे।
नतीजतन, यह आदेश सरकार की डेटा सुरक्षा नीतियों को मजबूत करने और भविष्य में गोपनीय जानकारी के लीक होने की संभावनाओं को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।