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March 14, 2025 6:04 PM

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: EWS उम्मीदवारों को UPSC परीक्षा में आयुसीमा और प्रयासों में छूट

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के उम्मीदवारों के लिए एक महत्वपूर्ण अंतरिम राहत प्रदान की है। इस फैसले के तहत अब संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा-2025 में EWS वर्ग के उम्मीदवारों को अन्य आरक्षित वर्गों (SC/ST/OBC) की तरह अधिकतम 5 साल की आयुसीमा में छूट और 9 प्रयास (अटेंप्ट) का अवसर मिलेगा। यह निर्णय UPSC की मौजूदा नीतियों में संभावित बदलाव का संकेत देता है, हालांकि इस पर अभी अंतिम फैसला आना बाकी है।

यूपीएससी मंगलवार को दे सकता है जवाब

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के इस अंतरिम आदेश पर संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) मंगलवार को अपना पक्ष रख सकता है। हाईकोर्ट में इस याचिका पर अभी विस्तृत सुनवाई होनी बाकी है, लेकिन यह राहत फिलहाल उन हजारों EWS उम्मीदवारों के लिए एक सकारात्मक कदम मानी जा रही है, जो आयुसीमा और प्रयासों की सीमा के कारण परेशान थे।

याचिकाकर्ता कौन हैं और क्या है मांग?

यह मामला तब सामने आया जब मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर निवासी आदित्य नारायण पांडेय ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर EWS वर्ग के उम्मीदवारों को आयुसीमा और परीक्षा देने के अवसरों में छूट देने की मांग की थी। उन्होंने दलील दी कि जब अन्य आरक्षित वर्गों (SC/ST/OBC) को UPSC परीक्षा में 5 साल की अतिरिक्त उम्र और 9 अटेंप्ट की सुविधा दी जाती है, तो फिर EWS वर्ग को इससे वंचित रखना समानता के अधिकार (Article 14) का उल्लंघन है।

पहले क्या थी UPSC की नियमावली?

अब तक EWS वर्ग के उम्मीदवारों को UPSC की सिविल सेवा परीक्षा में कोई अतिरिक्त आयुसीमा छूट नहीं दी जाती थी। वे अधिकतम 32 साल की उम्र तक परीक्षा दे सकते थे और केवल 6 बार प्रयास करने का अवसर मिलता था। यह नियम सामान्य वर्ग (General Category) के उम्मीदवारों की तरह ही था।

UPSC 2025 परीक्षा का शेड्यूल

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) 2025 में कुल 979 पदों के लिए सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करेगा। इसकी प्रारंभिक परीक्षा 25 मई 2025 को होगी। परीक्षा में लाखों उम्मीदवार शामिल होंगे, जिनमें अब EWS वर्ग के छात्र भी आयुसीमा और प्रयासों में छूट के लाभ के साथ शामिल हो सकेंगे, बशर्ते यह आदेश अंतिम रूप से लागू होता है।

क्या होगा आगे?

फिलहाल यह फैसला अंतरिम राहत के तौर पर आया है, यानी कि हाईकोर्ट ने इस पर अंतिम निर्णय नहीं दिया है। UPSC की

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