सिंगापुर।
सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने एक अहम और चिंताजनक बयान देते हुए कहा कि वैश्वीकरण (ग्लोबलाइजेशन) और मुक्त व्यापार (फ्री ट्रेड) का युग अब समाप्त हो चुका है। उनका कहना है कि दुनिया एक नए और खतरनाक दौर में कदम रख चुकी है, जहाँ अनिश्चितता, अस्थिरता और टकराव का खतरा बढ़ता जा रहा है।
पीएम वोंग ने कहा कि अब यह मान लेना चाहिए कि स्थिरता और पूर्वानुमान पर आधारित पुरानी वैश्विक व्यवस्था टूट चुकी है। आने वाले समय में परिस्थितियाँ बार-बार बदलेंगी और किसी भी देश या उद्योग के लिए पहले से योजनाएं बनाकर चलना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। उन्होंने आगाह किया कि विश्व अब ऐसी दिशा में जा रहा है जहाँ टैरिफ, संरक्षणवाद और आर्थिक राष्ट्रवाद जैसे तत्व हावी होते जा रहे हैं।
टैरिफ बढ़ाएंगे अस्थिरता, सप्लाई चेन पर गहराएगा संकट
प्रधानमंत्री वोंग का मानना है कि अमेरिका और अन्य देशों द्वारा टैरिफ (आयात शुल्क) बढ़ाने से वैश्विक व्यापार को गंभीर नुकसान हो सकता है। इससे अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चेन बाधित होगी और छोटे व्यापार-निर्भर देशों जैसे सिंगापुर को इसका सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
उन्होंने विशेष रूप से अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा सिंगापुर पर 10% टैरिफ लगाने की घोषणा का जिक्र किया। यह दर अन्य देशों जैसे चीन (54%), वियतनाम (46%) और भारत (26%) की तुलना में कम जरूर है, लेकिन सिंगापुर पर इसका असर कहीं अधिक हो सकता है। क्योंकि सिंगापुर की अर्थव्यवस्था का अधिकांश हिस्सा अंतरराष्ट्रीय व्यापार और लॉजिस्टिक्स पर आधारित है।
वोंग ने कहा, “सिंगापुर जैसे देशों के पास कोई घरेलू मार्केट नहीं है जिस पर वे निर्भर रह सकें। हमारी ताकत वैश्विक व्यापार से आती है। अगर वैश्विक व्यापार की रफ्तार धीमी होती है, तो हमारी शिपिंग, लॉजिस्टिक्स और फाइनेंशियल सर्विस इंडस्ट्री सीधे प्रभावित होंगी।”
ब्रिटिश पीएम ने भी की ग्लोबलाइजेशन के अंत की पुष्टि
लॉरेंस वोंग के बयान के साथ ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने भी इसी दिशा में बड़ा बयान दिया है। एक लेख में उन्होंने लिखा कि ग्लोबलाइजेशन का सुनहरा दौर अब पीछे छूट गया है। ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वे जल्द ही देश को संबोधित करते हुए इस विषय पर विस्तृत विचार रखेंगे और आने वाले समय की रणनीति पर बात करेंगे।
नए वैश्विक समीकरण, पुरानी नीतियाँ बेअसर
विश्लेषकों का मानना है कि अगर टैरिफ और व्यापार बाधाएँ इसी तरह बढ़ती रहीं, तो दुनिया आर्थिक रूप से फिर से खेमों में बंट सकती है। अमेरिका और चीन जैसे महाशक्तियों के बीच व्यापारिक तनाव पहले ही कई देशों को प्रभावित कर चुका है, और अब अगर अमेरिका नए टैरिफ नियम लागू करता है, तो ग्लोबल ट्रेड में एक नई मंदी आ सकती है।
सिंगापुर जैसे देशों के लिए यह समय बेहद संवेदनशील है। उनके सामने न केवल आर्थिक स्थिरता बनाए रखने की चुनौती है, बल्कि उन्हें वैश्विक मंचों पर अपनी भूमिका भी नए सिरे से तय करनी होगी।
स्वदेश ज्योति के द्वारा।
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