: सिंगापुर पीएम लॉरेंस वोंग की पहली भारत यात्रा, आर्थिक सहयोग और रणनीतिक साझेदारी पर फोकस

नई दिल्ली। सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग तीन दिवसीय भारत यात्रा पर मंगलवार को नई दिल्ली पहुंचे। यह उनकी प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली भारत यात्रा है, जिसे भारत-सिंगापुर संबंधों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दौरान दोनों देशों के बीच नौवहन, नागरिक उड्डयन और अंतरिक्ष जैसे अहम क्षेत्रों में सहयोग को मजबूती देने के लिए पांच समझौते होने जा रहे हैं।

आर्थिक संबंधों को नए आयाम देने पर जोर

इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत और सिंगापुर के बीच मौजूद आर्थिक पूरकताओं का लाभ उठाकर द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई देना है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री वोंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आर्थिक सहयोग बढ़ाने के ठोस उपायों पर चर्चा करेंगे।

भारत और सिंगापुर के बीच व्यापार और निवेश का रिश्ता लगातार मजबूत हुआ है। 2014 से अब तक सिंगापुर ने भारत में 175 अरब डॉलर का निवेश किया है, जिसमें से लगभग 60 अरब डॉलर कोविड-19 के बाद के दौर में किया गया। यह तथ्य दोनों देशों की गहरी आर्थिक साझेदारी को दर्शाता है।

महाराष्ट्र में कंटेनर टर्मिनल का वर्चुअल उद्घाटन

यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री वोंग महाराष्ट्र में एक नए कंटेनर टर्मिनल का वर्चुअल उद्घाटन करेंगे। इस परियोजना में पोर्ट ऑफ सिंगापुर अथॉरिटी (पीएसए इंटरनेशनल) ने एक अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है। यह टर्मिनल भारत की समुद्री व्यापार क्षमता को और सुदृढ़ करेगा और लॉजिस्टिक सेक्टर को नई दिशा देगा।

भारत-सिंगापुर संबंधों का इतिहास और 60वीं वर्षगांठ

विदेश मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री वोंग की यह यात्रा भारत और सिंगापुर के राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर हो रही है। यह अवसर दोनों देशों की "व्यापक रणनीतिक साझेदारी" को और गहरा करने का प्रतीक है। भारत की "एक्ट ईस्ट" नीति में सिंगापुर की भूमिका महत्वपूर्ण रही है और यह यात्रा उसी नीति को मजबूती देने का अवसर भी प्रदान करती है।

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उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल और द्विपक्षीय मुलाकातें

प्रधानमंत्री वोंग के साथ उनकी पत्नी और एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी भारत आया है। इस प्रतिनिधिमंडल में कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। वोंग अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अन्य केंद्रीय मंत्रियों से भी मुलाकात करेंगे। यह बातचीत न केवल आर्थिक सहयोग बल्कि सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे विषयों को भी कवर करेगी।

रणनीतिक महत्व

पिछले वर्ष सितम्बर में प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर का दौरा किया था, जिसके दौरान दोनों देशों के रिश्तों को "व्यापक रणनीतिक साझेदारी" तक विस्तारित किया गया था। मौजूदा यात्रा उसी दिशा में आगे का कदम है, जिसमें आपसी विश्वास और साझे हितों के आधार पर भविष्य की दिशा तय की जाएगी।

भारत और सिंगापुर के बीच यह मजबूत होती साझेदारी न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को गहरा करेगी, बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक और रणनीतिक संतुलन को भी प्रभावित करेगी।