- पहली बार नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कोई फायरिंग नहीं हुई
नई दिल्ली । भारत-पाकिस्तान सीमा पर 11 मई की रात एक ऐतिहासिक सन्नाटा लेकर आई—पिछले 19 दिनों से जारी तनाव और लगातार गोलाबारी के बाद पहली बार नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कोई फायरिंग नहीं हुई। यह राहत की घड़ी उस संघर्ष विराम के बाद आई है, जिस पर दोनों देशों ने 10 मई को सहमति जताई थी।
22 अप्रैल से था तनाव, ऑपरेशन सिंदूर के बाद हालात हुए थे गंभीर
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ता गया। स्थिति तब और भड़क उठी जब 7 मई को भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। इस कार्रवाई में कई वांछित आतंकियों के मारे जाने की खबर आई थी। इसके बाद सीमा पर लगातार भारी गोलाबारी और हवाई हमले होने लगे।
11 मई की रात बनी शांति की मिसाल
भारतीय सेना ने बयान में पुष्टि की है कि संघर्ष विराम के बाद रविवार और सोमवार की दरम्यानी रात LoC और उससे लगे क्षेत्रों में पूरी तरह से शांति रही। यह पिछले 19 दिनों में पहली रात थी जब न तो कोई गोली चली और न ही किसी तरह का विस्फोट हुआ।
सुरनकोट में लौट रही है रौशनी, फिर भी डर बाकी
पुंछ जिले का सुरनकोट इलाका, जो हाल ही में सबसे अधिक प्रभावित रहा, अब सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है। दो दिन पहले तक यहां से लोगों को जान बचाकर पलायन करना पड़ा था। किसी ने पास के जंगलों में शरण ली तो किसी ने जम्मू या ऊंचाई वाले गांवों में। अब प्रशासन की ओर से आश्वासन के बाद कुछ परिवार वापस लौटने लगे हैं। हालांकि डर अभी भी लोगों के चेहरे पर साफ झलकता है।
देशभर में धीरे-धीरे लौट रही सामान्य स्थिति
सिर्फ सीमाई इलाकों में ही नहीं, बल्कि श्रीनगर, पठानकोट, अखनूर, कुलगाम, राजौरी और गंगानगर जैसे शहरों में भी हालात सामान्य होते दिखे हैं। चंडीगढ़ और जैसलमेर जैसे शहरों में रविवार को प्रशासन ने सभी प्रतिबंध हटा दिए और दुकानें फिर से खुलने लगीं।
कूटनीतिक जीत या रणनीतिक ब्रेक?
पाकिस्तान द्वारा एकतरफा सीजफायर प्रस्ताव देना इस बार असामान्य था। ऑपरेशन सिंदूर और भारत की वायु रक्षा प्रणाली की सफल जवाबी कार्रवाइयों ने पाकिस्तान को कूटनीतिक और सैन्य रूप से दबाव में डाला है। हालांकि सीजफायर के कुछ घंटों बाद ही पाकिस्तान की ओर से एक सीमित उल्लंघन हुआ, जिसका भारतीय सेना ने कड़ा जवाब दिया।
सवाल अभी भी कायम
विशेषज्ञों का मानना है कि यह संघर्ष विराम अस्थायी राहत तो है, लेकिन दीर्घकालिक समाधान नहीं। भारत की सुरक्षा एजेंसियां अभी भी सतर्क हैं और खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार सीमापार आतंकियों की गतिविधियां पूरी तरह रुकी नहीं हैं।