शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष से वापसी, 17 अगस्त को भारत लौटने की संभावना; गगनयान की तैयारी तेज

कैलिफोर्निया। अंतरिक्ष की रोमांचक यात्रा के बाद भारत के युवा वैज्ञानिक शुभांशु शुक्ला मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौट आए। भारतीय समयानुसार दोपहर 3:01 बजे उन्होंने एक्सिओम-4 मिशन के तहत प्रशांत महासागर में सैन डिएगो तट के पास सुरक्षित लैंडिंग की। वे अब तक पृथ्वी की कक्षा में सबसे अधिक समय (20 दिन) तक रहने वाले पहले भारतीय बन गए हैं।


17 अगस्त तक भारत लौटने की संभावना

शुभांशु अभी करीब एक महीने तक अमेरिका में ही रहेंगे। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि मिशन के बाद की आवश्यक औपचारिकताओं के पूरा होने और वैज्ञानिक समीक्षा के बाद ही शुभांशु भारत लौटेंगे। उनकी स्वदेश वापसी की संभावित तारीख 17 अगस्त बताई गई है। इस दौरान शुभांशु को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से पुनः सामंजस्य बैठाने, चिकित्सकीय मूल्यांकन, वैज्ञानिक विचार-विमर्श और इसरो की टीम के साथ डिब्रीफिंग प्रक्रियाओं से गुजरना होगा।


गगनयान मिशन की तैयारी को मिली गति

शुभांशु की इस उपलब्धि ने भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मानव अंतरिक्ष मिशन की तैयारियों को नई दिशा दी है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार, शुभांशु द्वारा किए गए प्रयोग भारत के लिए न केवल गौरव की बात हैं, बल्कि भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए अहम आधार भी हैं।

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अंतरिक्ष में किए 7 प्रयोग, मानव शरीर पर प्रभावों का विश्लेषण

अंतरिक्ष में अपने प्रवास के दौरान शुभांशु ने माइक्रोग्रैविटी पर आधारित सात वैज्ञानिक प्रयोग किए। इनमें साइनोबैक्टीरिया, स्टेम सेल अनुसंधान, और मानव शरीर की जैविक प्रतिक्रियाओं से जुड़े प्रयोग शामिल हैं। नासा और इसरो के अनुसार, ये प्रयोग चंद्रमा और मंगल मिशन के लिए आवश्यक जैव-वैज्ञानिक समझ विकसित करने में सहायक सिद्ध होंगे।

विशेष रूप से स्टेम सेल विभेदन पर आधारित शोध कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के उपचार में क्रांतिकारी भूमिका निभा सकते हैं।

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इतिहास रचने वाले दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री

शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री हैं। उनसे पहले राकेश शर्मा 1984 में सोवियत संघ के साथ संयुक्त मिशन पर अंतरिक्ष में गए थे। शुभांशु अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। उनकी यह यात्रा न केवल तकनीकी दृष्टि से सफल रही, बल्कि भारत की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत भी बन गई है।


प्रशांत महासागर में सफल लैंडिंग, कैमरों के सामने मुस्कान

ड्रैगन ग्रेस यान की वापसी स्पेसएक्स द्वारा लाइव प्रसारित की गई। पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश से पहले यान ने लगभग 28,000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा की। तेज ताप और दवाब को सहन करते हुए यान धीरे-धीरे गति कम करता हुआ प्रशांत महासागर में उतरा। इसके बाद स्पेसएक्स की रिकवरी शिप ‘शैनन’ द्वारा सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।

उतरते ही शुभांशु और उनके तीन अंतरराष्ट्रीय सहयोगी – जो अन्य देशों से थे – कैमरों की ओर हाथ हिलाते और मुस्कुराते नजर आए। उन्होंने 20 दिन बाद पृथ्वी की ताजा हवा में सांस ली।


अब पृथ्वी पर पुनर्वास प्रक्रिया से गुजरेंगे

लैंडिंग के तुरंत बाद सभी अंतरिक्ष यात्रियों की चिकित्सकीय जांच की गई। उन्हें अब सात दिन पृथ्वी पर अलग-थलग रहकर पुनर्वास प्रक्रिया पूरी करनी होगी, जिससे उनका शरीर पुनः पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुसार ढल सके। इसके बाद शुभांशु इसरो के वैज्ञानिकों से विचार-विमर्श करेंगे और भारत लौटने की प्रक्रिया पूरी करेंगे।


मंगल-चंद्रमा अभियानों की दिशा में भारत की मजबूत कदम

शुभांशु की इस यात्रा को भारत के भावी चंद्रमा और मंगल अभियानों की वैज्ञानिक और रणनीतिक नींव माना जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शुभांशु की उपलब्धि पूरे देश के लिए गर्व की बात है और इससे भारत को वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान मंच पर अग्रणी स्थान मिलेगा।



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