October 16, 2025 5:36 AM

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे: 41 साल बाद कोई भारतीय फिर सितारों के बीच

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नई दिल्ली/फ्लोरिडा। भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में 26 जून 2025 को एक नया अध्याय जुड़ गया। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर सफलतापूर्वक कदम रखे हैं। वे ISS पर पहुंचने वाले पहले भारतीय और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं। शुभांशु ने 41 साल पहले 1984 में राकेश शर्मा द्वारा शुरू की गई इस अंतरिक्ष गाथा को एक नई उड़ान दी है।

28 घंटे का अंतरिक्ष सफर, शाम 4:01 बजे पहुंचे ISS

स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से जुड़े ड्रैगन कैप्सूल के ज़रिए शुभांशु सहित कुल चार अंतरिक्ष यात्रियों ने 25 जून को दोपहर 12 बजे अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी थी। 26 जून को शाम 4:01 बजे उनकी यात्रा ने सफलता के साथ पड़ाव पार किया और स्पेस स्टेशन के साथ डॉकिंग हुई। इसके करीब 2 घंटे बाद, 6 बजे स्पेस स्टेशन का हैच खुला और चारों अंतरिक्ष यात्री ISS के अंदर दाखिल हुए।

एक्सियम मिशन-4: निजी और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी का मिशन

यह उड़ान निजी अंतरिक्ष कंपनी एक्सियम स्पेस के मिशन Axiom-4 (Ax-4) का हिस्सा थी, जिसमें पोलैंड, हंगरी और भारत के अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। मिशन में देरी के बावजूद वैज्ञानिक तैयारी और उत्साह में कोई कमी नहीं आई। तकनीकी समस्याओं और मौसम की वजह से इसे छह बार टाला गया, लेकिन अंततः 25 जून को यह ऐतिहासिक उड़ान संभव हो सकी।

शुभांशु का स्पेस से लाइव संदेश: “यह किसी एक की नहीं, हम सबकी जीत है”

ISS पर पहुंचने के कुछ घंटे पहले शुभांशु शुक्ला ने स्पेसक्राफ्ट से एक लाइव वीडियो संदेश साझा किया, जिसमें उनका भावनात्मक स्वरूप झलकता है। उन्होंने कहा:

नमस्ते फ्रॉम स्पेस! मैं यहां एक बच्चे की तरह सीख रहा हूं कि अंतरिक्ष में कैसे चलना है, कैसे खाना है। जब लॉन्च के लिए कैप्सूल में बैठा था, तब केवल यही चाहता था कि अब चल पड़ें। लॉन्च होते ही जैसे किसी ने पीछे धकेल दिया हो, लेकिन फिर अचानक सब शांत हो गया… और मैं तैर रहा था। यह अविश्वसनीय अनुभव है।”

उन्होंने अपने परिवार, वायुसेना, इसरो, एक्सियम मिशन टीम और भारत के नागरिकों का आभार व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने एक सांस्कृतिक प्रतीक ‘हंस’ का भी जिक्र किया, जिसे उन्होंने “बुद्धिमत्ता और शुद्धता का प्रतीक” बताया और कहा कि यह प्रतीक भारत, पोलैंड और हंगरी में समान रूप से महत्व रखता है।

भारत के अंतरिक्ष सफर में नया पड़ाव

शुभांशु का यह मिशन भारत की निजी क्षेत्र की अंतरिक्ष पहल और वैश्विक अंतरिक्ष सहयोग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। वे न केवल एक सैनिक और वैज्ञानिक हैं, बल्कि भारत के भावी अंतरिक्ष मिशनों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन गए हैं।

कौन हैं ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला?

  • भारतीय वायुसेना के पायलट
  • गहन तकनीकी और अंतरिक्ष प्रशिक्षण प्राप्त
  • Axiom मिशन के तहत अंतरिक्ष में गए पहले भारतीय
  • अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों और यात्रियों के साथ काम कर रहे हैं

क्या करेंगे ISS पर?

मिशन के दौरान शुभांशु और उनकी टीम कई वैज्ञानिक प्रयोग, मैन्युअल कंट्रोल प्रशिक्षण, माइक्रोग्रैविटी में जीवन और परफॉर्मेंस संबंधी परीक्षणों पर काम करेंगे। यह मिशन 10 से 14 दिनों तक चल सकता है।


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