आईएसएस से लौटे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, पीएम मोदी से मिले; लोकसभा में होगी विशेष चर्चा
नई दिल्ली। भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषण के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ा है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) तक जाकर भारत का परचम फहराया, रविवार सुबह वतन लौट आए। उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर पूरे देश में गर्व और उत्साह का माहौल है। दिल्ली एयरपोर्ट पर शुभांशु का स्वागत किसी नायक की तरह हुआ। ढोल-नगाड़ों और फूलों की बारिश के बीच केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, इसरो प्रमुख वी. नारायणन, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सहित बड़ी संख्या में लोग उन्हें रिसीव करने पहुंचे। उनकी पत्नी कामना और बेटे कियाश ने भी उन्हें गले लगाकर स्वागत किया।
#WATCH | Group Captain Shubhanshu Shukla, who was the pilot of Axiom-4 Space Mission to the International Space Station (ISS), meets Prime Minister Narendra Modi. pic.twitter.com/0uvclu9V2b
— ANI (@ANI) August 18, 2025
प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात
सोमवार शाम शुभांशु शुक्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। पीएम मोदी ने उन्हें गले लगाकर सम्मानित किया और उनकी उपलब्धियों की सराहना की। इस दौरान शुभांशु ने प्रधानमंत्री को अपने 18 दिनों के अंतरिक्ष अनुभव, वैज्ञानिक प्रयोगों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जानकारी दी। पीएम मोदी ने कहा कि यह उपलब्धि भारत के लिए गर्व का क्षण है और “विकसित भारत 2047” के लक्ष्य में अंतरिक्ष विज्ञान की अहम भूमिका को रेखांकित करती है।

आईएसएस मिशन: 18 दिनों में 60 से अधिक प्रयोग
शुभांशु एक्सिओम-4 मिशन का हिस्सा थे, जो 25 जून को फ्लोरिडा से लॉन्च हुआ और 26 जून को आईएसएस पहुंचा। इस मिशन में उनके साथ अमेरिका की वरिष्ठ अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू भी शामिल थे।
मिशन के दौरान शुभांशु ने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग पूरे किए, जिनमें सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (Microgravity) में मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव, अंतरिक्ष कृषि, और अंतरिक्ष में संचार तकनीकों के परीक्षण जैसे महत्वपूर्ण शोध शामिल थे। इसके अलावा, उन्होंने 20 से अधिक शैक्षणिक और जनसंपर्क (Outreach) सत्र भी आयोजित किए, जिससे वैश्विक स्तर पर भारत की वैज्ञानिक क्षमता का प्रचार-प्रसार हुआ।

एक साल की कठोर तैयारी
आईएसएस मिशन से पहले शुभांशु ने लगभग एक साल तक अमेरिका में कठोर प्रशिक्षण लिया। इस दौरान उन्होंने आपातकालीन स्थितियों से निपटने, अंतरिक्ष में कार्य करने की तकनीक और उन्नत वैज्ञानिक प्रयोगों का अभ्यास किया। उनके साथ ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर भी प्रशिक्षण का हिस्सा रहे, जिन्हें बैकअप अंतरिक्ष यात्री के तौर पर चुना गया था।
लोकसभा में विशेष चर्चा
शुभांशु की वापसी के सम्मान में केंद्र सरकार ने लोकसभा में एक विशेष चर्चा का प्रस्ताव रखा है। इस चर्चा का विषय है—“अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भारत का पहला अंतरिक्ष यात्री—विकसित भारत 2047 के लिए अंतरिक्ष कार्यक्रम की भूमिका।” संसद में यह चर्चा न केवल शुभांशु की उपलब्धि को सम्मानित करेगी, बल्कि भारत की आगामी अंतरिक्ष योजनाओं और रणनीतियों की दिशा तय करने में भी अहम साबित होगी।
शुभांशु की प्रतिक्रिया: “घर लौटकर अच्छा लग रहा”
स्वदेश लौटने पर शुभांशु ने सोशल मीडिया पर लिखा—“धन्यवाद सर। घर वापस आकर निश्चित रूप से अच्छा लग रहा है।” उन्होंने केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के प्रति आभार जताया और कहा कि यह यात्रा न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए गौरवपूर्ण रही।

आगे का कार्यक्रम
प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद शुभांशु अपने गृहनगर लखनऊ जाएंगे। इसके बाद वह 22-23 अगस्त को दिल्ली में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस समारोह में भाग लेंगे। इस मौके पर उनसे अपने अनुभव साझा करने और युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति प्रेरित करने की उम्मीद है।
भारत के लिए क्या मायने रखती है यह सफलता?
शुभांशु की यह यात्रा केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बड़ी छलांग है।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: आईएसएस मिशन ने साबित किया कि भारत वैश्विक अंतरिक्ष विज्ञान में एक अहम साझेदार है।
- वैज्ञानिक प्रगति: 60 से अधिक प्रयोगों ने भारत को नई तकनीक और शोध में बढ़त दिलाई है।
- प्रेरणा का स्रोत: युवाओं और छात्रों के लिए यह मिशन एक नई प्रेरणा है, जो उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
यह उपलब्धि भारत के अंतरिक्ष इतिहास में मील का पत्थर है और इसे “गगनयान मिशन” की दिशा में एक ठोस कदम भी माना जा रहा है।
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