नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि अंतरिक्ष में खाना खाना कितना चुनौतीपूर्ण होता है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि किस तरह अंतरिक्ष में रहने वाले अंतरिक्षयात्री भोजन करते हैं और किन परेशानियों का सामना करते हैं।

शुभांशु का अनुभव: “फिर से खाना खाना सीखना पड़ा”

शुभांशु ने वीडियो के कैप्शन में लिखा, “कभी नहीं सोचा था कि मुझे दोबारा खाना सीखना पड़ेगा। अंतरिक्ष में खाने की आदतें बहुत मायने रखती हैं। अगर आप सचेत नहीं हैं, तो आसानी से गड़बड़ हो सकती है। अंतरिक्ष में रहने का सबसे प्रभावी मंत्र है—‘धीमा ही तेज है’।” इस वीडियो में शुभांशु ने दिखाया कि कैसे कॉफी पीना, पानी पीना और खाने-पीने का सामान संभालना अंतरिक्ष में बेहद सावधानी का काम होता है। गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण खाना हवा में तैर सकता है, और छोटे कण भी जगह-जगह फैल सकते हैं। इसलिए हर चीज को विशेष कंटेनरों और सावधानीपूर्वक पैकिंग के साथ रखा जाता है।

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पाचन प्रक्रिया भी अनोखी

शुभांशु ने बताया कि अंतरिक्ष में पाचन के लिए गुरुत्वाकर्षण की आवश्यकता नहीं होती। उन्होंने कहा, “पेरिस्टलसिस नामक एक प्रक्रिया हमारे पाचन के लिए जिम्मेदार होती है। इसमें गुरुत्वाकर्षण हो या न हो, सिर ऊपर हो या नीचे, आपका शरीर हमेशा भोजन पचाएगा।”

पानी और भोजन का प्रबंधन

शुभांशु ने बताया कि अंतरिक्ष में पानी भी सावधानी से पीना पड़ता है। सामान्य तरीकों से पीने पर पानी तैरने लगता है, इसलिए इसे विशेष पैकेट और स्ट्रॉ से पीया जाता है। इसी तरह भोजन भी पाउच या पैक्ड फूड के रूप में होता है, जिसे अंतरिक्षयात्री सीधे या माइक्रोवेव जैसे विशेष उपकरणों में गर्म करके खाते हैं।

मिशन और उपलब्धियाँ

शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे अंतरिक्षयात्री हैं और अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले भारतीय नागरिक हैं। उन्होंने Ax-4 मिशन के तहत 18 दिन तक ISS पर बिताए। इस दौरान उन्होंने विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान से जुड़े विभिन्न प्रयोगों में भाग लिया और अब हाल ही में पृथ्वी पर लौटे हैं।

अनुभवों की अनोखी झलक

शुभांशु का कहना है कि अंतरिक्ष में जीवन केवल रोमांचक ही नहीं, बल्कि चुनौतीपूर्ण भी होता है। वहां रहने से न केवल भोजन और पाचन की आदतें बदलती हैं, बल्कि जीवन के छोटे-छोटे काम भी बहुत सावधानी और अनुशासन की मांग करते हैं। शुभांशु ने यह भी साझा किया कि अंतरिक्ष में समय का अनुभव, भोजन का आनंद और दैनिक गतिविधियाँ बिल्कुल पृथ्वी से अलग होती हैं, और इन्हें समझना और अपनाना ही सफल मिशन की कुंजी है। उनका यह वीडियो दर्शकों और युवा अंतरिक्ष उत्साही लोगों के लिए भी प्रेरणादायक है, क्योंकि इससे पता चलता है कि अंतरिक्ष में जीवन कितना अनूठा और चुनौतीपूर्ण होता है, और भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों ने इसे कैसे अपनाया।