एसआईटी जांच में बड़ा खुलासा: लैब टेस्टिंग के बिना ही बाजार में पहुंचाई गई दवा, 25 बच्चों की मौत से हड़कंप
श्रेसन फार्मा ने बिना परीक्षण के बेचा जहरीला कोल्ड्रफ सिरप, 25 बच्चों की मौत से हड़कंप
छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश में 25 बच्चों की मौत से जुड़ा कोल्ड्रफ कफ सिरप मामला अब एक गंभीर मोड़ पर पहुंच गया है। विशेष जांच दल (एसआईटी) की ताजा रिपोर्ट ने इस त्रासदी के पीछे की सच्चाई उजागर कर दी है। जांच में यह खुलासा हुआ है कि श्रेसन फार्मा कंपनी ने कोल्ड्रफ सिरप को बिना किसी लैब परीक्षण के सीधे बाजार में उतारा था। यह वही सिरप है, जिसके सेवन से दर्जनों मासूमों की जान चली गई थी।
सूत्रों के अनुसार, कंपनी की केमिकल एनालिस्ट के. माहेश्वरी ने पूछताछ में यह स्वीकार किया है कि कंपनी में दवाओं की जांच के लिए पर्याप्त लैब सुविधा उपलब्ध ही नहीं थी। केवल कुछ सीमित दवाओं की औपचारिक टेस्टिंग होती थी, जबकि कोल्ड्रफ सिरप को बिना किसी वैज्ञानिक परीक्षण के तैयार कर बाजार में भेज दिया गया।
फर्जीवाड़ा का खुलासा: लैब सुविधा के नाम पर दिखावा
जांच में सामने आया कि श्रेसन फार्मा की प्रयोगशाला में न तो पूर्ण रूप से कार्यरत परीक्षण उपकरण थे और न ही दवा की गुणवत्ता मापने के लिए योग्य विशेषज्ञों की टीम। केमिकल एनालिस्ट माहेश्वरी ने कबूल किया कि कंपनी में लैब टेस्टिंग का पूरा ढांचा “कागजों पर” चल रहा था। यानी फार्मा कंपनी ने परीक्षण रिपोर्टों को भी फर्जी तरीके से तैयार किया और उन्हें ड्रग विभाग को प्रस्तुत किया।
एसआईटी सूत्रों के मुताबिक, कोल्ड्रफ सिरप में अत्यधिक मात्रा में डाईइथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया था — यही रसायन बच्चों की मौत का मुख्य कारण बना। यह रासायनिक तत्व आमतौर पर औद्योगिक उपयोग में लाया जाता है और मानव शरीर के लिए अत्यंत विषैला होता है।
ड्रग विभाग की लापरवाही भी उजागर
एसआईटी रिपोर्ट ने सिर्फ कंपनी को नहीं, बल्कि राज्य के ड्रग डिपार्टमेंट की लापरवाही को भी कठघरे में खड़ा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, विभाग ने न तो नियमित निरीक्षण किया, न ही उत्पादन प्रक्रिया की गुणवत्ता जांची। कई बार निरीक्षण के नाम पर केवल दस्तावेजों की औपचारिक जांच की गई और वास्तविक सैंपलिंग से परहेज किया गया।
जांच अधिकारियों ने यह भी पाया कि विभागीय अधिकारियों को बार-बार चेतावनी और शिकायतें मिल रही थीं, फिर भी उन्होंने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इस कारण जहरीले सिरप का उत्पादन और वितरण लगातार चलता रहा।
एसआईटी की पूछताछ: रंगनाथन और माहेश्वरी आमने-सामने
एसआईटी ने इस मामले में कंपनी के मालिक गोविंदन रंगनाथन को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की। जांच टीम उसे पिछले सप्ताह तमिलनाडु लेकर गई थी, जहां से महत्वपूर्ण दस्तावेज और साक्ष्य जुटाए गए। शुक्रवार शाम को टीम के छिंदवाड़ा लौटने के बाद, देर रात तक रंगनाथन और माहेश्वरी को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की गई।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, पूछताछ के दौरान माहेश्वरी ने कई अहम जानकारियां दीं, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि कंपनी का सारा संचालन रंगनाथन के निर्देश पर होता था और वह जानबूझकर लैब परीक्षण प्रक्रिया को टालता रहा।
अदालत में पेशी और रिमांड की स्थिति
तीन दिन की पुलिस रिमांड समाप्त होने के बाद शनिवार को आरोपी केमिकल एनालिस्ट के. माहेश्वरी को न्यायालय में पेश किया गया। अदालत ने उसे जिला जेल भेजने के आदेश दिए हैं। वहीं, कंपनी मालिक गोविंदन रंगनाथन की पुलिस रिमांड 20 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है ताकि जांच दल उससे और पूछताछ कर सके।
सूत्रों के अनुसार, एसआईटी टीम अब इस बात की तह तक जा रही है कि श्रेसन फार्मा को लाइसेंस देने और उसकी नियमित निगरानी में किन अधिकारियों की भूमिका रही। जांच दल उन सभी अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की तैयारी में है, जिन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाने में लापरवाही की।
जनआक्रोश और जवाबदेही की मांग
25 मासूम बच्चों की मौत से पूरे प्रदेश में जनआक्रोश व्याप्त है। पीड़ित परिवारों ने मांग की है कि दोषियों को सख्त सजा दी जाए और इस तरह की लापरवाही के लिए जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाए।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते लैब टेस्टिंग की जाती और गुणवत्ता प्रमाणन सही तरीके से होता, तो यह त्रासदी टाली जा सकती थी।
प्रदेश सरकार ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच के आदेश पहले ही जारी कर दिए हैं और अब एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
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