बिचोलिम (गोवा)। गोवा के शिरगांव गांव में आयोजित श्री लैराई जात्रा के दौरान शुक्रवार रात एक भीषण भगदड़ में 7 श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 50 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इस हादसे की जानकारी शनिवार सुबह सामने आई। घायलों में 20 की हालत गंभीर बताई जा रही है। मृतकों की संख्या बढ़ सकती है।
करंट लगने से मची अफरा-तफरी, ढलान पर लोग गिरते चले गए
शुक्रवार शाम को जब भारी संख्या में श्रद्धालु मंदिर की ओर बढ़ रहे थे, तभी एक दुकान के पास खुले बिजली के तार से करंट लगने की घटना हुई। इससे कुछ लोग ज़मीन पर गिर पड़े। इस बीच पीछे से आ रही भीड़ में दहशत फैल गई और लोग एक-दूसरे पर गिरते चले गए। हादसे की गंभीरता तब और बढ़ गई जब ढलान पर संतुलन बिगड़ने से एक के बाद एक लोग कुचलते और गिरते चले गए।
भीड़ नियंत्रण में प्रशासन की नाकामी
पुलिस के अनुसार, यात्रा में 30 से 40 हजार श्रद्धालु महाराष्ट्र, कर्नाटक और गोवा के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे थे। लेकिन भीड़ प्रबंधन के लिए सिर्फ 1,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी। यद्यपि ड्रोन से निगरानी की जा रही थी, फिजिकल क्राउड कंट्रोल की बड़ी चूक सामने आई है। हादसे के बाद मौके पर राहत और बचाव कार्य तेज़ी से शुरू किया गया, लेकिन भीड़ के कारण व्यवस्था बिखरती चली गई।

मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने हादसे पर दुख व्यक्त करते हुए घायलों से अस्पताल में मुलाकात की और हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने हादसे की जांच के आदेश भी दिए हैं। सावंत ने कहा, “यह गोवा के लिए पहली बार ऐसी त्रासदी है। मैं खुद मौके पर मौजूद हूं और स्थिति की निगरानी कर रहा हूं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुख्यमंत्री से फोन पर बात कर पूरी स्थिति की जानकारी ली और केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया।
विपक्ष ने जताया दुख
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस हादसे पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने एक्स पर लिखा, “गोवा के शिरगांव स्थित लैराई देवी मंदिर में भगदड़ में श्रद्धालुओं की मौत की खबर बेहद दुखद है। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।”
श्री लैराई जात्रा: आस्था का उत्सव, बन गया मातम
श्री लैराई जात्रा, नॉर्थ गोवा के बिचोलिम तालुका के शिरगांव गांव में हर साल अप्रैल-मई में आयोजित होती है। इसमें हजारों श्रद्धालु देवी लैराई के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस बार यह 2 मई की शाम से 3 मई की सुबह तक आयोजित की गई थी। लेकिन उत्सव की इस पवित्र घड़ी में जो हादसा हुआ, उसने संपूर्ण गोवा को शोक में डुबो दिया।
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