झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार, नेमरा गांव में दी गई अंतिम विदाई
रांची। झारखंड की राजनीति के भीष्म पितामह और आदिवासी अस्मिता के प्रतीक शिबू सोरेन का मंगलवार को उनके पैतृक गांव नेमरा (रामगढ़) में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। उन्हें उनके छोटे बेटे बसंत सोरेन ने मुखाग्नि दी। अंतिम दर्शन के लिए राजधानी रांची से लेकर दूरदराज के गांवों तक से हजारों की संख्या में लोग उमड़े।
हजारों लोगों ने दी अंतिम विदाई, मोरहाबादी आवास पर उमड़ा जनसैलाब
मंगलवार सुबह से ही राजधानी रांची स्थित मोरहाबादी स्थित उनके आवास पर लोगों की भीड़ उमड़ने लगी। गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध शिबू सोरेन के अंतिम दर्शन के लिए आमजन के साथ-साथ राजनीतिक दलों के नेता, कार्यकर्ता और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि पहुंचे। लोगों ने उन्हें फूलों की माला और नम आंखों से श्रद्धांजलि दी।
विधानसभा में रखा गया पार्थिव शरीर, फिर रवाना हुआ शव यात्रा
मोरहाबादी आवास से उनका पार्थिव शरीर झारखंड विधानसभा ले जाया गया, जहां विधायकों, मंत्रियों और अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। इसके बाद उनका पार्थिव शरीर रामगढ़ जिले के नेमरा गांव ले जाया गया, जहां शाम को अंतिम संस्कार की रस्में पूरी की गईं।
राजनीतिक और सामाजिक जगत ने दी श्रद्धांजलि
पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन, पूर्णिया सांसद पप्पू यादव, और आप सांसद संजय सिंह जैसे कई नेता अंतिम संस्कार में शामिल हुए। पप्पू यादव ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि शिबू सोरेन को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए, क्योंकि वे आदिवासी अस्मिता और संघर्ष के प्रतीक थे।
बेटे और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जताया गहरा शोक
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, जो शिबू सोरेन के बेटे हैं, ने पिता के निधन पर एक भावुक संदेश साझा किया। उन्होंने लिखा:
“मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुजर रहा हूं। मेरे सिर से सिर्फ पिता का साया नहीं गया, झारखंड की आत्मा का स्तंभ चला गया। मैं उन्हें सिर्फ ‘बाबा’ नहीं कहता था, वे मेरे पथप्रदर्शक थे, मेरे विचारों की जड़ें थे और उस जंगल जैसी छाया थे, जिसने हजारों-लाखों झारखंडियों को धूप और अन्याय से बचाया।”
दिल्ली में हुआ था निधन
सोमवार सुबह 8:56 बजे, शिबू सोरेन ने दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली थी। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और अस्पताल में इलाजरत थे।
शिबू सोरेन: एक संघर्षशील जीवन की गाथा
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और संरक्षक रहे।
तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने।
केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे।
उन्हें आदिवासी अधिकारों और जल-जंगल-जमीन के लिए लड़ाई का प्रतीक माना जाता है।
शिबू सोरेन का जीवन आदिवासी पहचान और हक की लड़ाई में बीता।
उनका निधन सिर्फ एक राजनीतिक शून्य नहीं, बल्कि झारखंड की आत्मा का विदा होना है।
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