वॉशिंगटन/नई दिल्ली।
कांग्रेस सांसद डॉ. शशि थरूर एक बार फिर अपनी बेबाक राय और राष्ट्रहित की प्राथमिकता को लेकर सुर्खियों में हैं। अमेरिकी दौरे पर गए थरूर ने गुरुवार को पार्टी लाइन से हटकर कई बयान दिए, जिन्हें लेकर कांग्रेस के भीतर असहमति गहराती जा रही है। उन्होंने साफ कहा कि सीमा पार करते ही हम सबसे पहले भारतीय होते हैं, और अगर राष्ट्रहित में बोलना पार्टी विरोध है, तो नेताओं को खुद से सवाल पूछना चाहिए।
राष्ट्रहित बनाम पार्टी लाइन: थरूर का स्पष्ट संकेत
जब शशि थरूर से पूछा गया कि क्या वे कांग्रेस छोड़ने की सोच रहे हैं, तो उन्होंने इस सवाल को खारिज करते हुए कहा—
“जब आप देश की सेवा कर रहे हों, तब ऐसी बातों की परवाह नहीं करनी चाहिए। हमारी राजनीति भारत की सीमा तक सीमित है। बाहर हम सब भारतीय हैं।”
यह बयान ऐसे समय आया है जब कांग्रेस कार्यसमिति के कई नेता उन्हें लेकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
I am honoured by the invitation of the government of India to lead an all-party delegation to five key capitals, to present our nation’s point of view on recent events.
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) May 17, 2025
When national interest is involved, and my services are required, I will not be found wanting.
Jai Hind! 🇮🇳 pic.twitter.com/b4Qjd12cN9
ऑपरेशन सिंदूर पर केंद्र का पक्ष रखने अमेरिका पहुंचे थरूर
शशि थरूर मोदी सरकार द्वारा गठित मल्टी-पार्टी डेलीगेशन का हिस्सा हैं, जो ऑपरेशन सिंदूर पर दुनिया भर में भारत का पक्ष रख रहा है। भारत सरकार ने 7 ऐसे डेलीगेशन गठित किए हैं, जो अमेरिका, ब्राजील, पनामा, कोलंबिया और अन्य देशों में जाकर आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई और ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी साझा करेंगे।
थरूर इस डेलीगेशन के नेता हैं। इसमें भाजपा, लोजपा, TDP, शिवसेना, JMM सहित विभिन्न दलों के सांसद भी शामिल हैं। खास बात यह है कि केंद्र ने कांग्रेस से थरूर का नाम लिया, जबकि कांग्रेस ने दूसरे नाम सुझाए थे।
थरूर की तारीफ, कांग्रेस की नाराजगी
थरूर ने 8 मई को ऑपरेशन सिंदूर को लेकर केंद्र सरकार की खुलकर तारीफ की थी। उन्होंने कहा था—
“भारत ने आतंकियों के खिलाफ सटीक और सशक्त कार्रवाई की। यह न केवल पाकिस्तान, बल्कि दुनिया को भी एक स्पष्ट संदेश है।”
इसके बाद से कांग्रेस के भीतर थरूर को लेकर विरोध के सुर तेज हो गए। कांग्रेस कार्यसमिति की 14 मई की बैठक में कई नेताओं ने अप्रत्यक्ष रूप से थरूर पर निशाना साधते हुए कहा कि यह व्यक्तिगत बयान देने का समय नहीं, बल्कि पार्टी के आधिकारिक रुख को सार्वजनिक करने का वक्त है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया: थरूर ने पार की ‘लक्ष्मण रेखा’
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि केंद्र सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता विपक्ष राहुल गांधी से विदेश भेजे जाने वाले सांसदों के चार नाम मांगे थे।
कांग्रेस ने आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नसीर हुसैन और राजा बरार के नाम दिए, लेकिन सरकार ने इन नामों की अनदेखी कर थरूर को चुना। यह निर्णय कांग्रेस नेतृत्व को नागवार गुज़रा।
थरूर की सफाई और राष्ट्रहित की प्राथमिकता
इस पूरे विवाद पर थरूर ने सफाई देते हुए कहा कि वे केंद्र सरकार के निमंत्रण को सम्मान की तरह देखते हैं। उन्होंने X पर लिखा—
“मैं भारत सरकार के आमंत्रण पर पांच प्रमुख देशों की राजधानियों में हमारे देश का दृष्टिकोण रखने वाले डेलीगेशन का नेतृत्व कर रहा हूं। जब देश की बात हो और मेरी सेवाएं मांगी जाएं, तो मैं पीछे नहीं हटता।”
ट्रंप के बयान पर भी बोले थरूर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाक के बीच मध्यस्थता की पेशकश पर थरूर ने संयमित प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा—
“मैं यहां किसी विवाद को हवा देने नहीं आया हूं। हमें नहीं पता ट्रंप ने पाकिस्तान से क्या कहा, लेकिन हमें किसी की सलाह की जरूरत नहीं थी। भारत ने साफ कहा था— अगर पाकिस्तान हमला करेगा, तो जवाब और कड़ा होगा; अगर वह रुकेगा, तो हम भी रुकेंगे।”
शशि थरूर की इस पूरी गतिविधि ने भारतीय राजनीति में राष्ट्रवाद बनाम पार्टी प्रतिबद्धता की एक नई बहस को जन्म दे दिया है। जहां एक ओर वे केंद्र सरकार के कूटनीतिक प्रयासों के समर्थन में खड़े हैं, वहीं कांग्रेस के भीतर उन्हें लेकर असहजता बढ़ती जा रही है। थरूर अब उस सीमारेखा पर खड़े हैं, जहां राष्ट्रहित और पार्टी लाइन टकराती दिख रही है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!