शशि थरूर के वंशवाद बयान से सियासी तूफान, कांग्रेस में नाराज़गी और भाजपा ने किया समर्थन

नई दिल्ली, 5 नवंबर (हि.स.)। कांग्रेस सांसद शशि थरूर द्वारा वंशवादी राजनीति को लेकर दिए गए बयान से राजनीतिक गलियारों में हंगामा मच गया है। एक लेख में थरूर ने भारत की राजनीति को “फैमिली बिजनेस” बताते हुए नेहरू-गांधी परिवार सहित कई राजनीतिक घरानों पर निशाना साधा। इस बयान के बाद कांग्रेस पार्टी बचाव की मुद्रा में आ गई, जबकि भाजपा ने इसे कांग्रेस के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हुए राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व पर हमला बोल दिया।

थरूर का बयान बना विवाद का कारण

दरअसल, शशि थरूर ने अपने एक लेख “Indian Politics Are a Family Business” में लिखा कि भारत की राजनीति धीरे-धीरे एक पारिवारिक व्यवसाय में तब्दील होती जा रही है। उन्होंने कहा कि नेहरू-गांधी परिवार भारत का सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवार है, जिसकी विरासत आज़ादी के आंदोलन से जुड़ी रही है। लेकिन इस वंश परंपरा ने यह धारणा पैदा कर दी है कि राजनीति कुछ परिवारों का जन्मसिद्ध अधिकार है।

थरूर ने अपने लेख में लिखा कि “वंशवादी राजनीति भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है। जब राजनीतिक सत्ता काबिलियत, समर्पण या जमीनी जुड़ाव के बजाय खानदान से तय होती है, तो प्रशासन की गुणवत्ता गिर जाती है। जब उम्मीदवार की मुख्य योग्यता सिर्फ उसका उपनाम बन जाती है, तो लोकतंत्र कमजोर होता है।”

उन्होंने अपने लेख में सिर्फ कांग्रेस का ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों के राजनीतिक परिवारों जैसे अब्दुल्ला, मुफ्ती, पटनायक, ठाकरे, पासवान, तेजस्वी यादव, बादल और करुणानिधि परिवारों का भी उल्लेख किया।

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कांग्रेस में असहजता, नेताओं ने दी प्रतिक्रिया

थरूर के इस बयान से कांग्रेस के भीतर असहजता फैल गई है। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि “पंडित जवाहरलाल नेहरू इस देश के सबसे सक्षम प्रधानमंत्री थे। इंदिरा गांधी ने अपने प्राणों की आहुति देकर अपनी निष्ठा साबित की, और राजीव गांधी ने भी बलिदान देकर देश की सेवा की। ऐसे में गांधी परिवार पर वंशवाद का आरोप लगाना अनुचित है। क्या किसी और पार्टी में ऐसा बलिदान दिखा है?”

वहीं कांग्रेस नेता उदित राज ने भी गांधी परिवार का बचाव करते हुए कहा कि राजनीति में वंश परंपरा कोई असामान्य बात नहीं है। “एक डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनता है, एक बिजनेसमैन का बेटा बिजनेसमैन बनता है, तो एक राजनेता का बेटा राजनीति में आए तो इसमें गलत क्या है? राजनीति समाज का ही आईना है।”

उदित राज ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि “अगर भाजपा वंशवाद की आलोचना करती है तो पहले अमित शाह और ममता बनर्जी जैसे नेताओं को देखें, जिन्होंने अपने परिजनों को राजनीति में लाने का रास्ता खुला रखा है।”

भाजपा ने थरूर को बताया “साहसी”, कांग्रेस पर साधा निशाना

इस पूरे विवाद पर भाजपा ने थरूर के बयान का स्वागत किया और कांग्रेस पर तंज कसा। भाजपा प्रवक्ता शहजाद जयहिंद ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, “शशि थरूर ने भारत के असली नेपो किड राहुल गांधी और छोटे नेपो किड तेजस्वी यादव पर सीधा हमला बोला है। थरूर अब ‘खतरों के खिलाड़ी’ बन गए हैं। कांग्रेस की ‘फर्स्ट फैमिली’ अपने आलोचकों को कभी माफ नहीं करती, सर आपके लिए प्रार्थना कर रहा हूं।”

भाजपा नेताओं का कहना है कि थरूर का बयान कांग्रेस के अंदर की विचारधारात्मक दरार को उजागर करता है। भाजपा के अनुसार, थरूर जैसे वरिष्ठ नेता का यह स्वीकार करना कि राजनीति में परिवारवाद हावी है, कांग्रेस की सोच पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है।

कांग्रेस नेतृत्व मौन, बढ़ी राजनीतिक गर्मी

हालांकि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि थरूर के बयान को “गैर जिम्मेदाराना” बताया गया है और इस पर अंदरखाने नाराज़गी जताई गई है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि थरूर का यह लेख सिर्फ एक टिप्पणी नहीं बल्कि एक आंतरिक असहमति का प्रतीक है। वह लंबे समय से कांग्रेस के भीतर वैचारिक स्वतंत्रता और जवाबदेही की जरूरत पर बल देते रहे हैं। इस बार उनके बयान ने भाजपा को राजनीतिक बढ़त दे दी है, जो पहले से ही कांग्रेस पर “वंशवादी पार्टी” का आरोप लगाती रही है।

“वंशवाद बनाम योग्यता” की बहस दोबारा शुरू

शशि थरूर की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब कांग्रेस देशभर में नए सिरे से संगठन खड़ा करने की कोशिश में जुटी है। यह बयान पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकता है, क्योंकि भाजपा लगातार गांधी परिवार को लेकर “वंशवाद” का मुद्दा उछालती रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह विवाद आने वाले दिनों में और गहराएगा क्योंकि इससे “योग्यता बनाम वंशवाद” की बहस दोबारा छिड़ गई है।