राहुल गांधी से मुलाकात कर जताई नाराजगी, बोले- पार्टी में मुझे किया जा रहा अनदेखा
नई दिल्ली। केरल में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की सरकार की नीतियों की सराहना के बाद कांग्रेस नेता शशि थरूर और पार्टी नेतृत्व के बीच तनाव बढ़ गया है। इस बीच, शनिवार को थरूर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा करते हुए अप्रत्यक्ष रूप से अपनी स्थिति को लेकर नाराजगी जाहिर की।
थरूर ने ब्रिटिश कवि थॉमस ग्रे की कविता ओड ऑन ए डिस्टेंट प्रॉस्पेक्ट ऑफ ईटन कॉलेज से एक उद्धरण शेयर किया, जिसमें लिखा था— जहां लोगों को अज्ञानता में खुशी मिलती है, वहां बुद्धिमानी दिखाना मूर्खता है। इस पोस्ट को उनकी मौजूदा राजनीतिक स्थिति से जोड़कर देखा जा रहा है।
राहुल गांधी से मुलाकात में जताई नाराजगी
थरूर ने 18 फरवरी को दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की थी, जहां उन्होंने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें पार्टी में नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई कि संसद में महत्वपूर्ण बहसों के दौरान उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया जाता।
उन्होंने यह भी कहा कि वह अपनी भूमिका को लेकर असमंजस में हैं और चाहते हैं कि राहुल गांधी उनकी स्थिति को स्पष्ट करें। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राहुल गांधी ने उनकी शिकायतों पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया। इससे थरूर को महसूस हुआ कि पार्टी इस मुद्दे पर कोई विशेष कदम उठाने के मूड में नहीं है।
पिनराई विजयन की नीतियों की सराहना बनी विवाद की जड़
थरूर हाल ही में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की नीतियों की प्रशंसा कर चुके हैं। इससे कांग्रेस के कुछ नेताओं में नाराजगी देखी गई, क्योंकि विजयन लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के नेता हैं, जो कांग्रेस की विरोधी पार्टी मानी जाती है।
पार्टी में उनकी लगातार अनदेखी और विवादित बयानों के कारण यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या थरूर पार्टी नेतृत्व से असंतुष्ट हैं और क्या यह उनके राजनीतिक भविष्य के लिए कोई नया संकेत है। हालांकि, उन्होंने अब तक कांग्रेस छोड़ने को लेकर कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है।
थरूर की कांग्रेस में स्थिति पर सवाल
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शशि थरूर कांग्रेस में एक वरिष्ठ और बौद्धिक नेता के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन पार्टी में उनकी स्थिति को लेकर लगातार असमंजस बना हुआ है। कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के बाद से उन्हें पार्टी में हाशिए पर डालने की खबरें आती रही हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस नेतृत्व इस मसले पर क्या रुख अपनाता है और क्या थरूर पार्टी में अपनी भूमिका को लेकर कोई बड़ा फैसला लेते हैं।