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नई दिल्ली, 22 सितंबर।
हिंदू धर्म में शक्ति की आराधना का सबसे बड़ा पर्व शारदीय नवरात्रि इस वर्ष 22 सितंबर 2025 से प्रारंभ हो रहा है। नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में श्रद्धालु मां दुर्गा और उनके नौ दिव्य स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं। यह समय साधना, तपस्या और भक्ति का होता है। माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान की गई पूजा और उपाय साधक को विशेष फल देते हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि श्रद्धा और पूर्ण विश्वास के साथ व्रत-पूजन किया जाए तो माता रानी हर दुख हर लेती हैं और साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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नवरात्रि की कथा

नवरात्रि का संबंध देवी दुर्गा और असुर महिषासुर से जुड़ा है। पुराणों के अनुसार, महिषासुर ने वर्षों की तपस्या करके ब्रह्माजी से वरदान पाया था कि उसे कोई पुरुष या देवता नहीं मार सकेगा। इस वरदान से अहंकारी होकर वह देवताओं और मनुष्यों पर अत्याचार करने लगा। तब सभी देवताओं की शक्तियों के सम्मिलन से आदि शक्ति मां दुर्गा प्रकट हुईं।

मां दुर्गा ने महिषासुर के साथ लगातार नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर दिया। तभी से नवरात्रि पर्व की परंपरा चली आ रही है। विजयादशमी इसी जीत का प्रतीक है, जब सत्य की असत्य पर और धर्म की अधर्म पर विजय हुई थी।


नवरात्रि व्रत का महत्व

नवरात्रि व्रत केवल एक धार्मिक कर्मकांड नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और आंतरिक शक्ति को जागृत करने का अवसर है।

  • व्रत रखने से शरीर शुद्ध होता है और मन में सात्त्विक भावनाएं आती हैं।
  • यह व्रत साधक के जीवन में आत्मविश्वास, धैर्य और साहस का संचार करता है।
  • माना जाता है कि नवरात्रि का व्रत रखने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और घर में शांति बनी रहती है।
  • विशेषकर कन्याओं का पूजन करने से मां दुर्गा की कृपा और भी शीघ्र प्राप्त होती है।

देवी को प्रसन्न करने के लिए क्या करें पाठ

नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए कई प्रकार के पाठ और स्तोत्र बताए गए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं :

  1. दुर्गा सप्तशती पाठ – यह सबसे प्रभावी और व्यापक माना जाता है। इसमें 700 श्लोक हैं, जो तीन भागों में विभाजित हैं।
  2. दुर्गा चालीसा – सरल भाषा में रचा गया यह स्तोत्र भक्तों को मां दुर्गा के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव देता है।
  3. ललिता सहस्रनाम स्तोत्र – देवी के सहस्र नामों का पाठ करने से हर कष्ट दूर होता है।
  4. अथर्वशीर्ष और अर्गला स्तोत्र – यह भी देवी की कृपा पाने के अत्यंत प्रभावी उपाय माने जाते हैं।

नवरात्रि में अपनाएं ये अचूक उपाय

1. अखंड ज्योत जलाएं

नवरात्रि में अखंड ज्योत जलाने का विशेष महत्व है। नौ दिनों तक निरंतर जलती रहने वाली दीपशिखा नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और घर में सकारात्मक वातावरण लाती है। यह दीपक मां दुर्गा के प्रति आपकी भक्ति और संकल्प का प्रतीक है। मान्यता है कि अखंड ज्योत से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।

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2. नवार्ण मंत्र का जाप

नवरात्रि मंत्र साधना के लिए उत्तम समय है। देवी का सबसे शक्तिशाली मंत्र है –
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
इसे नवार्ण मंत्र कहा जाता है। रुद्राक्ष की माला से प्रतिदिन कम से कम 108 बार इसका जाप करने से साधक को बल, बुद्धि, धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। यह मंत्र हर प्रकार के संकट से रक्षा करता है।

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3. श्रृंगार का सामान अर्पित करें

मां दुर्गा को श्रृंगार प्रिय है। नवरात्रि में माता को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसमें लाल चुनरी, सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां, मेहंदी, इत्र और कंघी शामिल होती हैं। ऐसा करने से देवी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और भक्त को अखंड सौभाग्य, दीर्घायु और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

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4. कन्या पूजन करें

अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। नौ छोटी कन्याओं को घर बुलाकर उन्हें भोजन कराना और उपहार देना मां दुर्गा को सबसे प्रिय है। इसे करने से साधक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और माता की कृपा घर-परिवार पर बनी रहती है।

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5. नवरात्रि में हवन का महत्व

नवरात्रि में नौ दिनों की पूजा-अर्चना के बाद हवन (यज्ञ) करने की विशेष परंपरा है। शास्त्रों के अनुसार हवन अग्नि के माध्यम से देवताओं तक आहुति पहुँचाने की प्रक्रिया है। यह केवल धार्मिक कर्म नहीं बल्कि वातावरण को शुद्ध और ऊर्जा से भरने का साधन भी है।

  • हवन करने से घर की नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • माना जाता है कि हवन की अग्नि में डाली गई आहुति सीधे देवी-देवताओं तक पहुंचती है और साधक की प्रार्थना स्वीकार होती है।
  • नवरात्रि के अंतिम दिन हवन करने से पूरे नौ दिनों की साधना पूर्ण मानी जाती है।
  • हवन में मुख्य रूप से गी, जौ, तिल, नवधान्य, कपूर और देवी के प्रिय पुष्प अर्पित किए जाते हैं।

हवन मंत्र और लाभ

हवन के समय “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा” मंत्र का उच्चारण करते हुए आहुति देने से देवी दुर्गा अत्यंत प्रसन्न होती हैं। इससे साधक के जीवन में समृद्धि, शांति और शक्ति का संचार होता है।

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शारदीय नवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व

नवरात्रि केवल देवी की पूजा-अर्चना का पर्व नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक जागरण का महोत्सव है। नौ दिन साधना और भक्ति से मनुष्य अपने भीतर छिपी शक्ति को पहचानता है। यह पर्व संदेश देता है कि यदि श्रद्धा और आत्मविश्वास हो तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।