इस्लामाबाद।
पाकिस्तान सरकार ने आखिरकार उस सच्चाई को स्वीकार कर लिया है जिसे अब तक नकारा जा रहा था। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सार्वजनिक रूप से माना है कि भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी, जिसमें नौ एयरबेस को गंभीर नुकसान पहुंचा।
शहबाज शरीफ ने बताया कि 10 मई की रात लगभग 2:30 बजे पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने उन्हें सेफ लाइन पर कॉल करके जानकारी दी थी कि भारत ने रावलपिंडी स्थित नूर खान एयरबेस पर मिसाइलों से हमला किया है। इस हमले में एयरबेस के कई हिस्से तबाह हो गए हैं। इसके अलावा रहीम यार खान, सरगोधा और पंजाब के अन्य सैन्य ठिकानों पर भी हमले हुए।
लगातार झूठ बोलता रहा पाकिस्तान
भारत के इन जवाबी हमलों के बाद भी पाकिस्तान सरकार और उसके सैन्य प्रवक्ता बार-बार हमलों को नकारते रहे। संसद में भी पाकिस्तान के विदेश मंत्री समेत कई नेताओं ने उल्टा दावा किया कि भारत को भारी नुकसान हुआ है और पाकिस्तान की ओर कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।
लेकिन हकीकत ये है कि भारतीय सेना ने पहलगाम के अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले के बाद ठोस कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान की धरती पर मौजूद आतंकियों के अड्डों को तो निशाना बनाया ही, साथ ही पाकिस्तान के रक्षा ढांचे को भी झटका दिया।

11 में से 9 एयरबेस हुए क्षतिग्रस्त
भारतीय सैन्य कार्रवाई में कुल 11 प्रमुख एयरबेस टारगेट पर थे, जिनमें से 9 को गंभीर नुकसान हुआ। इनमें रावलपिंडी का नूर खान एयरबेस, रहीम यार खान, सरगोधा, मियांवाली, बहावलपुर, मुल्तान जैसे रणनीतिक सैन्य अड्डे शामिल हैं। भारत ने इन ठिकानों पर बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल करते हुए अत्यंत सटीक और सीमित लेकिन प्रभावशाली हमले किए।
‘द पैट्रियट’ की रिपोर्ट से हुआ खुलासा
पाकिस्तानी अखबार द पैट्रियट के मुताबिक शुक्रवार रात प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने यह जानकारी दी कि सेना प्रमुख की सूचना के बाद वे खुद आपात सुरक्षा बैठक में शामिल हुए थे। हालांकि उन्होंने इस स्वीकारोक्ति को “राष्ट्रीय एकजुटता” के लिए उठाया गया कदम बताया, लेकिन इसे पाकिस्तान की रणनीतिक चूक और भारतीय सैन्य क्षमता के प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है।
भारत की चुप्पी, लेकिन कार्रवाई साफ़
भारत सरकार की ओर से इन हमलों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कूटनीतिक गलियारों में इस सैन्य ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन सिंदूर – पार्ट 2’ कहा जा रहा है। सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि भारत की यह रणनीति अब बदली हुई है— “घातक हमला, लेकिन बिना शोर के।”
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