एसबीआई आईपीओ के जरिए बेचेगा एसबीआईएफएमएल में 6.3% हिस्सेदारी, बोर्ड की मंजूरी — 2026 में लिस्टिंग की तैयारी

नई दिल्ली।
देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अपनी निवेश शाखा एसबीआई फंड्स मैनेजमेंट लिमिटेड (SBIFML) में हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है। बैंक आईपीओ (Initial Public Offering) के जरिए कंपनी में अपनी 6.3 प्रतिशत हिस्सेदारी यानी करीब 3.20 करोड़ इक्विटी शेयर बाजार में उतारेगा। इस प्रस्ताव को एसबीआई के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से मंजूरी मिल चुकी है।

विदेशी पार्टनर आमुंडी भी बेचेगा अपनी हिस्सेदारी

एसबीआईएफएमएल में विदेशी साझेदार Amundi India Holding भी अपनी 3.7 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने जा रहा है। इस तरह दोनों कंपनियों की कुल 10 प्रतिशत हिस्सेदारी यानी लगभग 5.09 करोड़ शेयर इस आईपीओ के माध्यम से निवेशकों के लिए उपलब्ध होंगे।

यह प्रस्तावित आईपीओ SBI और Amundi India Holding का संयुक्त उपक्रम होगा, जो देश की वित्तीय प्रणाली में एक और बड़ी सार्वजनिक पेशकश (Public Issue) जोड़ने जा रहा है।

रेगुलेटरी अप्रूवल के बाद होगी लिस्टिंग

बैंक ने कहा है कि यह बिक्री पूरी तरह से रेगुलेटरी अप्रूवल पर निर्भर करेगी। सभी जरूरी अनुमोदन मिलने के बाद आईपीओ की प्रक्रिया 2026 तक पूरी की जाएगी। इस लिस्टिंग के बाद SBIFML एसबीआई समूह की तीसरी कंपनी होगी जो शेयर बाजार में सूचीबद्ध होगी। इससे पहले SBI Life Insurance और SBI Card पहले ही स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो चुकी हैं।

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देश की सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी

एसबीआई फंड्स मैनेजमेंट लिमिटेड वर्तमान में भारत की सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) है। कंपनी का मार्केट शेयर 15.55 प्रतिशत है और यह म्यूचुअल फंड बाजार में अग्रणी भूमिका निभा रही है।

वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में SBIFML का कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) लगभग 11.99 लाख करोड़ रुपये रहा। वहीं इसके अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट्स (Alternative Investments) का एयूएम 16.32 लाख करोड़ रुपये दर्ज किया गया।

बाजार पर संभावित प्रभाव

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि SBIFML का आईपीओ निवेशकों के लिए एक आकर्षक अवसर साबित हो सकता है। कंपनी के मजबूत प्रदर्शन और स्थिर आय को देखते हुए, लिस्टिंग से SBI को पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी और निवेशकों को देश की अग्रणी एसेट मैनेजमेंट कंपनी में भागीदारी का अवसर मिलेगा।

इसके साथ ही, एसबीआई समूह के लिए यह कदम अपनी सहायक कंपनियों की वैल्यू अनलॉक करने की दिशा में एक और बड़ा कदम माना जा रहा है।

एसबीआईएफएमएल का इतिहास और विस्तार

एसबीआई फंड्स मैनेजमेंट लिमिटेड की स्थापना 1987 में हुई थी और यह देश के सबसे पुराने और भरोसेमंद फंड हाउस में से एक है। कंपनी वर्तमान में देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों और कस्बों में अपनी शाखाएँ संचालित करती है और लाखों खुदरा व संस्थागत निवेशकों का पोर्टफोलियो संभालती है।

कंपनी की सफलता की प्रमुख वजह इसका व्यापक निवेश आधार, अनुभवी प्रबंधन और निवेशकों के प्रति पारदर्शिता मानी जाती है।

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निवेशकों के लिए संभावनाएँ

विशेषज्ञों के अनुसार, SBI की इस हिस्सेदारी बिक्री से म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धा और पारदर्शिता दोनों बढ़ेंगी। SBIFML की लिस्टिंग के बाद निवेशक सीधे कंपनी के शेयरों में निवेश कर सकेंगे, जिससे म्यूचुअल फंड व्यवसाय के प्रति रुचि और विश्वास और बढ़ेगा।

यह कदम न केवल SBI की वित्तीय स्थिति को और मजबूत करेगा बल्कि सरकार के उस लक्ष्य के अनुरूप भी है, जिसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बाजार में अधिक पारदर्शिता और पूंजी जुटाने की स्वतंत्रता दी जा रही है।