नई दिल्ली। आने वाले महीनों में भारत में इंटरनेट सेवा को लेकर एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। उपभोक्ताओं के इंटरनेट उपयोग का अनुभव पूरी तरह से बदलने जा रहा है। केंद्र सरकार जल्द ही देश में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने की योजना बना रही है, जिससे गांवों से लेकर समुद्र तक बिना किसी बाधा के इंटरनेट उपलब्ध होगा। इस वर्ष जून में इस सेवा के व्यावसायिक रूप से शुरू होने की संभावना है।
सैटेलाइट इंटरनेट की तैयारियां जोरों पर
सूत्रों के अनुसार, भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) सैटेलाइट कम्युनिकेशन के मूल्य निर्धारण और उपयोग संबंधी सिफारिशों के अंतिम चरण में है। पिछले दो वर्षों से इस सेवा के नियामक ढांचे पर काम किया जा रहा है। एक बार नियमों की रूपरेखा तैयार हो जाने के बाद, स्पेक्ट्रम का आवंटन किया जाएगा। इसके बाद कंपनियां अपनी सेवाएं शुरू करने की प्रक्रिया में आगे बढ़ेंगी।
इस सेवा को लेकर कई प्रमुख कंपनियां तैयारियों में जुटी हैं, जिनमें रिलायंस जियो इन्फोकॉम, भारती एयरटेल और एलन मस्क की स्टारलिंक प्रमुख हैं। TRAI जल्द ही सैटेलाइट इंटरनेट सेवा के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क पेश करने वाला है, जिसमें स्पेक्ट्रम आवंटन, मूल्य निर्धारण और राजस्व साझेदारी मॉडल जैसी महत्वपूर्ण बातें शामिल होंगी।
स्पेक्ट्रम नीलामी और सेवा की शुरुआत
TRAI इस योजना को तेजी से लागू करना चाहता है, ताकि किसी तरह का विवाद न हो। उम्मीद है कि मार्च तक TRAI अपनी सिफारिशें दूरसंचार विभाग को सौंप देगा। इसके बाद एक शॉर्ट कंसल्टेशन पीरियड होगा, जिसके बाद डिजिटल कम्युनिकेशन कमिशन इन सिफारिशों को लागू करेगा।
स्पेक्ट्रम नीलामी प्रक्रिया में लगभग 2-3 महीने का समय लग सकता है। इसके बाद जून 2025 तक सैटेलाइट इंटरनेट ऑपरेटर अपनी सेवाएं व्यावसायिक रूप से शुरू कर देंगे और राजस्व उत्पन्न करने लगेंगे।
कैसे काम करता है सैटेलाइट इंटरनेट?
सैटेलाइट इंटरनेट एक वायरलेस इंटरनेट सेवा है, जो ब्रॉडबैंड सेवाओं से अधिक उन्नत मानी जाती है। खास बात यह है कि यह उन इलाकों में भी इंटरनेट उपलब्ध कराता है जहां केबल या मोबाइल टावर की सुविधा नहीं होती।
इस तकनीक में अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट्स का उपयोग किया जाता है, जो धरती पर स्थित रिसीवर से जुड़ते हैं। ये रिसीवर मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य उपकरणों को इंटरनेट डेटा ट्रांसफर करते हैं। भारत सरकार ने 2020 से 2022 के बीच अंतरिक्ष क्षेत्र को उदार बनाया, जिससे निजी कंपनियों को सैटेलाइट स्पेक्ट्रम और इंफ्रास्ट्रक्चर तक पहुंच प्राप्त हो सकी।
ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों को मिलेगा फायदा
सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू होने के बाद ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट की पहुंच संभव होगी। यह विशेष रूप से उन इलाकों के लिए लाभदायक होगा, जहां फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क स्थापित करना कठिन है।
इस सेवा से भारत में शिक्षा, व्यापार, हेल्थकेयर और डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा। दुनिया के कई देशों में पहले से ही सैटेलाइट इंटरनेट का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, यह ब्रॉडबैंड इंटरनेट की तुलना में अधिक महंगा हो सकता है, क्योंकि सैटेलाइट इंटरनेट से जुड़ी लागत अधिक होती है।
डिजिटल भारत की ओर एक और कदम
सैटेलाइट इंटरनेट सेवा भारत के डिजिटलीकरण को और गति देने वाला कदम साबित हो सकती है। इससे ग्रामीण भारत को डिजिटल सुविधाओं से जोड़ने में मदद मिलेगी और यह सेवा आपदा प्रबंधन, समुद्री क्षेत्रों, रक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में भी कारगर सिद्ध हो सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह सेवा कितनी तेजी से लागू होती है और आम लोगों तक कैसे पहुंचती है।
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