अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर के निर्माण कार्य में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ गया है। मंदिर परिसर में सप्तमंडपों का निर्माण कार्य अब पूर्ण हो चुका है और इन मंडपों में देव प्रतिमाओं की स्थापना भी प्रारंभ कर दी गई है। सोमवार को महर्षि अगस्त्य की भव्य मूर्ति को विधिविधान से स्थापित किया गया, जो धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बन गया है।
सप्तमंडपों में पहला आराध्य: महर्षि अगस्त्य
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने जानकारी दी कि सप्तमंडपों का निर्माण अब पूर्ण हो गया है। इनमें महर्षि अगस्त्य की प्रतिमा सबसे पहले स्थापित की गई है। मूर्ति स्थापना का समस्त वैदिक अनुष्ठान पंडित केके शर्मा के निर्देशन में संपन्न हुआ।
चंपत राय ने यह भी बताया कि मंदिर परिसर के अन्य हिस्सों में जो छिटपुट कार्य शेष हैं, वे भी अगले 10 दिनों में पूर्ण कर लिए जाएंगे। सप्तमंडपों की सभी मूर्तियां और ध्वजदंड भी परिसर में आ चुके हैं और उन्हें शीघ्र ही अपने-अपने स्थान पर प्रतिष्ठित कर दिया जाएगा।

परकोटे में शिव मंदिर पर शिखर कलश की स्थापना
इसी क्रम में सोमवार को श्रीराम जन्मभूमि परिसर में स्थित श्रीशिव मंदिर पर भी एक अहम कार्य पूर्ण हुआ। मंदिर के शिखर पर कलश को पूरी विधि-विधान से प्रतिष्ठित किया गया। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के संवाद केन्द्र से मिली जानकारी के अनुसार, यह शिव मंदिर परकोटा क्षेत्र के उत्तर-पूर्वी कोण पर स्थित है। सुबह 10:15 बजे विशेष पूजा-अर्चना के साथ शिखर कलश की स्थापना की गई।
इस महत्वपूर्ण अनुष्ठान में मंदिर निर्माण से जुड़े स्थानीय कारीगर, इंजीनियर और श्रमिकों की उपस्थिति ने इस क्षण को और भी गौरवमयी बना दिया। यह कार्य भी वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार किया गया और वातावरण वैदिक मंत्रोच्चारण से गूंज उठा।
भव्यता की ओर अग्रसर अयोध्या
राम मंदिर का मुख्य गर्भगृह जनवरी 2024 में प्रभु श्रीराम की मूर्ति की प्रतिष्ठा के साथ जनसामान्य के लिए खोल दिया गया था। लेकिन मंदिर परिसर के अन्य हिस्सों में अभी भी निर्माण कार्य प्रगति पर है। अब सप्तमंडप, परकोटा, उपमंदिर और सजावट से संबंधित कार्य अंतिम चरण में हैं।
श्रीराम जन्मभूमि परिसर की यह प्रगति न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अयोध्या को वैश्विक धार्मिक पर्यटन के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
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