August 2, 2025 3:34 AM

संजय वात्स्यायन ने नौसेना उप प्रमुख का कार्यभार संभाला

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वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन बने नौसेना के नए उप प्रमुख

नई दिल्ली। वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन ने शुक्रवार को भारतीय नौसेना के 47वें उप प्रमुख (वीसीएनएस) के रूप में पदभार ग्रहण किया। कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व उन्होंने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इसके पश्चात साउथ ब्लॉक लॉन में उन्हें औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया।

वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन गनरी और मिसाइल प्रणालियों के विशेषज्ञ हैं और उन्हें नौसेना में तीन दशकों से अधिक का अनुभव प्राप्त है। उन्होंने अपनी सेवा के दौरान विविध प्रकार की कमांड, ऑपरेशनल और स्टाफ जिम्मेदारियां निभाई हैं, जिससे उनकी नेतृत्व क्षमता और रणनीतिक सोच का प्रमाण मिलता है।

तीनों सेनाओं के समन्वय में निभाई अहम भूमिका

नौसेना उप प्रमुख बनने से पहले संजय वात्स्यायन एकीकृत रक्षा स्टाफ (IDeS) में उप प्रमुख (संचालन) के रूप में कार्यरत थे, जहां उन्होंने तीनों सेनाओं—थल, वायु और नौसेना—के संचालन में समन्वय और एकीकरण की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया। इसके बाद वे डीसीआईडीएस (नीति, योजना और बल विकास) के रूप में कार्यरत रहे, जहां उन्होंने स्वदेशी रक्षा उत्पादन, संयुक्त रणनीति और सैन्य बल विकास से संबंधित नीति-निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाई।

चीन से तनाव के दौरान निभाई प्रमुख भूमिका

फरवरी 2020 में वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन ने पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग के रूप में कार्यभार संभाला था। उसी वर्ष गलवान घाटी में चीन के साथ हुए खूनी संघर्ष के पश्चात समुद्री सीमाओं पर उत्पन्न हुए तनाव के दौरान उन्होंने कई रणनीतिक ऑपरेशनल तैनातियों और समुद्री अभ्यासों का नेतृत्व किया। इस अवधि में उनकी रणनीतिक सूझबूझ और तेज निर्णय क्षमता से नौसेना को पूर्वी समुद्र क्षेत्र में मजबूती से स्थापित रखने में सफलता मिली।

स्वदेशीकरण और संयुक्तता के पक्षधर

वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन सैन्य तंत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के प्रबल समर्थक रहे हैं। अपने पूर्ववर्ती पदों पर रहते हुए उन्होंने भारतीय रक्षा उद्योग के साथ घनिष्ठ तालमेल स्थापित करते हुए स्वदेशी सैन्य उपकरणों और प्रणालियों के उपयोग को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने सेना के तीनों अंगों की संयुक्तता के दृष्टिकोण से कार्य किया, जिससे भारतीय सशस्त्र बलों की एकीकृत युद्ध क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

गंभीर परिस्थितियों में दिखाया नेतृत्व कौशल

न केवल संचालन बल्कि रणनीतिक योजनाओं में भी संजय वात्स्यायन की भूमिका सराहनीय रही है। उन्होंने संकट की घड़ी में समुद्री संचालन को सशक्त बनाने, भारतीय हितों की रक्षा सुनिश्चित करने और विदेशी चुनौतियों का सटीक जवाब देने के लिए कई निर्णायक कदम उठाए। वे ऐसे समय में नौसेना के उप प्रमुख बने हैं जब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक स्थितियां तेजी से बदल रही हैं और समुद्री सुरक्षा को लेकर वैश्विक दृष्टिकोण अधिक सतर्क हुआ है।

सेवा का समर्पण और नेतृत्व की पहचान

वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन का यह कार्यभार भारतीय नौसेना के लिए एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है। उनके रणनीतिक अनुभव, सैन्य नीतियों की गहन समझ और अत्याधुनिक समुद्री तकनीकों में दक्षता के चलते उन्हें एक दूरदर्शी सैन्य नेता के रूप में देखा जा रहा है। उनके नेतृत्व में नौसेना न केवल अपनी पारंपरिक भूमिका को सशक्त करेगी, बल्कि वैश्विक समुद्री मंच पर भारत की उपस्थिति को और अधिक प्रभावशाली बनाएगी।


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