नई दिल्ली। संसद के दोनों सदनों में संविधान पर बहस के लिए चार दिन निर्धारित किए गए हैं। भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख दलों ने अपने सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है। यह व्हिप संविधान पर होने वाली चर्चा में भाग लेने और अन्य महत्वपूर्ण विधायी कार्यों के लिए उपस्थित रहने का निर्देश है।
लोकसभा और राज्यसभा में संविधान पर चर्चा
लोकसभा में 13 और 14 दिसंबर को संविधान पर बहस होगी, जबकि राज्यसभा में 16 और 17 दिसंबर को इस पर चर्चा की जाएगी। संविधान को लेकर हो रही यह बहस विशेष महत्व रखती है, क्योंकि इस मुद्दे पर चर्चा के बाद देश की विधायिका और न्यायपालिका से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसलों पर विचार किया जाएगा।
भा.ज.पा. और कांग्रेस की ओर से व्हिप जारी
भा.ज.पा. ने गुरुवार को अपने सभी सांसदों के लिए एक तीन लाइन का व्हिप जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि शुक्रवार और शनिवार (13-14 दिसंबर) को लोकसभा और राज्यसभा में कुछ महत्वपूर्ण विधायी कार्यों पर चर्चा की जाएगी। पार्टी ने सभी सांसदों से अनुरोध किया है कि वे दोनों दिन सदन में उपस्थित रहें और इन महत्वपूर्ण कार्यों पर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।
कांग्रेस ने भी अपनी तरफ से लोकसभा के सभी सदस्यों को व्हिप जारी किया है, जिसमें 13 और 14 दिसंबर को सदन में उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है।
शीतकालीन सत्र और अन्य विधायी कार्य
यह उल्लेखनीय है कि शीतकालीन संसद का पहला सत्र 25 नवंबर को शुरू हुआ था, लेकिन विभिन्न व्यवधानों के कारण दोनों सदनों को कई बार स्थगित किया गया। अब इस सत्र के समापन की दिशा में महत्वपूर्ण चर्चाएं हो रही हैं। शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक चलेगा, और इस दौरान संसद में कई महत्वपूर्ण विधायी कार्यों पर विचार किया जाएगा।
संविधान पर हो रही यह बहस और विधायी कार्य इस सत्र के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक हैं, और इन पर चर्चा से देश की कानून व्यवस्था और शासन की दिशा तय हो सकती है।
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