July 5, 2025 1:30 AM

ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान से 272 भारतीयों की सुरक्षित वापसी पूरी: हालात सामान्य होने पर दूतावास ने बंद की निकासी

  • अब तक 3,426 भारतीयों की घर वापसी, ट्रंप के संघर्ष विराम प्रस्ताव के बाद युद्ध पर अंतरिम विराम

नई दिल्ली। पश्चिम एशिया में ईरान-इस्राइल संघर्ष के बीच भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन सिंधु के तहत एक और महत्वपूर्ण निकासी अभियान पूरा हो गया है। बुधवार रात ईरान के मशहद से 272 भारतीय और 3 नेपाली नागरिकों को सुरक्षित दिल्ली लाया गया। इस सफल ऑपरेशन के बाद अब तक कुल 3,426 भारतीयों को संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों से निकाला जा चुका है।

संघर्ष विराम के बाद दूतावास ने निकासी डेस्क किया बंद

ईरान में स्थित भारतीय दूतावास ने जानकारी दी है कि इस्राइल और ईरान के बीच संघर्ष विराम की घोषणा के बाद अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए दूतावास ने नागरिक निकासी के लिए खोली गई संपर्क डेस्क को बंद कर दिया है। दूतावास ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि अब नए नागरिकों का पंजीकरण नहीं किया जाएगा, लेकिन स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। यदि फिर से खतरा उत्पन्न होता है, तो रणनीति को तत्काल प्रभाव से बदला जाएगा।

लौटे नागरिकों ने जताया सरकार का आभार

तनावपूर्ण परिस्थितियों में ईरान से सुरक्षित निकाले गए लोगों ने भारत सरकार, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया। दिल्ली पहुंचने पर कई यात्रियों ने कहा कि “हमें कोई कठिनाई नहीं हुई। भारतीय दूतावास ने लगातार संपर्क में रहकर हमें हर तरह की मदद दी। ईरान सरकार ने भी बहुत सहयोग किया।” एक यात्री ने कहा कि “बाहर बमों की आवाज़ें सुनाई देती थीं, लेकिन भारतीय मिशन की टीम ने हमें भरोसे में रखा और संयम से काम लिया।”

ट्रंप के मध्यस्थता से रुका युद्ध, लेकिन खतरा अभी बरकरार

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्ताव के बाद मंगलवार को ईरान और इस्राइल दोनों ने संघर्ष विराम स्वीकार कर लिया है। 12 दिनों तक चले लगातार हमलों और जवाबी हमलों के बाद ये फैसला हुआ। हालांकि सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह संघर्ष विराम “अस्थायी” है और क्षेत्र में स्थायीत्व लाने के लिए कूटनीतिक प्रयासों की अभी और जरूरत है।

ऑपरेशन सिंधु: भारत की त्वरित कार्रवाई का उदाहरण

ऑपरेशन सिंधु को भारत सरकार की एक रणनीतिक, तेज और मानवीय प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है। युद्ध क्षेत्र में फंसे हजारों भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकालना सिर्फ कूटनीतिक दक्षता ही नहीं, बल्कि सरकार की संकट में तत्परता भी दर्शाता है। विदेश मंत्रालय ने विशेष विमानों और स्थानीय समन्वय के माध्यम से इस ऑपरेशन को सुचारू रूप से अंजाम दिया।

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