October 15, 2025 2:57 PM

सचिन तेंदुलकर की सलाह से बदला सहवाग का करियर: 2007-08 में वनडे संन्यास का मन बना चुके थे ‘वीरू’

sachin-tendulkar-advice-saved-virender-sehwag-careersachin-tendulkar-advice-saved-virender-sehwag-career

सचिन तेंदुलकर की सलाह से बदला वीरेंद्र सहवाग का करियर, 2007-08 में वनडे संन्यास का मन बना चुके थे ‘वीरू’

नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट इतिहास में वीरेंद्र सहवाग का नाम विस्फोटक बल्लेबाजों में सबसे ऊपर गिना जाता है। उनकी तूफानी बल्लेबाजी ने न केवल विपक्षी गेंदबाजों के पसीने छुड़ाए, बल्कि भारत को कई ऐतिहासिक जीत भी दिलाई। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि सहवाग एक समय वनडे क्रिकेट से संन्यास लेने का मन बना चुके थे। यह 2007-08 का दौर था, जब उनका करियर मुश्किल मोड़ पर खड़ा था। उस समय सचिन तेंदुलकर की एक सलाह ने न केवल उनका करियर बचाया, बल्कि आने वाले वर्षों में उन्हें टीम इंडिया का बड़ा मैच विनर भी बना दिया।

सीबी सीरीज और कठिन दौर की शुरुआत

2007-08 में ऑस्ट्रेलिया में खेली गई ट्राई सीरीज, जिसे कॉमनवेल्थ बैंक (CB) सीरीज कहा गया, भारत, ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच खेली गई थी। सीरीज की शुरुआत में वीरेंद्र सहवाग भारतीय टीम के ओपनर थे, लेकिन पहले तीन मैचों में बड़ी पारी खेलने में नाकाम रहे। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने चौथे मैच से टीम में बदलाव करते हुए सहवाग को बाहर कर दिया।

इसके बाद लगातार कुछ मैचों तक उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिली। टीम के बाहर बैठने की इस स्थिति ने सहवाग को मानसिक रूप से झकझोर दिया। उनके मन में यह सवाल उठने लगा कि अगर वे टीम में जगह ही नहीं बना पा रहे हैं, तो वनडे क्रिकेट खेलने का कोई मतलब नहीं है।

सचिन तेंदुलकर से सलाह लेने का फैसला

निराश सहवाग ने इस स्थिति में अपने साथी और महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर से सलाह लेने का फैसला किया। उन्होंने तेंदुलकर से साफ शब्दों में कहा कि वे वनडे क्रिकेट से संन्यास लेने का विचार कर रहे हैं।

सहवाग के मुताबिक, तेंदुलकर ने उनकी बातें ध्यान से सुनीं और फिर अपने अनुभव से उन्हें समझाया—
“मैं भी 1999-2000 में ऐसे दौर से गुजरा था, जब लगा था कि क्रिकेट छोड़ देना चाहिए। लेकिन यह दौर भी गुजर गया। करियर में उतार-चढ़ाव आते हैं, पर इस दौरान कोई भावुक फैसला नहीं लेना चाहिए।”

सचिन ने उन्हें सलाह दी कि खुद को कम से कम एक या दो सीरीज का और समय दें, फिर फैसला लें। यह बात सहवाग के दिल को छू गई और उन्होंने तुरंत संन्यास का विचार छोड़ दिया।

कमबैक जिसने बदल दिया करियर

सचिन की सलाह पर सहवाग ने वापसी के लिए कड़ी मेहनत की। उनकी बल्लेबाजी में पहले जैसी आक्रामकता तो थी ही, लेकिन अब उसमें परिपक्वता भी आ गई थी। जल्द ही उन्हें टीम में वापसी का मौका मिला और उन्होंने इसे दोनों हाथों से लपका।

वापसी के बाद सहवाग ने न केवल रन बनाए, बल्कि 2011 वर्ल्ड कप में भारत की जीत में भी अहम भूमिका निभाई। उनकी तेज़ शुरुआत ने कई मौकों पर टीम का आत्मविश्वास बढ़ाया।

सहवाग का वनडे करियर

वीरेंद्र सहवाग ने अपने वनडे करियर में कुल 251 मैच खेले। इस दौरान उन्होंने 35.05 की औसत और 104.33 के स्ट्राइक रेट से 8273 रन बनाए। उनके नाम 15 शतक और 38 अर्धशतक दर्ज हैं। वे उन गिने-चुने खिलाड़ियों में शामिल हैं जो टेस्ट और वनडे, दोनों प्रारूपों में तिहरा शतक और दोहरा शतक बना चुके हैं।

महान खिलाड़ियों का असर

यह कहानी सिर्फ सहवाग की सफलता की नहीं, बल्कि इस बात का भी प्रमाण है कि एक अनुभवी खिलाड़ी की सही समय पर दी गई सलाह किसी के करियर की दिशा बदल सकती है। सचिन तेंदुलकर का अनुभव और उनका धैर्यपूर्ण दृष्टिकोण सहवाग के करियर में टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ।

अगर सहवाग उस समय संन्यास ले लेते, तो भारतीय क्रिकेट कई अविस्मरणीय पारियों से वंचित रह जाता। यह घटना इस बात की मिसाल है कि कठिन समय में धैर्य, सकारात्मक सोच और सही मार्गदर्शन से किसी भी खिलाड़ी का करियर नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है।


Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram