October 14, 2025 9:00 PM

पुतिन के भारत दौरे में एस-400 के स्थानीय निर्माण को मिल सकती है मंजूरी, रक्षा मंत्रालय करेगा नई खरीद पर चर्चा

s400-india-russia-defence-deal-putin-visit

पुतिन के दौरे में भारत को मिल सकती है एस-400 बनाने की मंजूरी, रक्षा मंत्रालय करेगा नई खरीद पर चर्चा

नई दिल्ली।
भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग एक बार फिर नई ऊँचाइयों पर पहुँचने की तैयारी में है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दिसंबर में होने वाले भारत दौरे से पहले दोनों देशों के बीच पाँच और एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा होने जा रही है। खास बात यह है कि इस बार इन सिस्टमों में से दो का निर्माण भारत में ही किए जाने की संभावना है, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को भी बड़ा बल मिलेगा।

पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन से बढ़ा एस-400 पर भरोसा

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एस-400 सिस्टम ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था। इस सिस्टम ने न केवल पाकिस्तान की हवाई हमले की क्षमता को कमजोर कर दिया, बल्कि अपनी सटीक पहचान और जवाबी कार्रवाई से दुनिया भर में अपनी ताकत का अहसास कराया। इसी कारण भारत अब अतिरिक्त पाँच एस-400 सिस्टम खरीदने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, ताकि अपने हवाई क्षेत्र की सुरक्षा और भी मजबूत की जा सके।

2018 की डील और अब नई पहल

भारत ने वर्ष 2018 में रूस के साथ पाँच एस-400 सिस्टम की 5.43 अरब डॉलर की डील पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत अगले वर्ष के अंत तक दो सिस्टम भारत को मिलने की उम्मीद है। रक्षा मंत्रालय अब इनसे आगे बढ़कर पाँच और सिस्टमों की खरीद के लिए बातचीत कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी इस सप्ताह रूसी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करने वाले हैं, जिसमें उत्पादन और रखरखाव संबंधी कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। माना जा रहा है कि पुतिन के दौरे से पहले इस समझौते पर औपचारिक सहमति बन सकती है।

तीन सिस्टम रूस से, दो भारत में बनेगें

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अतिरिक्त पाँच एस-400 सिस्टमों की कीमत पर दोनों देशों के बीच सहमति बन चुकी है। अब अंतिम चरण की चर्चा इस बात पर केंद्रित है कि इनमें से तीन सिस्टम सीधे रूस से खरीदे जाएँगे जबकि शेष दो सिस्टम भारत में तकनीक हस्तांतरण (टेक्नोलॉजी ट्रांसफर) के तहत बनाए जाएँगे। यह सौदा सरकार-से-सरकार (G2G) के स्तर पर होगा। इसके साथ ही इन सिस्टमों के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल की सुविधाएँ भारत में ही विकसित की जाएँगी, जिनमें निजी क्षेत्र की कंपनियों की भागीदारी होगी। इससे भारत की रक्षा उद्योग क्षमता में बड़ा इज़ाफा होगा और भविष्य में विदेशी निर्भरता भी घटेगी।

आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम

यदि यह प्रस्ताव मंजूर होता है, तो यह भारत के लिए एक रणनीतिक मील का पत्थर साबित होगा। एस-400 जैसे उन्नत रक्षा कवच का देश में निर्माण शुरू होना ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजनाओं को नई गति देगा। यह न केवल रक्षा उद्योग में तकनीकी विशेषज्ञता बढ़ाएगा, बल्कि रोजगार और स्थानीय उत्पादन नेटवर्क को भी सशक्त करेगा।

पुतिन-मोदी शिखर वार्ता से पहले बड़ी घोषणा संभव

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा 5 दिसंबर को प्रस्तावित है, जिसमें वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्षिक शिखर वार्ता करेंगे। संभावना है कि इस बैठक से पहले ही एस-400 सौदे को लेकर हरी झंडी मिल जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय भारत-रूस रक्षा साझेदारी को एक नई दिशा देगा और दोनों देशों के बीच विश्वास को और मजबूत करेगा।

सुखोई विमानों की शक्ति बढ़ाने के लिए आर-37 मिसाइल की तैयारी

एस-400 के साथ ही भारत अपने लड़ाकू बेड़े को और सशक्त करने के लिए रूस से लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइल आरवीवी-बीडी (आर-37) खरीदने की योजना पर भी विचार कर रहा है। यह मिसाइल 200 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक दुश्मन के विमानों को निशाना बना सकती है। इसे भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 एमकेआई विमानों में एकीकृत किया जाएगा, जिससे उनकी मारक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, इस प्रक्रिया के लिए सुखोई विमानों के ऑनबोर्ड रडार और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को अपग्रेड किया जाएगा। यह अपग्रेडेशन उन्हें उन देशों के मुकाबले और अधिक सक्षम बनाएगा जो पहले से लंबी दूरी की मिसाइलों का उपयोग कर रहे हैं, जैसे कि पाकिस्तान, जिसने हाल ही में चीन निर्मित पीएल-15 मिसाइल का उपयोग किया था।

रक्षा सहयोग का नया अध्याय

भारत और रूस दशकों से रणनीतिक रक्षा साझेदार रहे हैं, लेकिन यह नया प्रस्ताव दोनों देशों के रिश्तों को और भी व्यावहारिक और तकनीकी दृष्टि से गहरा बना सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर एस-400 सिस्टम का निर्माण भारत में शुरू हो गया, तो यह रक्षा सहयोग का एक नया अध्याय होगा — जहाँ भारत सिर्फ खरीदार नहीं, बल्कि सह-निर्माता के रूप में उभरेगा।


Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram