October 15, 2025 3:31 PM

यूएन महासभा में एस. जयशंकर का बड़ा बयान: पाकिस्तान को बताया आतंकवाद का ग्लोबल सेंटर

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यूएनजीए में एस. जयशंकर का बड़ा बयान: पाकिस्तान आतंकवाद का ग्लोबल सेंटर, भारत तैयार बड़ी जिम्मेदारियों के लिए

न्यूयॉर्क/नई दिल्ली, 28 सितम्बर। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 80वें सत्र को संबोधित करते हुए आतंकवाद को लेकर कड़ा संदेश दिया। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि हमारे पड़ोसी देश को लंबे समय से वैश्विक आतंकवाद का गढ़ माना जाता है। जयशंकर ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से भारत लगातार आतंकवाद की चुनौती का सामना कर रहा है और दुनिया के कई बड़े आतंकी हमलों की जड़ें उसी देश से जुड़ी हैं।


“क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म” का ताजा उदाहरण

जयशंकर ने अपने संबोधन में अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुई पर्यटकों की हत्या की घटना का उल्लेख करते हुए इसे सीमापार आतंकवाद का हालिया उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादी सूची में शामिल कई नाम उसी देश से जुड़े हैं, जो आतंकवाद को राज्य नीति के रूप में इस्तेमाल करता है।


“आतंकवाद की कड़ी निंदा होनी चाहिए”

विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद आज नफरत, हिंसा, असहिष्णुता और भय को मिलाकर पूरी मानवता के लिए खतरा बन चुका है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय सहयोग अनिवार्य है। उन्होंने कहा:

  • “जब कोई देश आतंकवाद को अपनी राज्य नीति बना ले, जब बड़े पैमाने पर आतंकी कैंप संचालित हों और आतंकवादियों का सार्वजनिक तौर पर महिमामंडन किया जाए, तो इसकी कड़ी निंदा होनी चाहिए।”

उन्होंने यह भी कहा कि आतंकी नेटवर्क और उसकी फंडिंग पर लगातार दबाव बनाए रखना बेहद जरूरी है। यदि ऐसे देशों को छूट दी जाती रही तो वही आतंकवाद एक दिन पूरी दुनिया के लिए खतरा बन जाएगा।


भारत तैयार है बड़ी जिम्मेदारियों के लिए

जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधारों की वकालत की। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाई जाए, जिससे यह निकाय ज्यादा प्रतिनिधिक और लोकतांत्रिक बने। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अधिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए तैयार है।


भारत का वैश्विक योगदान

अपने संबोधन में जयशंकर ने भारत की विदेश नीति और वैश्विक योगदान की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि—

  • भूकंप जैसी आपदाओं में भारत ने अफगानिस्तान और म्यांमार जैसे देशों की तुरंत मदद की।
  • उत्तरी अरब सागर में भारत ने सुरक्षित व्यापार सुनिश्चित किया और समुद्री डकैती पर रोक लगाई।
  • भारत के सैनिक शांति बनाए रखते हैं, नाविक जहाजों की सुरक्षा करते हैं और सुरक्षा बल आतंकवाद से लड़ते हैं।
  • भारतीय डॉक्टर और शिक्षक वैश्विक मानव विकास में योगदान करते हैं।
  • भारतीय उद्योग सस्ती वस्तुएं उपलब्ध कराते हैं और तकनीकी विशेषज्ञ डिजिटलीकरण को आगे बढ़ाते हैं।
  • भारत के प्रशिक्षण केंद्र पूरी दुनिया के लिए खुले हैं।

जयशंकर ने कहा कि यह सब भारत की विदेश नीति की जड़ में निहित है, जो सहयोग, विकास और शांति पर आधारित है।


“भारत के लोगों की ओर से नमस्कार”

अपने संबोधन की शुरुआत में जयशंकर ने कहा— “भारत के लोगों की ओर से नमस्कार।” उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना को आठ दशक हो चुके हैं, लेकिन आज भी शांति और मानव गरिमा की रक्षा इसका सबसे बड़ा लक्ष्य है।

उन्होंने याद दिलाया कि उपनिवेशवाद के अंत के बाद दुनिया अपनी विविधता की ओर लौटी और संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता चार गुना बढ़ गई। आज वैश्वीकरण के दौर में विकास, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं वैश्विक कल्याण का केंद्र बन चुकी हैं।



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