एस. जयशंकर ने ब्रिक्स इमरजेंसी वर्चुअल समिट में वैश्विक व्यापार और सहयोग पर जोर दिया

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को ब्रिक्स देशों की इमरजेंसी वर्चुअल समिट में भाग लिया, जिसमें भारत, चीन, रूस, ब्राजील सहित अन्य प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं के नेता शामिल हुए। इस बैठक का आयोजन अमेरिका की हालिया टैरिफ नीतियों के कारण उत्पन्न व्यापारिक चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए किया गया था।

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समिट में भाग लेने वाले प्रमुख नेता थे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा। प्रारंभ में यह खबर आई थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बैठक में शामिल होंगे, लेकिन अंततः विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत का प्रतिनिधित्व किया।

जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि व्यापारिक नीतियाँ निष्पक्ष, पारदर्शी और सभी देशों के लिए लाभकारी होनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की कठिनाइयाँ पैदा करना या लेन-देन को जटिल बनाना किसी को भी फायदा नहीं पहुँचाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि व्यापार हमेशा सुगम और स्थिर होना चाहिए, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव कम हो।

शी जिनपिंग ने अमेरिका की टैरिफ चुनौतियों का मुकाबला करने पर जोर दिया

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस बैठक में कहा कि कुछ देशों द्वारा व्यापार और टैरिफ युद्ध शुरू करने से विश्व अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है और नियम कमजोर हो रहे हैं। उन्होंने ब्रिक्स देशों को इस चुनौती का सामना एकजुट होकर करने पर जोर दिया।

एस. जयशंकर की चार प्रमुख बातें

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  1. सप्लाई चेन को मजबूत बनाना जरूरी
    जयशंकर ने कहा कि वैश्विक संकटों में अक्सर जरूरी वस्तुओं की कमी हो जाती है। इसे रोकने के लिए देशों को आपसी सहयोग बढ़ाना होगा और मजबूत, सुरक्षित सप्लाई चेन तैयार करनी होगी, ताकि सामान समय पर उपलब्ध हो।
  2. व्यापार घाटा संतुलित करना आवश्यक
    विदेश मंत्री ने ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। भारत का सबसे बड़ा व्यापार घाटा मुख्य रूप से चीन से है। उन्होंने कहा कि इसे जल्दी हल करना जरूरी है, ताकि व्यापार सभी देशों के लिए लाभकारी बने।
  3. वैश्विक संकट में बड़े संगठन कमजोर साबित हुए
    जयशंकर ने कोविड-19, युद्ध और जलवायु संकट के दौरान वैश्विक संगठनों की भूमिका पर टिप्पणी की। उनका कहना था कि संयुक्त राष्ट्र जैसे बड़े संगठन इन संकटों से निपटने में पूरी तरह सक्षम नहीं रहे। इसलिए इन संस्थानों में सुधार की आवश्यकता है।
  4. व्यापार को राजनीति से अलग रखना चाहिए
    विदेश मंत्री ने कहा कि व्यापार को राजनीतिक या गैर-व्यापारिक मुद्दों से जोड़ना नुकसानदायक है। ब्रिक्स देशों को आपसी व्यापार और सहयोग की समीक्षा करनी चाहिए और इसे केवल व्यावसायिक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।

भारत 2026 में ब्रिक्स की अध्यक्षता करेगा

जयशंकर ने इस अवसर पर यह भी घोषणा की कि भारत 1 जनवरी, 2026 से BRICS की अध्यक्षता संभालेगा और उसी वर्ष 18वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा। यह जिम्मेदारी ब्राजील से भारत को मिल रही है। उन्होंने कहा कि भारत अध्यक्ष के रूप में सभी ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग और वैश्विक व्यापार को और मजबूत करने के लिए पहल करेगा।

विश्लेषकों का कहना है कि इस वर्चुअल समिट में भारत का सक्रिय भूमिका निभाना वैश्विक व्यापारिक नीति में संतुलन बनाने और ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। साथ ही, अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ और व्यापार बाधाओं का सामना करने के लिए सदस्य देशों का एकजुट होना भी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है।

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