दिसंबर में भारत आएंगे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, क्रेमलिन ने की पुष्टि

मॉस्को। भारत और रूस के बीच रणनीतिक रिश्तों को नई मजबूती देने की दिशा में एक बड़ा कदम तय हो गया है। क्रेमलिन ने पुष्टि की है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर में भारत की यात्रा करेंगे। यह दौरा ऐसे समय में होने जा रहा है जब वैश्विक स्तर पर अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ शुल्क युद्ध जारी है और भारत पर भी अमेरिकी दबाव बना हुआ है।


एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर होगी पहली मुलाकात

क्रेमलिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव ने बताया कि 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की आमने-सामने मुलाकात होगी। यह इस साल दोनों नेताओं की पहली प्रत्यक्ष भेंट होगी, हालांकि दोनों लगातार फोन और वर्चुअल माध्यमों से संपर्क में रहे हैं।

उशाकोव के अनुसार, इस मुलाकात में दिसंबर में होने वाली पुतिन की भारत यात्रा की तैयारियों पर भी चर्चा होगी।

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रणनीतिक साझेदारी की 15वीं वर्षगांठ

रूस और भारत के बीच संबंध केवल राजनीतिक या व्यापारिक नहीं, बल्कि विशेष रणनीतिक साझेदारी के स्तर पर हैं। दिसंबर 2010 में दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की गई थी और इस साल इसकी 15वीं वर्षगांठ है। ऐसे में पुतिन का भारत दौरा इस साझेदारी को नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है।


अमेरिका-रूस-भारत समीकरण

हाल ही में अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने पर भारत पर 50% तक का शुल्क लगाया था। इस मुद्दे पर पुतिन और मोदी के बीच फोन पर बातचीत भी हुई थी। उस बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन को वर्ष के अंत में होने वाले वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में भारत आने का निमंत्रण दिया था। अब क्रेमलिन की पुष्टि ने यह साफ कर दिया है कि दिसंबर में दोनों नेता भारत में गहन वार्ता करेंगे।


दौरे के संभावित एजेंडे

विशेषज्ञ मानते हैं कि पुतिन की इस यात्रा के दौरान भारत और रूस के बीच कई अहम विषयों पर चर्चा हो सकती है:

  • ऊर्जा सहयोग : भारत रूस से कच्चे तेल और गैस आयात बढ़ाना चाहता है, ताकि अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर सके।
  • रक्षा समझौते : दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग परंपरागत रूप से मजबूत रहा है। संभावना है कि इस यात्रा में नए रक्षा सौदों पर मुहर लग सकती है।
  • व्यापार और निवेश : वर्तमान वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को और गहरा करने पर जोर होगा।
  • वैश्विक मुद्दों पर सहयोग : यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी नीतियों को लेकर भी दोनों नेता रणनीतिक स्तर पर विचार-विमर्श कर सकते हैं।

भारत के लिए महत्व

भारत और रूस के रिश्ते दशकों पुराने हैं। सोवियत संघ के दौर से ही दोनों देशों के बीच गहरा सहयोग रहा है। आज भी भारत की रक्षा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा रूस से पूरा होता है। साथ ही ऊर्जा क्षेत्र में भी रूस भारत का अहम सहयोगी है।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी दोनों देश एक-दूसरे का समर्थन करते आए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पुतिन का भारत दौरा न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करेगा, बल्कि अमेरिका और यूरोप के दबाव के बीच भारत को रणनीतिक संतुलन साधने का अवसर देगा।

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राष्ट्रपति पुतिन का दिसंबर में होने वाला भारत दौरा दोनों देशों के रिश्तों में एक नया अध्याय लिख सकता है। एससीओ शिखर सम्मेलन में मोदी-पुतिन मुलाकात से इस दौरे की रूपरेखा तय होगी और यह देखना अहम होगा कि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक संकटों के बीच भारत और रूस अपनी रणनीतिक साझेदारी को किस नई दिशा में ले जाते हैं।