भोपाल विभाग में संघ के 373 पथ संचलन, शताब्दी वर्ष में डेढ़ लाख स्वयंसेवकों की होगी भागीदारी
भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस विजयादशमी से अपना शताब्दी वर्ष आरंभ कर रहा है। संघ ने इस ऐतिहासिक अवसर को पूरे वर्ष विशेष बनाने के लिए विविध कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की है। इस कड़ी में सबसे पहला और बड़ा आयोजन पथ संचलन (मार्च पास्ट) का होगा, जो इस बार बस्ती और मंडल स्तर पर आयोजित किए जाएंगे। संघ की योजना के अनुसार भोपाल विभाग में 373 स्थानों पर पथ संचलन निकाले जाएंगे, जिनमें लगभग डेढ़ लाख स्वयंसेवक शामिल होंगे।
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2 से 12 अक्टूबर तक होगा आयोजन
संघ के अनुसार, पथ संचलन का कार्यक्रम 2 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक चलेगा। यह आयोजन केवल शहरों में ही नहीं, बल्कि बस्तियों और ग्रामीण मंडलों में भी होगा। प्रत्येक स्थान पर औसतन 300 से 500 स्वयंसेवक शामिल होकर अनुशासन और एकता का परिचय देंगे।
भोपाल विभाग का विस्तृत ढांचा
भोपाल विभाग के अंतर्गत 5 जिले, 26 नगर और 6 खंड आते हैं। इनमें
- 279 बस्तियां और
- 94 मंडल (प्रत्येक मंडल में 8-10 गांव शामिल)
आते हैं। संघ का पथ संचलन इन्हीं 373 इकाइयों पर निकाला जाएगा।
स्वयंसेवकों की बढ़ती संख्या
संघ के शताब्दी वर्ष ने संगठन को नई ऊर्जा दी है। अभी तक भोपाल विभाग में 70 से 80 हजार स्वयंसेवकों की सूची दर्ज थी। लेकिन शताब्दी वर्ष की तैयारियों के दौरान 70 हजार से अधिक नए स्वयंसेवक गणवेश लेकर संगठन से जुड़ चुके हैं। इस प्रकार विभाग में कुल स्वयंसेवकों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और यह क्रम लगातार जारी है।
करीब 700 टोली इस अभियान में सक्रिय रूप से लगी हुई हैं, जो नये लोगों को जोड़ने और संचलन की तैयारी में जुटी हैं।
पुराने स्वयंसेवकों का उत्साह
संघ शताब्दी वर्ष के इस अवसर पर पुराने स्वयंसेवक भी बेहद उत्साहित हैं। विभाग संघचालक सोमकांत उमालकर ने बताया कि अधिक से अधिक नए स्वयंसेवक संगठन से जुड़ें, इसके लिए पिछले दो माह से लगातार तैयारी चल रही है।
- स्वयंसेवकों की टोलियां घर-घर जाकर नये लोगों को संघ से जोड़ रही हैं।
- अनुभवी स्वयंसेवकों का मानना है कि शताब्दी वर्ष से समाज में उत्साह और सकारात्मक वातावरण का संचार हुआ है।
समाज में संदेश
पथ संचलन केवल अनुशासन और संगठन का प्रदर्शन भर नहीं होगा, बल्कि यह समाज में एकता, राष्ट्रीयता और सकारात्मकता का संदेश देगा। संघ का मानना है कि इस आयोजन से नयी पीढ़ी संगठन से अधिक जुड़ाव महसूस करेगी और शताब्दी वर्ष आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणादायक साबित होगा।
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