सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता पर हुआ विचार-विमर्शराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मुस्लिम समुदाय के साथ संवाद का एक और सकारात्मक कदम बढ़ाया, गहरे मुद्दों पर खुली बातचीत
मोहन भागवत की मुस्लिम धर्मगुरुओं से मुलाकात, RSS की सद्भाव की पहल
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने गुरुवार को दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में देशभर के मुस्लिम धर्मगुरुओं, बुद्धिजीवियों, मौलानाओं और इस्लामिक स्कॉलरों के साथ एक अहम बैठक की। यह बैठक करीब तीन घंटे तक चली, जिसमें आरएसएस के शीर्ष पदाधिकारियों सहित कुल 70 से अधिक मुस्लिम प्रतिनिधि शामिल रहे।
यह संवाद का एक ऐसा प्रयास था, जो राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता और धार्मिक सौहार्द की दिशा में एक ठोस पहल माना जा रहा है।

कौन-कौन रहे मौजूद?
इस बैठक में ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख उमर अहमद इलियासी ने मुस्लिम धर्मगुरुओं का नेतृत्व किया। आरएसएस की ओर से महासचिव दत्तात्रेय होसबाले, सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल, इंद्रेश कुमार, रामलाल जैसे वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे।
हालांकि बैठक में हुई बातचीत को सार्वजनिक नहीं किया गया, लेकिन संघ से जुड़े सूत्रों के अनुसार देश में बढ़ती सामाजिक ध्रुवीकरण की प्रवृत्ति, सांप्रदायिक सौहार्द, मुस्लिम युवाओं की शिक्षा व रोजगार, और आतंकवाद व कट्टरपंथ जैसी समस्याओं पर सार्थक संवाद हुआ।

संवाद का उद्देश्य: ‘भारत सर्वप्रथम’ की भावना
RSS की यह पहल ‘भारत सर्वप्रथम’, ‘सबका साथ-सबका विकास’ और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के मूल सिद्धांतों पर आधारित थी। यह स्पष्ट संकेत है कि संघ अब सिर्फ हिंदू हितों तक सीमित न रहकर, देश के हर नागरिक को राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सहभागी बनाने पर बल दे रहा है।
संघ के पदाधिकारियों ने इस दौरान मुस्लिम धर्मगुरुओं से सांप्रदायिक सद्भाव के लिए मिलकर काम करने, चरमपंथ के खिलाफ आवाज उठाने और राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानने की अपील की।
RSS और मुस्लिम समुदाय के बीच संवाद की निरंतरता
यह पहली बार नहीं है जब संघ ने मुस्लिम समाज के साथ संवाद की कोशिश की है।
- सितंबर 2022 में भी मोहन भागवत ने दिल्ली की एक मस्जिद और मदरसे का दौरा किया था, जहां उन्होंने मुस्लिम स्कॉलरों से मुलाकात की थी। उस बैठक में ज्ञानवापी, हिजाब विवाद और जनसंख्या नियंत्रण जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी खुलकर चर्चा हुई थी।
- संघ की सहयोगी संस्था मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) लंबे समय से मुस्लिम समाज के साथ संवाद में सक्रिय है। यह मंच ‘एक भारत, एक झंडा, एक राष्ट्रगान’ अभियान जैसे कार्यक्रम भी चलाता रहा है।

भागवत के पुराने बयान: राष्ट्र सर्वोपरि, न कि पंथ
संघ प्रमुख मोहन भागवत हमेशा कहते रहे हैं कि भारत में मुस्लिमों को डरने की कोई जरूरत नहीं है।
- सितंबर 2021 में एक मुस्लिम विद्वानों के कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि “हिंदू कोई जाति, धर्म या भाषा नहीं, यह जीवन दर्शन है जो हर व्यक्ति के उत्थान की राह दिखाता है।”
- उन्होंने कहा था कि मुस्लिमों के पूर्वज भी इसी मिट्टी के हैं, और कट्टरपंथी सोच से बचकर, उन्हें भारत की एकता और अखंडता को प्राथमिकता देनी चाहिए।
इस्लाम पर मोहन भागवत के विचार
भागवत समय-समय पर इस्लाम धर्म के भारत में सुरक्षित और शांतिपूर्ण अस्तित्व को लेकर भी खुलकर बोलते रहे हैं:
- जनवरी 2023 में उन्होंने कहा था कि, “इस्लाम केवल भारत में सुरक्षित है। बाकी दुनिया में वह संघर्षों से घिरा है। भारत की बहुलतावादी परंपरा ही उसे सुरक्षा देती है।”
- दिसंबर 2024 में उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि, “हर दिन मंदिर-मस्जिद विवाद उठाकर वोट बैंक की राजनीति करने वाले नेता समाज को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। भारत को यह दिखाना होगा कि हम साथ रह सकते हैं।”
RSS के नेता इंद्रेश कुमार भी कर चुके हैं ऐतिहासिक पहलें
RSS के राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार ने भी पिछले वर्षों में कई अवसरों पर मुस्लिम समाज के साथ सद्भाव बढ़ाने का काम किया है।
- 2022 में उन्होंने हजरत निजामुद्दीन दरगाह में चादर चढ़ाई और मिट्टी के दीये जलाए, यह शांति और समृद्धि का प्रतीक बताया गया।
- उनका यह संदेश था कि धर्म के नाम पर विभाजन नहीं, बल्कि साझा विरासत और प्रेम को आगे बढ़ाना चाहिए।
नया भारत संवाद से बनेगा
RSS की यह पहल उन सभी आलोचकों को जवाब है जो संघ को संकीर्ण सोच से जोड़ते हैं। यह बैठक इस बात का प्रमाण है कि संघ अब विचारधारा से ऊपर उठकर राष्ट्रहित को केंद्र में रखते हुए सभी समुदायों से संवाद के लिए तत्पर है।
‘राष्ट्र सबसे पहले’ और ‘सांस्कृतिक एकता’ जैसे विचारों के साथ संघ मुस्लिम समुदाय को भारत निर्माण में भागीदार बनाना चाहता है, न कि अलग-थलग।
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