सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत पहुंचे जबलपुर, आरएसएस की अखिल भारतीय बैठक में होंगे शामिल; पंच परिवर्तन पर होगी चर्चा

पंच परिवर्तन पर होगी गहन चर्चा; देशभर से आएंगे 500 शीर्ष पदाधिकारी, आठ दिन रहेंगे सरसंघचालक जबलपुर में

जबलपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत शनिवार को मध्यप्रदेश के जबलपुर पहुंचे। यहां वे संघ की सबसे महत्वपूर्ण बैठकों में से एक — अखिल भारतीय वार्षिक बैठक में भाग लेने आए हैं, जो 28 अक्टूबर से 1 नवंबर 2025 तक आयोजित होगी। यह बैठक विजय नगर क्षेत्र स्थित कचनार क्लब एंड रिसॉर्ट में हो रही है, जहाँ देशभर से आरएसएस के शीर्ष पदाधिकारी और प्रचारक एकत्र हुए हैं।

संघ प्रमुख के शहर पहुंचने पर पदाधिकारियों, स्वयंसेवकों और स्थानीय कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया। इस अवसर पर शहर के प्रमुख सामाजिक संगठनों और स्वयंसेवक शाखाओं के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। डॉ. भागवत यहां लगातार आठ दिनों तक, यानी 3 नवंबर तक जबलपुर में ही रहेंगे।

500 से अधिक पदाधिकारी होंगे उपस्थित

संघ के क्षेत्रीय पदाधिकारी विनोद कुमार ने बताया कि इस बार की अखिल भारतीय बैठक में देश के सभी प्रांतों और क्षेत्रों से लगभग 500 वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हो रहे हैं। इनमें संघ के अखिल भारतीय अधिकारी, क्षेत्र संघचालक, प्रांत संघचालक, कार्यवाहक, प्रचारक तथा सम-विचारी संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे।

इस बैठक का उद्देश्य है — संगठन की भविष्य की दिशा तय करना, ‘पंच परिवर्तन’ की अवधारणा को लागू करने पर रणनीति बनाना और शाखा से समाज तक संघ के कार्य को नए दृष्टिकोण से आगे बढ़ाना।

पंच परिवर्तन पर मंथन का केंद्र बनेगा जबलपुर

सरसंघचालक डॉ. भागवत ने कुछ समय पहले संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर “पंच परिवर्तन” की अवधारणा प्रस्तुत की थी। अब इस विचार को जमीन पर कैसे उतारा जाए, इस पर जबलपुर की यह बैठक निर्णयकारी मानी जा रही है।

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पंच परिवर्तन के पाँच प्रमुख आयाम इस प्रकार हैं:

  1. स्व-बोध (अर्थात स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का भाव)
  2. नागरिक कर्तव्य का निर्वहन
  3. पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता
  4. सामाजिक समरसता और समानता का विस्तार
  5. कुटुंब प्रबोधन यानी पारिवारिक संस्कारों का पुनर्संवर्धन

इन विषयों पर आगामी वर्षों की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। संघ का मानना है कि जब व्यक्ति, परिवार और समाज में यह परिवर्तन आएगा, तभी राष्ट्र के पुनर्निर्माण का लक्ष्य साकार होगा।

पहली बार इतने लंबे प्रवास पर रहेंगे सरसंघचालक

यह पहला अवसर है जब सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत किसी एक शहर में लगातार आठ दिन रुकेंगे। आमतौर पर वे राष्ट्रीय बैठकों में दो से तीन दिन का प्रवास करते हैं, लेकिन जबलपुर बैठक का महत्त्व देखते हुए उन्होंने पूरे कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज कराने का निर्णय लिया है।

उनके प्रवास के दौरान वे न केवल संघ पदाधिकारियों से विमर्श करेंगे, बल्कि स्थानीय स्वयंसेवकों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से भी संवाद करेंगे।

पारदर्शिता के साथ खुले मंच पर चर्चा

संघ की यह बैठक पहले जहां पूरी तरह गोपनीय हुआ करती थी, वहीं इस बार संगठन ने एक नई पहल की है। इस बार तीन दिनों तक मीडिया ब्रीफिंग की व्यवस्था की गई है, ताकि बैठक में लिए जा रहे निर्णयों और विचार-विमर्श को समाज तक पारदर्शी रूप से पहुंचाया जा सके।

राष्ट्रव्यापी स्तर पर संगठन के विस्तार, शाखाओं की नई कार्यप्रणाली, युवाओं की भागीदारी और सामाजिक कार्यों को नए ढांचे में लाने पर भी चर्चा होगी।

बैठक का कार्यक्रम

संघ द्वारा तय कार्यक्रम के अनुसार बैठक तीन चरणों में होगी —

  • 28 अक्टूबर: अखिल भारतीय अधिकारी, क्षेत्र कार्यवाह और क्षेत्र प्रचारकों की बैठक।
  • 29 अक्टूबर: प्रांत कार्यवाह, प्रांत प्रचारक और क्षेत्र प्रचारक प्रमुखों की बैठक।
  • 30 अक्टूबर से 1 नवंबर: अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की मुख्य बैठक, जिसमें संगठन की नीतिगत दिशा तय होगी।

संघ की वार्षिक बैठक क्यों अहम

अखिल भारतीय वार्षिक बैठक को संघ की नीतिगत दिशा और संगठनात्मक संरचना तय करने वाला सबसे महत्वपूर्ण मंच माना जाता है। यहां से निकलने वाले निर्णय अगले वर्ष की शाखाओं, सेवाकार्यों और सामाजिक अभियानों का आधार बनते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार की बैठक आगामी वर्षों में संघ के शताब्दी कार्यक्रमों और राष्ट्रीय एजेंडा को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाएगी।

संघ सूत्रों के अनुसार, डॉ. भागवत इस प्रवास के दौरान कुटुंब प्रबोधन, ग्राम विकास, स्वदेशी अभियान और युवा सहभागिता जैसे विषयों पर विशेष सत्रों को भी संबोधित करेंगे।

इस बीच, शहर प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात के लिए विशेष प्रबंध किए हैं। बैठक स्थल के चारों ओर पुलिस और स्वयंसेवकों की तैनाती की गई है। स्थानीय होटलों और गेस्ट हाउसों में देशभर से आए प्रचारकों का आवास किया गया है।

जबलपुर के लिए यह आयोजन न केवल धार्मिक-सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह शहर अब संघ के राष्ट्रीय विमर्श का केंद्र बन गया है।