संघ प्रमुख मोहन भागवत 26 से 28 अगस्त तक दिल्ली में करेंगे परिचर्चा, शताब्दी वर्ष पर विशेष आयोजन
नई दिल्ली।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत आगामी 26 से 28 अगस्त तक नई दिल्ली के विज्ञान भवन में एक विशेष तीन दिवसीय परिचर्चा को संबोधित करेंगे। यह आयोजन संघ के स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है। संघ का शताब्दी वर्ष 2024 की विजयादशमी से 2025 की विजयादशमी तक मनाया जाएगा, जिसमें देशभर में विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

तीन दिन चलेगी विचार श्रृंखला
दिल्ली के प्रांत संघचालक डॉ. अनिल अग्रवाल के अनुसार, यह आयोजन प्रतिदिन सायं 5:30 से 7:30 बजे तक होगा। कार्यक्रम में देश-विदेश से प्रतिष्ठित बुद्धिजीवियों, कूटनीतिज्ञों, शिक्षाविदों, राजनीतिक दलों, संस्थानों के प्रमुखों, और सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्र की प्रमुख हस्तियों को विशेष रूप से आमंत्रित किया जा रहा है।
2017 के आयोजन की तरह ऐतिहासिक अवसर
गौरतलब है कि इस तरह की पहली बड़ी परिचर्चा वर्ष 2017 में आयोजित की गई थी, जब विज्ञान भवन में 16 से 18 सितम्बर तक संघ प्रमुख ने तीन दिवसीय संवाद में भाग लिया था। उस आयोजन में 60 से अधिक देशों के राजदूत, सभी प्रमुख राजनीतिक दलों, फिल्मी हस्तियों और विचारकों ने भाग लिया था।
वर्ष 2017 की परिचर्चा में भागवत ने संघ की स्थापना, उद्देश्यों, गतिविधियों, और संघ को लेकर फैली भ्रमपूर्ण धारणाओं पर खुलकर चर्चा की थी और अंतिम दिन प्रश्नोत्तर सत्र के माध्यम से सीधे संवाद भी किया था।
शताब्दी वर्ष पर व्यापक जनसंपर्क अभियान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में विजयादशमी के दिन हुई थी। अब जब संघ 100 वर्ष पूरे कर रहा है, इस अवसर पर देशभर में एक व्यापक जनसंपर्क और विचार प्रसार अभियान शुरू किया जा रहा है।
संघ प्रमुख चार प्रमुख नगरों — दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरू — में तीन दिवसीय विचार श्रृंखला में भाग लेंगे। दिल्ली के आयोजन के बाद क्रमशः अन्य नगरों में भी इसी तरह के संवाद होंगे।
1500 से अधिक स्थानों पर होंगे कार्यक्रम
इस अवसर पर देशभर में 1500 से अधिक स्थानों पर सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे, जहां संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता आम जन से सीधा संवाद करेंगे। साथ ही, घर-घर संपर्क अभियान के अंतर्गत संघ साहित्य वितरण, चर्चा और विचार विमर्श जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।
संघ का लक्ष्य है कि शताब्दी वर्ष के दौरान प्रत्येक गांव तक अपनी विचारधारा, कार्यपद्धति और समाज सेवा के कार्यों की जानकारी दी जाए, ताकि झूठे प्रचार और भ्रांतियों का निवारण कर जनसामान्य से सीधा संबंध स्थापित किया जा सके।
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