आरएसएस का शताब्दी वर्ष: देशभर में होंगे एक लाख हिंदू सम्मेलन, जबलपुर बैठक में तय हुई रूपरेखा

जबलपुर, 29 अक्टूबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपने शताब्दी वर्ष के अवसर पर देशभर में व्यापक जनसंपर्क अभियान शुरू करने जा रहा है। इस अवसर पर संघ ने तय किया है कि वह एक लाख मंडलों और बस्तियों में हिंदू सम्मेलनों का आयोजन करेगा। इस ऐतिहासिक योजना की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक गुरुवार से मध्य प्रदेश के जबलपुर में शुरू हो रही है। बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत, सरकार्यवाह समेत संघ के सभी वरिष्ठ पदाधिकारी, 46 प्रांतों के प्रतिनिधि और कुल 407 कार्यकर्ता शामिल होंगे।

शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों की रूपरेखा पर अंतिम निर्णय

संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बताया कि इस बैठक में शताब्दी वर्ष के लिए निर्धारित प्रमुख कार्यक्रमों — जैसे घर-घर संपर्क अभियान, हिंदू सम्मेलन, नागरिक गोष्ठी, सद्भावना बैठक और पंच परिवर्तन अभियान — की रूपरेखा को अंतिम स्वीकृति दी जाएगी।

इन कार्यक्रमों के माध्यम से संघ समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुंच बनाएगा और संगठन के कार्यों, उद्देश्यों तथा गतिविधियों की विस्तृत जानकारी साझा करेगा। आंबेकर ने कहा कि बैठक में इन अभियानों की तिथियों, कार्य-प्रणाली और जिम्मेदारियों के बंटवारे पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा।

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संघ प्रमुख और पदाधिकारियों का देशव्यापी प्रवास कार्यक्रम

बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत सहित शीर्ष पदाधिकारियों के आगामी महीनों के देशव्यापी प्रवास कार्यक्रमों की रूपरेखा भी तय की जाएगी। इन प्रवासों के दौरान वरिष्ठ पदाधिकारी विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रमों, व्याख्यानमालाओं और सम्मेलनों में भाग लेंगे।

संघ प्रमुख मोहन भागवत की प्रमुख व्याख्यानमालाओं की तारीखें भी तय हो चुकी हैं —

  • 8 और 9 नवंबर को बंगलूरू,
  • 21 दिसंबर को कोलकाता,
  • और 7-8 फरवरी को मुंबई में वे समाज के विभिन्न वर्गों से संवाद करेंगे।

इन आयोजनों का उद्देश्य संघ के विचारों, सामाजिक दृष्टिकोण और राष्ट्रीय योगदान को लोगों के सामने विस्तार से प्रस्तुत करना होगा।

पंच परिवर्तन के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव

आंबेकर ने बताया कि आरएसएस समाज में व्यापक पंच परिवर्तन (शारीरिक, बौद्धिक, आर्थिक, सामाजिक और आध्यात्मिक) के माध्यम से सकारात्मक बदलाव लाना चाहता है। इस दिशा में संघ उन संगठनों और व्यक्तियों से भी जुड़ने की पहल करेगा जो समाज में रचनात्मक कार्य कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि “संघ समाज में अच्छा कार्य करने वाले हर व्यक्ति या संस्था से संवाद करेगा, ताकि यह समझा जा सके कि हम एक-दूसरे के काम में कैसे सहयोग कर सकते हैं। हमारा उद्देश्य केवल संगठन का विस्तार नहीं, बल्कि समाज में वास्तविक सुधार लाना है।”

गुरु तेगबहादुर और बिरसा मुंडा पर विशेष वक्तव्य

संघ की योजना सिख गुरु तेगबहादुर के 350वें बलिदान दिवस और आदिवासी नायक बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर देशभर में विशेष कार्यक्रम आयोजित करने की है। आंबेकर ने बताया कि आगामी 15 नवंबर को बिरसा मुंडा जयंती और 24 नवंबर को गुरु तेगबहादुर बलिदान दिवस से इन कार्यक्रमों की शुरुआत होगी।

इन आयोजनों के माध्यम से संघ समाज के विभिन्न वर्गों को भारत के गौरवशाली इतिहास और राष्ट्रनिर्माण में योगदान देने वाले महान व्यक्तित्वों से जोड़ने का प्रयास करेगा।

डिजिटल संपर्क और सामाजिक एकता पर जोर

बैठक में संघ के डिजिटल संपर्क अभियान पर भी चर्चा होगी, जिसके तहत संगठन के कार्यों को डिजिटल माध्यमों से लोगों तक पहुंचाया जाएगा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से युवाओं को संगठन की गतिविधियों और राष्ट्रीय विचारधारा से जोड़ा जाएगा।

साथ ही, संघ देश में सामाजिक सद्भाव को मजबूत करने के लिए सद्भावना बैठकों का आयोजन करेगा, जिनमें विभिन्न धर्मों, समुदायों और सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाएगा।

राष्ट्रीय दृष्टिकोण से जुड़े मुद्दों पर भी होगी चर्चा

कार्यकारी मंडल की इस बैठक में केवल संघ के कार्यक्रम ही नहीं, बल्कि देश के समसामयिक मुद्दों पर भी विचार किया जाएगा। राष्ट्रीय एकता, शिक्षा नीति, ग्रामीण विकास, पर्यावरण संरक्षण और आत्मनिर्भर भारत जैसे विषयों पर विमर्श होगा।

आंबेकर ने कहा कि संघ की सभी योजनाएं “समाज के हर वर्ग तक सकारात्मक ऊर्जा पहुंचाने और राष्ट्रहित में सामूहिक प्रयास” की दिशा में केंद्रित हैं।