जबलपुर में शुरू हुई संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक, शताब्दी वर्ष पर होगी व्यापक चर्चा

जबलपुर।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की तीन दिवसीय बैठक गुरुवार से मध्यप्रदेश के जबलपुर में प्रारंभ हो गई है। यह बैठक 1 नवंबर तक चलेगी और इसमें संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत सहित देशभर से आए शीर्ष पदाधिकारी और प्रचारक भाग ले रहे हैं। इस बैठक में संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में देशभर में चल रहे अभियानों, संगठनात्मक योजनाओं और सामाजिक पहलों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया जा रहा है।

जबलपुर में पहली बार हो रही अखिल भारतीय बैठक

संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक का जबलपुर में आयोजन पहली बार हुआ है। शहर के विजन नगर स्थित कचनार सिटी क्लब में सुबह 9 बजे सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत की उपस्थिति में बैठक का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत में देशभर के 207 दिवंगत प्रमुख व्यक्तित्वों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इनमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन, और फिल्म अभिनेता असरानी समेत कई प्रतिष्ठित हस्तियाँ शामिल थीं।

बैठक में सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, सह-सरकार्यवाह, सभी अखिल भारतीय अधिकारी, क्षेत्रीय और प्रांतीय संघचालक, कार्यवाह, प्रचारक और समविचारी संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद हैं।

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देशभर से पहुंचे 46 प्रांतों के 407 प्रतिनिधि

संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार ने जानकारी दी कि बैठक की शुरुआत भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पण से हुई। इस मौके पर डॉ. भागवत और सरकार्यवाह होसबाले ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की।
बैठक में देशभर के 11 क्षेत्रों के संघचालक, कार्यवाह और प्रचारक उपस्थित हैं। साथ ही 46 प्रांतों से 407 कार्यकर्ता और प्रचारक शामिल हुए हैं। यह बैठक प्रतिदिन सुबह से लेकर शाम 6 बजे तक चलेगी, जिसमें संगठनात्मक रिपोर्ट, योजनाओं की प्रगति और आगामी कार्यक्रमों पर विमर्श होगा।

शताब्दी वर्ष की तैयारियों पर मुख्य चर्चा

संघ अपने स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर देशव्यापी अभियान चला रहा है। इस बैठक में इसी शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों, प्रशिक्षण सत्रों, सेवा योजनाओं और सामाजिक जागरण अभियानों की समीक्षा की जा रही है। संघ के प्रमुख नेता इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि आने वाले वर्षों में संगठन की विचारधारा और कार्यप्रणाली को समाज के अंतिम व्यक्ति तक कैसे पहुंचाया जाए।

बैठक में यह भी चर्चा हो रही है कि कैसे संघ से जुड़े कार्यकर्ता शिक्षा, पर्यावरण, ग्राम विकास, स्वदेशी उद्योग, परिवार प्रबोधन और सामाजिक एकता के क्षेत्रों में अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकें।

राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों पर विमर्श

तीन दिवसीय इस कार्यकारी मंडल की बैठक में राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों पर भी गहन चर्चा की जा रही है। देश की वर्तमान परिस्थितियों में समाज में बढ़ते विभाजन, सांस्कृतिक असंतुलन और आर्थिक चुनौतियों को लेकर भी संवाद चल रहा है।

संघ के सूत्रों के अनुसार, बैठक में सामाजिक समरसता, आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशी नीति, और महिलाओं की भागीदारी जैसे विषयों पर विशेष चर्चा होगी। इसके साथ ही संघ की शाखाओं की संख्या, प्रशिक्षण शिविरों की गतिविधियाँ और जनसंपर्क अभियानों की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जाएगी।

महान विभूतियों को दी जाएगी विशेष श्रद्धांजलि

बैठक में इस वर्ष के दो ऐतिहासिक अवसरों — गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी वर्ष और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती — को विशेष रूप से याद किया जा रहा है। दोनों ही व्यक्तित्वों के योगदान को समाज में प्रसारित करने के लिए संघ की शाखाओं में विशेष कार्यक्रम आयोजित करने की योजना पर भी विचार किया जा रहा है।

भागवत पहले ही पहुंच गए थे जबलपुर

सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत 26 अक्टूबर को ही जबलपुर पहुंच गए थे। उनके साथ प्रमुख कार्यकर्ता और प्रचारक दल भी यहां पहुंचा था ताकि बैठक की तैयारियों का जायजा लिया जा सके। शहर में सुरक्षा और आवागमन की विशेष व्यवस्था की गई है।

समाज के प्रति संघ की प्रतिबद्धता पर जोर

संघ के सूत्रों के अनुसार, यह बैठक केवल संगठनात्मक नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के व्यापक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इसमें यह विचार किया जा रहा है कि देश में बढ़ती सामाजिक चुनौतियों और मूल्य आधारित शिक्षा की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए संघ के कार्यकर्ता कैसे व्यापक भूमिका निभा सकते हैं।

संघ के सरसंघचालक डॉ. भागवत ने अपने उद्घाटन वक्तव्य में कहा कि “संघ का कार्य केवल शाखा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज को जागरूक और संगठित करने का आंदोलन है।” उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में संघ सेवा और संस्कार आधारित समाज निर्माण की दिशा में और अधिक सक्रिय होगा।

इस बैठक के निष्कर्ष आगामी महीनों में संघ की नीति-निर्धारण प्रक्रिया और संगठनात्मक रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।