October 18, 2025 10:29 PM

रूप चौदस पर जानिए कैसे निखारे अपना रूप और ऊर्जा, साथ ही कौन-से मंत्र से होता है सौंदर्य व आकर्षण में वृद्धि

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नरक चतुर्दशी, रूप चौदस या काली चौदस — शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करने का पवित्र दिन

रूप चौदस पर जानिए कैसे निखारे अपना रूप और ऊर्जा, कौन-सा मंत्र बढ़ाए सौंदर्य और आकर्षण

दीपावली का पांच दिवसीय पर्व भारतीय संस्कृति में केवल रोशनी और खुशियों का नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, ऊर्जा और सौंदर्य का भी उत्सव माना गया है। इन पांच दिनों में दूसरा दिन — कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी, जिसे नरक चतुर्दशी, रूप चौदस या काली चौदस कहा जाता है — विशेष रूप से रूप-सौंदर्य, आरोग्य और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति का दिन है। इस दिन का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक दृष्टि से भी अत्यंत गहरा है।


🌸 रूप चौदस का धार्मिक महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने दैत्यराज नरकासुर का वध कर 16,000 कन्याओं को उसके अत्याचार से मुक्त कराया था। यह घटना प्रतीक है कि जब भीतर का अंधकार मिटता है, तभी सच्चे रूप में प्रकाश प्रकट होता है। इसलिए इस दिन को “रूप चौदस” कहा जाता है — अर्थात वह दिन जब हम अपने शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध कर दिव्य रूप को प्रकट करते हैं।

कहते हैं कि इस दिन जो व्यक्ति स्नान, ध्यान, और सौंदर्य-पूजन करता है, उसके भीतर का तेज और बाहरी आभा दोनों बढ़ते हैं। इसी कारण इसे “रूप निखारने का दिन” भी कहा जाता है।


💧 सुबह का अभ्यंग स्नान – निखारे शरीर और मन दोनों

रूप चौदस की शुरुआत अभ्यंग स्नान से होती है। अभ्यंग स्नान का अर्थ है — शरीर पर औषधीय तेलों और उबटन का प्रयोग कर स्नान करना।

कैसे करें अभ्यंग स्नान:

  1. तिल का तेल या नारियल तेल को हल्का गुनगुना कर लें।
  2. इसमें थोड़ा हल्दी और चंदन पाउडर मिलाएँ।
  3. इसे पूरे शरीर पर लगाकर 15-20 मिनट तक हल्के हाथों से मालिश करें
  4. इसके बाद बेसन, हल्दी और गुलाब जल से बना उबटन लगाएँ।
  5. स्नान के लिए गुनगुने जल में गुलाब की पंखुड़ियाँ, नीम पत्ते या गंगाजल मिलाना शुभ माना जाता है।

👉 यह प्रक्रिया न केवल त्वचा को सुंदर बनाती है, बल्कि मानसिक तनाव और थकान भी दूर करती है। इसे “पवित्रता का स्नान” कहा गया है।


🌼 रूप निखारने के प्राकृतिक उपाय

रूप चौदस के दिन घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्खों से सौंदर्य निखारने का विशेष महत्व है। इस दिन किए गए सौंदर्य-संवर्धन उपाय अधिक प्रभावी माने जाते हैं, क्योंकि शरीर और मन दोनों सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण रहते हैं।

कुछ पारंपरिक सौंदर्य नुस्खे:

  1. फेस ग्लो पैक – बेसन, हल्दी, दही और गुलाब जल मिलाकर चेहरे पर लगाएँ।
  2. त्वचा कोमल बनाने के लिए – कच्चा दूध और शहद मिलाकर चेहरे पर 10 मिनट लगाएँ, फिर धो लें।
  3. बालों के लिए – आंवला, रीठा और शिकाकाई का मिश्रण पानी में उबालें और ठंडा होने पर इससे बाल धोएँ।
  4. आँखों की थकान दूर करने के लिए – गुलाब जल में भिगोई रूई 10 मिनट के लिए बंद आँखों पर रखें।

इन उपायों से त्वचा स्वच्छ, बाल चमकदार और चेहरा ऊर्जा से दमकता है।


🔱 रूप चौदस पर किए जाने वाले पूजन और मंत्र

इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान यमराज की पूजा का भी विशेष विधान है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन स्नान-ध्यान कर श्री लक्ष्मी और भगवान यमराज की आराधना करता है, उसे सौंदर्य के साथ आयु और स्वास्थ्य का भी वरदान मिलता है।

रूप सौंदर्य मंत्र:

“ॐ ह्रीं सौंदर्यलक्ष्म्यै नमः।”
इस मंत्र का 108 बार जप करने से भीतर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और आकर्षण व आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

अन्य शुभ मंत्र:

“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।”
इस मंत्र के जप से मन में शांति और चेहरे पर आंतरिक तेज आता है।

रात में दीपदान करना अत्यंत शुभ माना गया है। घर के हर कोने में दीप जलाने से अंधकार और नकारात्मकता दूर होती है, और घर में सुख-शांति का संचार होता है।


🌕 रूप चौदस का आध्यात्मिक संदेश

रूप चौदस केवल बाहरी सुंदरता का पर्व नहीं है। यह आत्मिक रूप से भी प्रकाश में आने का अवसर है। जिस तरह भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था, उसी प्रकार हमें भी अपने भीतर के अहंकार, आलस्य, ईर्ष्या और क्रोध जैसे ‘नरकासुरों’ का नाश करना चाहिए।

यह दिन हमें सिखाता है कि जब मन का अंधकार मिटेगा, तभी आत्मा का प्रकाश और रूप की सच्ची आभा प्रकट होगी।


🌺 दिव्यता से निखरे रूप और मन

रूप चौदस का पर्व हर व्यक्ति को यह संदेश देता है कि सच्चा रूप केवल चेहरे की चमक में नहीं, बल्कि विचारों की पवित्रता और मन की स्थिरता में है। इस दिन शरीर की शुद्धि, मन की शांति और आत्मा की रोशनी — तीनों का संगम होता है।

इसलिए इस रूप चौदस पर केवल सौंदर्य प्रसाधनों से नहीं, बल्कि प्रेम, करुणा और आभार के भाव से अपने जीवन को आलोकित करें।


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