सुप्रीम कोर्ट तय करेगा: रोहिंग्या शरणार्थी हैं या अवैध प्रवासी?
नई दिल्ली। भारत में रह रहे रोहिंग्याओं की स्थिति को लेकर चल रहे लंबे विवाद पर अब सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णायक कदम उठाया है। न्यायालय ने साफ कर दिया है कि वह पहले यह तय करेगा कि रोहिंग्या वास्तव में शरणार्थी हैं या फिर वे अवैध रूप से देश में रह रहे प्रवासी हैं। इस विषय पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मूल प्रश्न का समाधान होने के बाद ही बाकी मुद्दों पर विचार किया जाएगा।
क्या रोहिंग्या शरणार्थी की श्रेणी में आते हैं?
सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी इस बात की ओर संकेत करती है कि अब बहस केवल मानवीय आधार पर नहीं, बल्कि कानूनी और प्रशासनिक ढांचे के भीतर की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि यदि रोहिंग्या वास्तव में शरणार्थी हैं, तो उन्हें भारत में अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत कुछ सुरक्षा और सुविधाएं मिल सकती हैं। लेकिन अगर वे अवैध प्रवासी हैं, तो केंद्र और राज्य सरकारें उन्हें वापस भेजने (डिपोर्ट करने) के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकती हैं।रोहिंग्याओं की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: पहले तय होगा ‘शरणार्थी’ हैं या ‘अवैध प्रवासीरोहिंग्याओं की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: पहले तय होगा ‘शरणार्थी’ हैं या ‘अवैध प्रवासी

सभी याचिकाएं तीन वर्गों में बांटी जाएंगी
न्यायालय ने रोहिंग्या से जुड़ी सभी लंबित याचिकाओं को तीन भागों में विभाजित करने का निर्देश दिया है—
- प्रत्यक्ष रूप से रोहिंग्याओं से संबंधित याचिकाएं,
- उन याचिकाओं से असंबंधित याचिकाएं,
- वे याचिकाएं जो अन्य मानवाधिकार या नीति संबंधी मुद्दों से जुड़ी हैं।
इस वर्गीकरण के बाद ही आगे की सुनवाई की रूपरेखा तय की जाएगी।
अब हर बुधवार को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अब इस मामले से संबंधित सुनवाई हर बुधवार को नियमित रूप से की जाएगी। इससे यह उम्मीद बंधी है कि लंबे समय से लंबित इस संवेदनशील मामले में अब शीघ्र निर्णय हो सकेगा।
याचिकाकर्ताओं को दी सख्त चेतावनी
16 मई की पिछली सुनवाई में न्यायालय ने उन याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाई थी, जिन्होंने यह आरोप लगाया था कि रोहिंग्याओं को जबरन म्यांमार डिपोर्ट करते समय उन्हें अंडमान समुद्र में फेंक दिया गया। इस आरोप पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ताओं के वकील कॉलिन गोंजाल्वेस से कहा था – “ये कौन देख रहा था, कौन रिकॉर्ड कर रहा था? इसका सबूत लाएं।”
संवेदनशीलता और राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल
इस पूरे मुद्दे में जहां एक ओर मानवाधिकार और संवेदनशीलता की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर सरकार की चिंता राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक व्यवस्था को लेकर है। केंद्र सरकार पहले ही यह कह चुकी है कि रोहिंग्याओं की उपस्थिति भारत के लिए सुरक्षा संबंधी खतरा बन सकती है।

आगे क्या?
अब सर्वोच्च न्यायालय इस सवाल पर केंद्रित होकर निर्णय लेगा कि रोहिंग्याओं को किस श्रेणी में रखा जाए — शरणार्थी या अवैध प्रवासी। इस वर्गीकरण के बाद ही उनके अधिकारों, सुरक्षा, और डिपोर्टेशन जैसे अहम मसलों पर कोई ठोस निर्णय सामने आ सकेगा।
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