सड़क सुरक्षा: सड़क दुर्घटनाओं में 1.80 लाख मौतें, जीडीपी को 3% का नुकसान – नितिन गडकरी
नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को फिक्की के 7वें रोड सेफ्टी अवॉर्ड्स एंड सिम्पोजियम 2025 ‘विजन जीरो: लाइफ फर्स्ट, ऑलवेज’ में कहा कि सड़क सुरक्षा देश की प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि भारत में हर साल औसतन 4.80 से 5 लाख सड़क दुर्घटनाएँ होती हैं, जिनमें करीब 1.80 लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं।
गडकरी ने स्पष्ट किया कि इन दुर्घटनाओं से देश की जीडीपी को लगभग 3 प्रतिशत का नुकसान होता है, जो किसी बीमारी या युद्ध से भी अधिक गंभीर है। उन्होंने कहा कि 66.4 प्रतिशत मौतें 18 से 45 साल के युवाओं में होती हैं, जिससे देश के भविष्य पर खतरा पैदा होता है।
📍𝑵𝒆𝒘 𝑫𝒆𝒍𝒉𝒊 | Addressing 7th Edition of FICCI Road Safety Awards & Symposium 2025, Vision Zero: Life First, Always. https://t.co/dbULSxlgzt
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) September 4, 2025
सड़क दुर्घटनाओं में बच्चों और युवाओं की हानि
मंत्री ने बताया कि 18 साल से कम उम्र के लगभग 10,000 बच्चे हर साल सड़क दुर्घटनाओं में मर जाते हैं। उन्होंने चेताया कि हेलमेट न पहनने से करीब 30,000 और सीट बेल्ट न लगाने से 16,000 लोगों की मौत होती है।
इस गंभीर स्थिति को सुधारने के लिए सरकार ने नई बाइक खरीदने वालों के लिए दो हेलमेट देने की अनिवार्यता लागू की है। इसके साथ ही, सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अमिताभ बच्चन के साथ वार्षिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
सड़क सुरक्षा के लिए डिजिटल और संगीत अभियान
गडकरी ने बताया कि सड़क सुरक्षा जागरूकता के लिए शंकर महादेवन का गीत 22 भाषाओं में अनुवादित कर स्कूली बच्चों तक पहुंचाया जा रहा है। इसके अलावा बड़े पैमाने पर डिजिटल अभियान भी चलाए जा रहे हैं।
मंत्री ने कहा कि ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में सुधार किया गया है जिससे वाहन और अधिक सुरक्षित बन गए हैं। ट्रक चालकों की सुरक्षा के लिए 16-18 घंटे लगातार ड्राइव करने वाले चालकों के केबिन में एसी की अनिवार्यता लागू की गई है। इसके साथ ही फटीग और स्लीप डिटेक्शन सिस्टम पर भी काम चल रहा है।
बसों की सुरक्षा और दुर्घटना पीड़ितों के लिए कदम
गडकरी ने कहा कि पहले बसों के बॉडी कोड में खामियां थीं, जिन्हें अब विश्वस्तरीय मानक के अनुसार सुधारा गया है। नेशनल हाई-वे पर हर दुर्घटना का कारण विश्लेषण कर सुधार किया जा रहा है।
सड़क दुर्घटना पीड़ितों को तुरंत अस्पताल पहुंचाने वालों के लिए 25,000 रुपये का इनाम रखा गया है। हर दुर्घटना में न्यूनतम 1.5 लाख रुपये या 7 दिन का अस्पताल खर्च बीमा में शामिल किया गया है।
सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएँ किन राज्यों में होती हैं
गडकरी ने बताया कि सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएँ उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में होती हैं। उन्होंने कहा कि दुर्घटनाओं के पीछे मानव व्यवहार की गलत आदतें मुख्य कारण हैं।
सालाना 30,000 दुर्घटनाएँ केवल इसलिए होती हैं कि इन लोगों के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था।
ड्राइवरों की आंखों की जांच और प्रशिक्षण
महाराष्ट्र में पहले की अपनी सड़क दुर्घटना का उदाहरण देते हुए गडकरी ने बताया कि उनके ड्राइवर को मोतियाबिंद था। इसके बाद देशव्यापी जांच में पाया गया कि 40 प्रतिशत ड्राइवरों में आंखों की समस्या है। इसे रोकने के लिए ड्राइवरों की आंखों की जांच को प्राथमिकता दी जा रही है।
ड्राइवर प्रशिक्षण पर जोर देते हुए गडकरी ने कहा कि देश में 111 ड्राइवर ट्रेनिंग सेंटर मंजूर किए गए हैं, जिनमें से 35 शुरू हो चुके हैं। अब तक 9.2 लाख ड्राइवरों को प्रशिक्षित किया गया है।
मंत्री का संदेश
गडकरी ने नागरिकों से अपील की कि सड़क सुरक्षा केवल नियम तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। हेलमेट और सीट बेल्ट का प्रयोग अनिवार्य रूप से करें, वाहन चलाते समय सतर्क रहें और नियमों का पालन करें।
सड़क दुर्घटनाओं के रोकथाम, जागरूकता अभियान और ड्राइवर प्रशिक्षण के ये कदम देश के युवाओं की जान बचाने और सड़क सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में अहम भूमिका निभाएंगे।
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