कोलकाता: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में सोमवार को सजा का एलान किया गया। कोलकाता की सियालदह अदालत ने दोषी संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने दोषी पर 50,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया और पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया। इस फैसले के बाद पीड़ित परिवार ने आर्थिक मदद लेने से इनकार कर दिया और न्याय की मांग की।
संजय रॉय पर आरोप
आरजी कर मेडिकल कॉलेज में कार्यरत महिला प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना 2020 में हुई थी। आरोप था कि संजय रॉय ने अस्पताल के परिसर में महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर दी। महिला चिकित्सक की हत्या के बाद यह मामला राज्य और देशभर में सुर्खियों में आ गया था और पूरे देश में हलचल मच गई थी। इस जघन्य अपराध के बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की थी और अंततः संजय रॉय को दोषी ठहराया गया।
अदालत का फैसला
सोमवार को अदालत में सुनवाई के दौरान जज अनिर्बान दास ने संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह घटना दुर्लभतम मामले का हिस्सा नहीं है। इसके अलावा पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया गया, और सरकार को अतिरिक्त 7 लाख रुपए देने का निर्देश भी दिया। कोर्ट ने संजय रॉय पर 50,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया।
संजय रॉय का बचाव
संजय रॉय ने अदालत में अपनी दलील देते हुए कहा कि उसे झूठा फंसाया जा रहा है और उसने कोई अपराध नहीं किया। इसके बावजूद, अदालत ने उसे दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। रॉय के वकील ने कोर्ट में यह दलील दी कि इस मामले में उसे मौत की सजा नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि हर अपराधी में सुधार की संभावना हो सकती है। हालांकि, अदालत ने उसकी दलील को नकारते हुए उम्रकैद की सजा दी।
पीड़ित परिवार की प्रतिक्रिया
पीड़ित महिला के माता-पिता ने इस फैसले पर असंतोष व्यक्त किया और दोषी को मौत की सजा देने की मांग की। वे इस फैसले से खुश नहीं थे और उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। पीड़िता की मां ने कहा, “मेरी बेटी को अस्पताल में ड्यूटी के दौरान दुष्कर्म कर मार डाला गया। क्या यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर घटना नहीं है? सीबीआई इसे साबित करने में विफल रही।”
पीड़ित परिवार ने आर्थिक मदद लेने से इनकार कर दिया और कहा कि न्याय की जो सजा होनी चाहिए, वही मिले। उनका कहना था कि यह सिर्फ संजय रॉय की सजा का मामला नहीं, बल्कि पूरे तंत्र को जिम्मेदार ठहराने का मामला है।
ममता बनर्जी का असंतोष
वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस फैसले पर असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अगर यह मामला उनके पास होता, तो दोषी को फांसी की सजा दिलवाते। ममता बनर्जी ने मालदा जिले के दौरे पर कहा कि “मैं नहीं जानती कि सीबीआई ने इस मामले को कैसे लड़ा और क्या तर्क दिए, लेकिन मुझे संतोष नहीं मिला। फांसी होती तो मन को सुकून मिलता।”
फैसले का असर
इस फैसले ने पश्चिम बंगाल और देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बढ़ती घटनाओं और न्यायिक प्रणाली की धीमी गति पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस मामले ने एक बार फिर से महिलाओं की सुरक्षा और न्याय के लिए एक मजबूत कानून की आवश्यकता की बात की है।
संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बावजूद, पीड़ित परिवार और राज्य सरकार के नेताओं ने इस मामले में और कड़ी सजा की मांग की है, ताकि इस तरह के जघन्य अपराधों को रोका जा सके और न्याय के रास्ते में कोई रुकावट न आए।