सुप्रीम कोर्ट से रेवंत रेड्डी को राहत, भाजपा नेता की मानहानि याचिका खारिज
नई दिल्ली। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को सर्वोच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। भाजपा नेता के. वेंकटेश्वरलू द्वारा दायर मानहानि याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट कहा कि अदालत को राजनीतिक अखाड़ा नहीं बनाया जा सकता। अदालत ने टिप्पणी की—
👉 “अगर आप राजनेता हैं तो आपके पास सहन करने के लिए मोटी चमड़ी होनी चाहिए।”
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मामला क्या था?
यह विवाद 2024 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान रेवंत रेड्डी के एक भाषण से जुड़ा है। रेड्डी ने अपने भाषण में कहा था कि अगर भाजपा 400 सीटें जीतती है, तो अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और ओबीसी को दिए जा रहे आरक्षण को खत्म कर देगी।
भाजपा नेता वेंकटेश्वरलू ने इस बयान को पार्टी की छवि खराब करने वाला बताते हुए निचली अदालत में मानहानि का मामला दर्ज कराया था।
कानूनी सफर
- निचली अदालत: जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दिया।
- तेलंगाना हाईकोर्ट: निचली अदालत का आदेश रद्द कर दिया।
- सुप्रीम कोर्ट: हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
रेवंत रेड्डी की दलील
रेवंत रेड्डी की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि चुनावी भाषण और राजनीतिक बहस को मानहानि का आधार नहीं बनाया जा सकता। यह लोकतांत्रिक विमर्श का हिस्सा है।
याचिकाकर्ता की दलील
वेंकटेश्वरलू के वकील का कहना था कि तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश में विरोधाभास है और रेड्डी का बयान भाजपा को बदनाम करने के लिए दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का महत्व
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी न केवल रेवंत रेड्डी बल्कि देश के राजनीतिक परिदृश्य में भी अहम है। अदालत ने साफ संदेश दिया है कि राजनीतिक जीवन का हिस्सा आलोचना और कटु टिप्पणियां भी हैं, जिन्हें सहन करना नेताओं की जिम्मेदारी है।
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