RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने दी जानकारी, CRR में भी बड़ा बदलाव

नई दिल्ली, 6 जून।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज आम लोगों को राहत देते हुए रेपो रेट में 0.50% की बड़ी कटौती की है। अब यह दर 6% से घटकर 5.50% रह गई है। इसका सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो होम लोन, ऑटो लोन या किसी भी तरह का बैंक लोन ले रहे हैं। RBI के इस फैसले से आने वाले दिनों में बैंक भी ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं, जिससे आपकी मासिक किस्त (EMI) कम हो जाएगी।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने गुरुवार सुबह 10 बजे इस फैसले की घोषणा की। उन्होंने बताया कि यह निर्णय मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की 4 जून से शुरू हुई बैठक में लिया गया, जो तीन दिन तक चली।

इस साल अब तक 1% तक घटाई गई रेपो रेट

यह 2025 की तीसरी बार है जब RBI ने ब्याज दर में कटौती की है। फरवरी में रेपो रेट 6.5% से घटाकर 6.25% किया गया था। इसके बाद अप्रैल में इसमें 0.25% की और कमी की गई। अब जून में 0.50% की कटौती के साथ कुल 1% की राहत मिल चुकी है।

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EMI में मिलेगा सीधा फायदा

अगर आप 20 लाख रुपये का 20 साल के लिए लोन ले रहे हैं, तो नई रेपो रेट के अनुसार आपको करीब 1.48 लाख रुपये की बचत हो सकती है। इसका असर हाउसिंग लोन, ऑटो लोन और अन्य कर्जों पर भी पड़ेगा।

CRR में भी 1% की कटौती, ₹2.5 लाख करोड़ आएंगे सिस्टम में

RBI ने कैश रिज़र्व रेशियो (CRR) में भी बड़ी राहत दी है। इसे 4% से घटाकर 3% कर दिया गया है। CRR वो हिस्सा होता है जो बैंकों को अपनी कुल जमा राशि में से RBI के पास जमा करना होता है। इसमें कटौती का मतलब है कि अब बैंकों के पास कर्ज देने के लिए ₹2.5 लाख करोड़ अतिरिक्त राशि उपलब्ध होगी। इससे आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी और बाजार में तरलता बढ़ेगी।

रेपो रेट घटने से क्या होगा असर?

  • बैंक कर्ज सस्ते करेंगे, जिससे कंज्यूमर्स को फायदा होगा।
  • हाउसिंग और ऑटो सेक्टर में डिमांड बढ़ेगी।
  • रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ा बूस्ट मिल सकता है।
  • बाजार में पैसा बढ़ेगा, जिससे ग्रोथ को समर्थन मिलेगा।

महंगाई के अनुमान में कटौती, GDP अनुमान यथावत

आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए महंगाई के अनुमान को थोड़ा घटाया है, जो इस बात का संकेत है कि आने वाले महीनों में कीमतों पर नियंत्रण रहने की उम्मीद है। हालांकि GDP ग्रोथ का अनुमान पहले की तरह ही बरकरार रखा गया है, जिससे ये स्पष्ट होता है कि RBI विकास को बनाए रखते हुए महंगाई पर काबू पाने की दिशा में काम कर रहा है।

रेपो रेट घटती क्यों है?

रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देता है। जब इस दर में कटौती होती है तो बैंक भी सस्ता कर्ज लेकर अपने ग्राहकों को सस्ती दर पर लोन देने लगते हैं। इसका असर सीधे तौर पर बाजार में पैसा बढ़ने और आर्थिक गतिविधियों में तेजी के रूप में दिखता है।

RBI रेपो रेट को नियंत्रित कर बाजार में महंगाई और विकास के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश करता है। जब महंगाई बढ़ती है तो रेपो रेट बढ़ाई जाती है और जब इकोनॉमी में सुस्ती होती है तब इसमें कटौती की जाती है।

हर दो महीने में होती है मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक

RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) में कुल छह सदस्य होते हैं—तीन RBI के और तीन सरकार द्वारा नियुक्त। यह कमेटी हर दो महीने में बैठक करती है। इस वित्त वर्ष की पहली बैठक 7-9 अप्रैल को हुई थी। दूसरी बैठक अब 4-6 जून को आयोजित की गई है, जिसमें यह बड़ा निर्णय लिया गया।