उज्जैन। धार्मिक नगरी उज्जैन में सोमवार को पवित्र सोमवती अमावस्या के अवसर पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। इस विशेष दिन पर श्रद्धालुओं ने मोक्षदायिनी शिप्रा नदी में आस्था की डुबकी लगाई। ठंड के बावजूद भक्तों की संख्या में कोई कमी नहीं आई। यहां का रात का तापमान 11 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, फिर भी श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी देखने को नहीं मिली।
शिप्रा नदी और सोमती कुंड में स्नान
शिप्रा नदी के प्रसिद्ध रामघाट पर प्रातःकाल से ही श्रद्धालु स्नान के लिए उमड़ने लगे। इसके साथ ही सोमती कुंड में भी स्नान करने वालों की भारी भीड़ रही। सोमवती अमावस्या पर शिप्रा नदी में स्नान करने की प्राचीन परंपरा है। स्थानीय पंडितों ने बताया कि सोमकुंड में स्नान के बाद श्रद्धालु श्री सोमेश्वर और जलपेश्वर महादेव का पूजन करते हैं, जिससे चंद्र दोष समाप्त हो जाते हैं और अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
नर्मदा तट पर विदेशी पर्यटक भी पहुंचे
उज्जैन के अलावा जबलपुर के ग्वारीघाट में नर्मदा नदी के तट पर भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। नर्मदा स्नान के लिए ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों से विदेशी पर्यटक भी पहुंचे। उन्होंने नर्मदा में आस्था की डुबकी लगाई और इस दिव्य अनुभव को खास बताया।
पिंडदान और तर्पण की परंपरा
शिप्रा घाट पर धर्मशालाओं में श्रद्धालुओं ने पितरों के निमित्त पिंडदान और तर्पण किया। पंडितों ने विशेष पूजा-अर्चना कराई। स्नान और पूजन के बाद श्रद्धालु बाहर बैठे भिक्षुकों को दान-पुण्य कर अपनी धार्मिक आस्था व्यक्त करते दिखे।
महाकाल मंदिर में दर्शन
महाकालेश्वर मंदिर में भी सोमवती अमावस्या पर विशेष भीड़ रही। भक्तों ने दर्शन के लिए लंबी कतारों में खड़े होकर भगवान महाकाल का आशीर्वाद प्राप्त किया। अन्य प्रमुख मंदिरों में भी विशेष पूजन और भजन कार्यक्रम आयोजित किए गए।
पुलिस और एसडीईआरएफ की विशेष व्यवस्था
श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। शिप्रा घाट की ओर जाने वाले रास्तों पर बेरिकेट्स लगाए गए। पुलिस जवानों और एसडीईआरएफ की टीम को तैनात किया गया ताकि भीड़ प्रबंधन में कोई समस्या न हो। घाटों पर दुर्घटनाओं से बचाव के लिए गोताखोर भी तैनात किए गए थे।
धार्मिक महत्व और परंपराएं
सोमवती अमावस्या का उज्जैन में विशेष धार्मिक महत्व है। इस दिन सोमतीर्थ पर स्नान और सोमेश्वर महादेव के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन स्नान और पूजन से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
आस्था का संगम
स्नान, पूजन और दान-पुण्य के इस पर्व ने उज्जैन और जबलपुर के धार्मिक स्थलों को भक्तिमय बना दिया। देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने इन पवित्र स्थलों की महिमा को अनुभव किया और इसे अपने जीवन का एक यादगार पल बताया।