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खर मास: 16 दिसंबर से शुरू, क्या करें और क्या न करें, और इसका पौराणिक महत्व

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खर मास 16 दिसंबर से शुरू हो रहा है, जानें इस माह में क्या करें और क्या न करें, और इसका पौराणिक महत्व।

हर साल, हिन्दू कैलेंडर के अनुसार एक महीना ऐसा आता है, जिसे “खर मास” कहा जाता है। यह मास विशेष रूप से धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है, और 2024 में यह 16 दिसंबर से शुरू हो रहा है। खर मास का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि तात्त्विक और सांस्कृतिक भी है। इस लेख में हम जानेंगे कि इस मास में हमें क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए, और इसका पौराणिक महत्व क्या है।

खर मास क्या है?

खर मास वह महीना होता है, जब हिन्दू पंचांग के अनुसार विशेष प्रकार के धार्मिक और सांस्कृतिक बदलाव होते हैं। इसे ‘अश्वयुज’ माह का आखिरी भाग भी माना जाता है, जो सामान्यत: शरद ऋतु में आता है। इस माह के दौरान, कई लोग धार्मिक अनुष्ठान, उपवास और ध्यान करते हैं। यह माह किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए नहीं माना जाता है। इसलिए इसे ‘खर मास’ कहा जाता है, जिसमें “खर” का अर्थ है अवरोध या निषेध।

खर मास के दौरान क्या करें और क्या न करें?

क्या करें?

  1. धार्मिक अनुष्ठान और पूजा
    खर मास में खासतौर पर ध्यान, साधना, और पूजा-पाठ को महत्व दिया जाता है। यह समय आत्म-निर्माण और आत्म-अनुशासन का है। आप इस महीने में विशेष रूप से गीता का पाठ, श्रीराम या श्रीकृष्ण की पूजा, और मंत्र जाप कर सकते हैं।
  2. व्रत और उपवास
    इस माह में व्रत और उपवास रखने की परंपरा है। विशेष रूप से गुरुवार और शनिवार के दिन उपवास रखना बहुत पुण्यदायक माना जाता है। इस दौरान देवी-देवताओं के प्रति श्रद्धा बढ़ाने के लिए व्रत रखना अच्छा होता है।
  3. दान और सेवा
    खर मास में दान करना भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस महीने में गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, या धन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, किसी मंदिर में सेवा कार्य करना भी शुभ होता है।
  4. स्वच्छता और साधना
    अपने जीवन में स्वच्छता को बनाए रखना, घर को साफ रखना और नियमित रूप से साधना करना भी इस माह की विशेषताओं में आता है। यह समय मानसिक और शारीरिक स्वच्छता पर भी ध्यान देने का है।

क्या न करें?

  1. नए कामों की शुरुआत
    खर मास में कोई भी नया काम या शुभ कार्य जैसे शादी, यात्रा, या घर की खरीदारी शुरू करना वर्जित माना जाता है। यह मास निष्क्रियता और विचारशीलता का समय होता है, इसलिए इस दौरान किसी भी तरह की महत्वपूर्ण शुरुआत से बचना चाहिए।
  2. मांसाहार और शराब
    खर मास में मांसाहार और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। यह समय तप और संयम का है, और इस दौरान पवित्र आहार पर ध्यान दिया जाता है।
  3. झगड़ा और विवाद
    इस माह में किसी भी प्रकार के झगड़े, विवाद या तनाव से बचने की कोशिश करें। यह समय शांति और संतुलन बनाए रखने का होता है, इसलिए किसी भी प्रकार के विवादों से दूर रहना चाहिए।
  4. मनोबल में गिरावट
    खर मास के दौरान मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बने रहना जरूरी है। किसी भी प्रकार की नकारात्मकता, चिंता या भय से बचने की कोशिश करें, ताकि आपकी ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग हो सके।

खर मास का पौराणिक महत्व

खर मास का पौराणिक महत्व भी बहुत गहरा है। यह मास विशेष रूप से भगवान विष्णु के अवतारों और उनके चमत्कारी कार्यों से जुड़ा हुआ है। हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार, खर मास में भगवान विष्णु का वास होता है। इस मास में विष्णु पूजा का महत्व बढ़ जाता है।

महाभारत से संबंधित कथा

महाभारत के समय भी खर मास का महत्व था। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को खर मास में कुछ विशेष उपदेश दिए थे, जिनका पालन करके अर्जुन ने कई युद्धों में विजय प्राप्त की। इस मास को समर्पित समय में भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों की इच्छाएं पूरी होती हैं।

रामायण से संबंधित कथा

रामायण के अनुसार, इस मास में भगवान राम और माता सीता के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा भी की जाती है। इसे एक विशेष महीने के रूप में पूजा जाता है, क्योंकि इस समय में भगवान राम के ध्यान से भक्तों को शांति और सुख की प्राप्ति होती है।

विष्णु के अवतार

खर मास में भगवान विष्णु के अंश रूप में हर भक्त को उनके विभिन्न रूपों के पूजन की प्रेरणा दी जाती है। खासकर भगवान कृष्ण के रूप में कृष्ण का पूजा करना, इस मास के प्रमुख अनुष्ठानों में से एक माना जाता है।

खर मास का समय न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक समय है आत्म-निर्माण और मानसिक संतुलन बनाए रखने का। इस दौरान ध्यान और साधना के साथ-साथ संयमित जीवन जीने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। अगर आप इस माह का सही पालन करेंगे, तो यह आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।

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