नई दिल्ली।
हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने एक व्यापक अभियान शुरू करने की घोषणा की है। विहिप के संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने गुरुवार को एक पत्रकार वार्ता में कहा कि यह अभियान आगामी 5 जनवरी 2024 से देशभर में जन-जागरण के रूप में प्रारंभ होगा।
अभियान की शुरुआत ‘हैंदव शंखारावम’ से
अभियान का औपचारिक शंखनाद आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में ‘हैंदव शंखारावम’ नामक विराट जनसमागम में किया जाएगा। इस आयोजन में लाखों हिंदू धर्मावलंबी शामिल होंगे। परांडे ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी हिंदू मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण समाप्त नहीं हो पाया है।
उन्होंने कहा, “जब मस्जिदों और चर्चों का प्रबंधन सरकार के हाथ में नहीं है, तो हिंदू मंदिरों के साथ यह भेदभाव क्यों? संविधान के अनुच्छेद 12, 25 और 26 की अनदेखी करते हुए सरकारें मंदिरों की संपत्तियों और उनके प्रबंधन पर कब्जा जमाए बैठी हैं।”
चिंतन टोली का गठन
परांडे ने बताया कि मंदिरों के प्रबंधन और उससे जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए विहिप ने एक विशेष चिंतन टोली का गठन किया है। इस टोली में सर्वोच्च न्यायालय के वकील, उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, संत, और विहिप के वरिष्ठ कार्यकर्ता शामिल हैं।
चिंतन टोली ने मंदिरों के प्रबंधन और विवादों के समाधान के लिए एक प्रारूप तैयार किया है। यह प्रारूप हिंदू समाज को मंदिरों का प्रबंधन सौंपने के लिए एक व्यवस्थित प्रक्रिया का खाका प्रस्तुत करता है।
धार्मिक परिषद का गठन
विहिप ने प्रस्ताव रखा है कि जब सरकारें मंदिरों को हिंदू समाज को सौंपेंगी, तो इसके लिए राज्य स्तर पर एक धार्मिक परिषद का गठन किया जाएगा। इस परिषद में संतों, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, हिंदू शास्त्रों और परंपराओं के जानकारों, और समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को शामिल किया जाएगा। यह परिषद जिला स्तर पर परिषदों और मंदिर न्यासियों का चयन करेगी।
न्यासियों के चयन में अनुसूचित जातियों, जनजातियों और समाज के विविध वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
मंदिर सौंपने से पहले रखी गई मांगें
विहिप ने मंदिरों को सौंपने से पहले कुछ विशेष मांगें भी रखी हैं:
- मंदिरों और ऐंडौमेंट विभागों में नियुक्त सभी गैर-हिंदुओं को तत्काल हटाया जाए।
- भगवान की पूजा, प्रसाद और सेवा में केवल उन हिंदुओं को लगाया जाए, जिनकी गहरी आस्था है।
- मंदिर प्रबंधन में किसी भी राजनेता या राजनैतिक दलों से जुड़े व्यक्तियों को शामिल न किया जाए।
- मंदिर परिसर के अंदर और बाहर केवल हिंदुओं की ही दुकानें हों।
- मंदिर की जमीन पर गैर-हिंदुओं द्वारा किए गए और अन्य सभी अवैध निर्माण हटाए जाएं।
- मंदिरों की आय केवल हिंदू धर्म के प्रचार और उससे जुड़े विषयों पर खर्च की जाए।
मंदिरों को समाज को सौंपने की आवश्यकता
विहिप का कहना है कि मंदिरों का प्रबंधन हिंदू समाज के निष्ठावान और योग्य व्यक्तियों को सौंपा जाना चाहिए। सरकारी नियंत्रण से मंदिरों को मुक्त करना हिंदू समाज के हित में है। विहिप का यह अभियान हिंदू समाज को संगठित करने और उनकी धार्मिक स्वतंत्रता को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
आगे की योजना
विहिप ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए देशभर में जागरूकता कार्यक्रम, जन सभाएं और रैलियों का आयोजन करने की योजना बनाई है। यह अभियान केवल मंदिरों के प्रबंधन को समाज को सौंपने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि हिंदू धर्म और परंपराओं की रक्षा और उन्हें प्रोत्साहित करने का भी उद्देश्य रखता है।
यह आंदोलन हिंदू समाज की एकता को मजबूत करेगा और मंदिरों को उनके मूल धार्मिक और सांस्कृतिक स्वरूप में बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।