रेड सी में ऑप्टिक फाइबर केबल कटने से 17% इंटरनेट ट्रैफिक प्रभावित, माइक्रोसॉफ्ट अजूर सर्विस पर असर
रेड सी (लाल सागर) में बीते सप्ताह एक बड़ी तकनीकी घटना ने वैश्विक इंटरनेट सेवाओं को गहरा झटका दिया। यहां समुद्र के नीचे बिछी कई प्रमुख ऑप्टिक फाइबर केबलों के कटने से दुनिया का करीब 17% इंटरनेट ट्रैफिक प्रभावित हो गया। सबसे ज्यादा असर माइक्रोसॉफ्ट के क्लाउड प्लेटफॉर्म अजूर (Azure) पर पड़ा, जो यूरोप और एशिया के बीच इंटरनेट कनेक्टिविटी का बड़ा जरिया है।

6 सितंबर को हुई घटना
6 सितंबर को यह घटना सामने आई जब SEACOM/TGN-EA, AAE-1 और EIG जैसी अहम केबलें अचानक कट गईं। ये वही समुद्री केबलें हैं जिनके जरिए एशिया और यूरोप के बीच डेटा का आदान-प्रदान होता है। माइक्रोसॉफ्ट ने बयान जारी करते हुए कहा है कि केबलों की मरम्मत में समय लगेगा और तब तक यूजर्स को धीमे इंटरनेट और लेटेंसी (देरी) का सामना करना पड़ेगा।
बिजनेस, शिक्षा और स्ट्रीमिंग पर असर
विशेषज्ञों के अनुसार, रेड सी से गुजरने वाली इन केबलों से दुनिया का बड़ा हिस्सा जुड़ा हुआ है।
- बिजनेस लेन-देन,
- ऑनलाइन क्लासेस,
- और स्ट्रीमिंग सेवाएं
सभी पर इसका सीधा असर पड़ा है। खासकर मिडिल ईस्ट और एशिया-यूरोप इंटरनेट ट्रैफिक पर सबसे ज्यादा दबाव देखा जा रहा है। कई कंपनियों ने शिकायत की है कि उनकी सेवाओं में बाधा आ रही है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।
वजह अब तक साफ नहीं
सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर केबलें कैसे कटीं? अभी तक कोई ठोस कारण सामने नहीं आया है।
- कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह शिप के एंकर से हो सकता है।
- वहीं कुछ का शक है कि यह जानबूझकर की गई तोड़फोड़ भी हो सकती है।
रेड सी में इन दिनों चल रहे यमन संघर्ष और हूती विद्रोहियों की गतिविधियों को भी शक की नजर से देखा जा रहा है, हालांकि हूती समूह ने इससे साफ इंकार किया है।

डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर खतरे की आशंका
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर यह घटना वास्तव में किसी साजिश का हिस्सा है, तो यह भविष्य में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती है। इंटरनेट केबलों पर हमले का मतलब होगा कि वैश्विक संचार और व्यापार को सीधे निशाना बनाया जा सकता है। यही वजह है कि कई सरकारें और टेलीकॉम कंपनियां इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही हैं।
माइक्रोसॉफ्ट का बयान
माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि उनकी टीमें लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और ट्रैफिक को वैकल्पिक मार्गों से डायवर्ट किया जा रहा है। फिर भी यूजर्स को धीमी स्पीड और लेटेंसी का सामना करना पड़ रहा है।
कंपनी ने स्पष्ट किया कि रिपेयर का काम लंबा चल सकता है और इसमें कई हफ्ते लग सकते हैं। इस बीच वह रोजाना अपने यूजर्स को अपडेट देती रहेगी।
रेड सी की अहमियत

रेड सी समुद्री इंटरनेट ट्रैफिक का एक बड़ा केंद्र है। अनुमान है कि दुनिया के कुल इंटरनेट ट्रैफिक का करीब 17% हिस्सा इसी रास्ते से गुजरता है। यही कारण है कि यहां हुई गड़बड़ी का असर पूरी दुनिया पर दिख रहा है।
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