August 1, 2025 1:36 AM

बेंगलुरु RCB विक्ट्री परेड में भगदड़ पर कर्नाटक सरकार की रिपोर्ट: बिना अनुमति आयोजन, कोहली का भी नाम

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RCB विक्ट्री परेड भगदड़: कर्नाटक सरकार की रिपोर्ट में RCB जिम्मेदार, कोहली का भी जिक्र

बेंगलुरु में 4 जून को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की विक्ट्री परेड के दौरान मची भगदड़ को लेकर कर्नाटक सरकार ने हाईकोर्ट में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में हादसे की ज़िम्मेदारी सीधे तौर पर RCB पर डाली गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि टीम ने परेड के आयोजन के लिए किसी प्रकार की कानूनी अनुमति नहीं ली थी। खास बात यह है कि रिपोर्ट में क्रिकेटर विराट कोहली का भी उल्लेख किया गया है।

बिना अनुमति और तैयारी के हुआ आयोजन

सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, RCB ने 3 जून को चिन्नास्वामी स्टेडियम में परेड की सूचना पुलिस को दी थी, लेकिन यह सिर्फ जानकारी के तौर पर थी, औपचारिक अनुमति के लिए कोई आवेदन नहीं दिया गया। कानून के अनुसार, इस तरह के सार्वजनिक आयोजन के लिए कम से कम सात दिन पहले पुलिस से अनुमति लेना जरूरी होता है। पुलिस को न तो भीड़ की अनुमानित संख्या बताई गई, न ही सुरक्षा या व्यवस्थाओं की कोई योजना साझा की गई।

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सोशल मीडिया पर बिना सलाह आमंत्रण, कोहली का वीडियो भी जिम्मेदार

RCB ने 4 जून की सुबह सोशल मीडिया पर फ्री एंट्री और विक्ट्री परेड की घोषणा कर दी। सुबह से लेकर दोपहर तक लगातार पोस्ट और वीडियो शेयर किए गए। सुबह 8:55 बजे विराट कोहली का एक वीडियो पोस्ट किया गया, जिसमें उन्होंने बेंगलुरुवासियों को इस जश्न में शामिल होने का न्योता दिया। इसके बाद लाखों की संख्या में लोग सड़कों पर उमड़ पड़े। दोपहर में फ्री पास की जानकारी दी गई, लेकिन तब तक भीड़ बेकाबू हो चुकी थी।

स्टेडियम की क्षमता से 10 गुना ज्यादा भीड़

RCB की ऑनलाइन पोस्ट्स को 44 लाख से ज्यादा बार देखा गया। इसका सीधा असर यह हुआ कि लगभग तीन लाख लोग चिन्नास्वामी स्टेडियम और आसपास के इलाकों में पहुंच गए, जबकि स्टेडियम की क्षमता मात्र 35,000 है। बेंगलुरु मेट्रो के आंकड़ों के मुताबिक उस दिन 9.66 लाख लोगों ने मेट्रो का इस्तेमाल किया, जो सामान्य दिनों की तुलना में 60% ज्यादा था।

समय पर नहीं खुले गेट, टूटे बैरिकेड्स

परेड स्थल पर भीड़ इतनी ज्यादा हो गई कि एंट्री गेट पर लोग गेट फांदने लगे। RCB की ओर से फ्री पास की देर से घोषणा और असंगठित व्यवस्था से लोग गुस्से में आ गए। कई गेट—जैसे नंबर 1, 2, 2A, 6, 15, 21—पर भगदड़ मच गई। पुलिस ने हालात संभालने की कोशिश की लेकिन तब तक हालात बिगड़ चुके थे।

परेड क्यों नहीं रोकी गई?

रिपोर्ट में बताया गया कि अगर आयोजन को बीच में रोका जाता, तो हालात और बिगड़ सकते थे। अचानक परेड रद्द करने से हिंसा और कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो सकती थी। इसलिए आयोजकों ने परेड का समय कम किया और पुलिस निगरानी बढ़ाई गई।

हादसे में 11 की मौत, 50 से ज्यादा घायल

4 जून को हुई इस भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग घायल हुए। हजारों की संख्या में लोग स्टेडियम के बाहर और सड़कों पर जमा हो गए थे। हादसे के समय कई लोग दीवार फांदकर अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे।

सरकार का रुख और मंत्री का बयान

कर्नाटक सरकार ने 15 जुलाई को हाईकोर्ट में रिपोर्ट सौंपी। शुरुआत में सरकार इसे गोपनीय रखना चाहती थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री शरण प्रकाश पाटिल ने कहा कि “ऐसे बड़े आयोजनों में विभागीय ज़िम्मेदारी तय होती है, और निश्चित तौर पर लापरवाही हुई है। हम कार्रवाई करेंगे क्योंकि युवाओं की जान गई है, और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।”



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